SCO Summit 2024: विदेश मंत्री एस. जयशंकर मंगलवार को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए पहुंचेंगे। यह यात्रा भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चल रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जयशंकर की इस यात्रा को भारत की ओर से एक उच्च स्तरीय यात्रा के रूप में देखा जा रहा है, जो लगभग 9 साल बाद हो रही है। इस दौरान वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा आयोजित भोज में भी शामिल हो सकते हैं, जिसमें एससीओ के अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया जाएगा।
ऐतिहासिक यात्रा: 9 साल बाद भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान में
2015 के बाद यह पहली बार है कि भारत के किसी विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का दौरा किया है। पिछली बार भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2015 में अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन के सिलसिले में पाकिस्तान का दौरा किया था। हालांकि, इस बार विदेश मंत्री जयशंकर की यात्रा का मकसद केवल शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेना है, न कि द्विपक्षीय वार्ता। दोनों देशों ने पहले ही पुष्टि कर दी है कि जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के बीच कोई आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।
15-16 अक्टूबर को एससीओ की महत्वपूर्ण बैठक
एस. जयशंकर की यात्रा पाकिस्तान में 24 घंटे से भी कम समय के लिए होगी, जहां वे 15 और 16 अक्टूबर को आयोजित होने वाली एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की बैठक में हिस्सा लेंगे। एससीओ एक महत्वपूर्ण बहुपक्षीय संगठन है, जिसमें भारत, पाकिस्तान, चीन और रूस जैसे बड़े देश शामिल हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और कूटनीति पर चर्चा करते हैं।
पुलवामा हमले के बाद तनावपूर्ण संबंध
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गंभीर तनाव फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद आया, जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हवाई हमला किया था। इसके बाद, अगस्त 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया। पाकिस्तान ने इस कदम के बाद भारत के साथ राजनयिक संबंधों को घटा दिया और व्यापारिक संबंध भी निलंबित कर दिए।
सीमा पार आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है, लेकिन यह तभी संभव है जब सीमा पार से आतंकवाद का खतरा खत्म हो। उन्होंने कहा, "भारत किसी भी पड़ोसी की तरह पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा, लेकिन सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।" जयशंकर के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि भारत पाकिस्तान से किसी भी प्रकार की बातचीत से पहले सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाए रखेगा।
एससीओ के मंच से जुड़ाव
भारत और पाकिस्तान दोनों शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य हैं, और ऐसे मंच पर दोनों देशों का संवाद भले ही औपचारिक रूप से न हो, लेकिन इसे कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने मई 2023 में गोवा में आयोजित एससीओ की बैठक में भाग लिया था। यह लगभग 12 सालों बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा थी।
निष्कर्ष
एस. जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा भले ही एससीओ के सम्मेलन के लिए हो, लेकिन इसका कूटनीतिक महत्व काफी गहरा है। यह यात्रा इस बात की ओर इशारा करती है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ बहुपक्षीय मंचों पर संवाद के लिए तैयार है, लेकिन द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए सीमा पार आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों को हल करना पहली प्राथमिकता है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद, इस तरह के बहुपक्षीय आयोजनों में भागीदारी से भविष्य में दोनों देशों के संबंधों में सकारात्मक दिशा की उम्मीद की जा सकती है।