Vikrant Shekhawat : Sep 14, 2022, 09:53 PM
New Delhi : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा के पास एक समस्या कम हो गई है। उन्होंने कहा कि लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में पैट्रोलिंग पॉइंट (पीपी) 15 पर भारत-चीन सेनाओं के पीछे हटने का मतलब चीनी सीमा पर एक समस्या का कम होना है। फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोन्ना के साथ वार्ता के बाद जयशंकर ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान स्थित आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवादी घोषित करने से संबंधित प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाया था। इससे संबंधित पूछे गए एक सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मैं नहीं समझता कि आज मैं कुछ नया कहूंगा। इसके बजाए मैं मानता हूं कि हम (दोनों देश) पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 से पीछे हटे। पीछे हटने का काम मैं समझता हूं कि पूरा हो गया। सीमा पर एक समस्या कम हुई।’’भारत और चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में गश्त चौकी (पेट्रोलिंग प्वाइंट) 15 पर सैनिकों की वापसी प्रक्रिया का संयुक्त सत्यापन किया। इससे पहले सोमवार को दोनों देशों की सेनाओं ने वहां टकराव वाले बिंदु से अपने सैनिकों को वापस हटाने और अस्थायी बुनियादी ढांचे को खत्म किया था। यह जानकारी इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी रखने वालों ने मंगलवार को दी थी। इस प्रकार से दोनों पक्षों ने चरणबद्ध और समन्वित तरीके से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा किया।दोनों देशों के इन क्षेत्र से पीछे हटने का कार्य ऐसे समय में हुआ है तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग उज्बेकिस्तान के शहर समदकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं। इसके कारण ऐसी अटकलें लग रही है कि अगले सप्ताह होने वाले इस शिखर बैठक से इतर दोनों नेताओं की द्विपक्षीय बैठक हो सकती है।हालांकि, भारतीय पक्ष या चीनी सरकार की ओर से आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बृहस्पतिवार को समरकंद पहुंचने और शुक्रवार देर रात स्वदेश लौटने का कार्यक्रम है। शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव से मिलेंगे।पाकिस्तान स्थित आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नामित आतंकवादी घोषित करने से संबंधित प्रस्ताव का मार्ग ‘एक देश द्वारा बाधित’ करने के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि सूची इसलिये तैयार की जाती है क्योंकि ये सम्पूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिये खतरा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ सूचीबद्ध किये जाने के संबंध में भारत और फ्रांस कई वर्षो से सहयोग कर रहे हैं। मैं समझता हूं कि आतंकियों की सूची इसलिये तैयार की जाती है क्योंकि आतंकवादी सम्पूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा हैं।’’ उन्होंने कहा कि अगर कोई सूची का मार्ग बाधित करता है, खास तौर पर ऐसे मामलों में जहां गुण-दोष के आधार पर आगे बढ़ा गया हो तब वह समझते हैं कि ऐसा वे अपने हितों को जोखिम में डालकर करते हैं।गौरतलब है कि पिछले महीने चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्ष परिषद में पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद संगठन के उप प्रमुख अब्दुल राऊफ अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के कदम को बाधित कर दिया था। चीन ने इस संबंध में भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी थी। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रूख के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में जयशंकर ने कहा कि समान विचार वाले देशों के लिये क्षेत्र में शांति, स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि के लिये मिलकर काम करने की जरूरत है।