SCO Summit 2024: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को पाकिस्तान पहुंचने वाले हैं। यह दौरा महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कई वर्षों से भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव बना हुआ है। यह भारत की ओर से पाकिस्तान की पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी, जो इस तनाव के माहौल में हो रही है। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचने के तुरंत बाद, विदेश मंत्री जयशंकर एससीओ सदस्य देशों के स्वागत के लिए आयोजित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के स्वागत भोज में शामिल होंगे।
हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया है कि एससीओ सम्मेलन से इतर जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी। इसका मतलब यह है कि दोनों देशों के बीच संबंधों पर चर्चा की संभावना नहीं है, और यह यात्रा केवल बहुपक्षीय आयोजन तक ही सीमित रहेगी।
9 साल बाद भारतीय विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा
यह दौरा इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि करीब नौ साल बाद किसी भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा हो रही है। इससे पहले, 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस्लामाबाद की यात्रा की थी। उस समय भी दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव था, खासकर कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दों को लेकर। अब जबकि जयशंकर पाकिस्तान जा रहे हैं, भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार आतंकवाद और कश्मीर को लेकर समस्याएं बनी हुई हैं। यह यात्रा करीब 24 घंटे से भी कम समय की होगी, जो मुख्य रूप से एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक में भारत की भागीदारी के लिए हो रही है।पाकिस्तान ने एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया था, लेकिन इस यात्रा के लिए जयशंकर का चयन यह दिखाता है कि भारत ने अपनी भागीदारी को मुख्य रूप से एससीओ तक सीमित रखने का फैसला किया है।
जयशंकर की यात्रा का महत्व
जयशंकर की यह यात्रा कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हाल ही में एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान जयशंकर ने कहा था कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है, के साथ बेहतर संबंध चाहता है। लेकिन, यह संबंध तभी हो सकते हैं जब पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाए। ऐसे में, जयशंकर की यह यात्रा भारत की इस स्थिति को पुनः स्पष्ट करती है कि आतंकवाद के मुद्दे को हल किए बिना पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते।एससीओ सम्मेलन के लिए भारत के उच्च स्तरीय प्रतिनिधित्व से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत इस क्षेत्रीय संगठन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से लेता है। हालांकि, पाकिस्तान के साथ किसी भी द्विपक्षीय वार्ता से इनकार करने का निर्णय यह दर्शाता है कि भारत ने अपने रुख में कोई ढील नहीं दी है।
भारत का साफ रुख
भारत का रुख लंबे समय से स्पष्ट रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ एक सामान्य, शांतिपूर्ण और सहयोगपूर्ण पड़ोसी संबंध चाहता है। हालांकि, भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि बातचीत के लिए आवश्यक माहौल को बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है, खासकर आतंकवाद और शत्रुता के मुद्दों पर। इससे पहले, मई 2023 में पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने एससीओ के एक कार्यक्रम के तहत गोवा की यात्रा की थी, जो 12 साल बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा थी। उस यात्रा में भी द्विपक्षीय मुद्दों पर कोई बड़ी प्रगति नहीं हो पाई थी।जयशंकर की यह यात्रा भले ही सीधे तौर पर भारत-पाकिस्तान संबंधों पर असर न डाल सके, लेकिन यह दोनों देशों के बीच बढ़ती खाई को और गहरा होने से रोकने का एक कूटनीतिक प्रयास जरूर है। वहीं, एससीओ जैसे मंच पर भारत की उपस्थिति यह दर्शाती है कि भारत अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को निभाने में पूरी तरह सक्षम और प्रतिबद्ध है।