Vikrant Shekhawat : May 30, 2022, 06:53 PM
ईरान में लगातार जरूरी खाद्य सामानों की कीमतें बढ़ने से देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। इसकी वजह है कि सरकार ने गेहूं और आटे पर दी जाने वाली सब्सिडी को या तो कम कर दिया है या फिर पूरी तरह से इसे खत्म कर दिया है। ईरान सरकार ने पिछले महीने गेहूं और आटे पर दी जाने वाली सब्सिडी को कम करते हुए इसे जरूरी 'इकोनॉमिक सर्जरी' बताया था।
इससे पास्ता और अन्य खाद्य सामानों की कीमतें एकदम से बढ़ गई हैं जिससे देश के लाखों लोगों में गुस्सा है।पास्ता की कीमतों में बढ़ोतरी इसलिए एक मुद्दा बन गई है क्योंकि चावल देश के गरीबों और मध्य वर्ग के लोगों के लिए लग्जरी खाना बन गया है।आज के समय में 10 किलो चावल की बोरी की कीमत 10 लाख तोमान (33 डॉलर) से अधिक है। सब्सिडी में कटौती से पास्ता की कीमतों में 169 फीसदी का इजाफा हुआ है।सरकार की ओर से कार्रवाई के डर से पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर एक वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार ने बताया कि इस साल की शुरुआत से ही कामगारों की आजीविका में गिरावट आई है।उन्होंने कहा, आज हम देखते हैं कि प्रति व्यक्ति मीट की खपत तेजी से गिरी है और मजदूरों को मीट की तुलना में हाइड्रेट और स्टार्च पर निर्भर रहना पड़ रहा है।सरकार का कहना है कि यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से वैश्विक स्तर पर गेहूं संकट बढ़ने से कीमतें बढ़ी है। रूस और यूक्रेन गेहूं और कॉर्न के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक देश हैंसरकार की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी प्रशासन को गेहूं और आटे पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म करनी पड़ी क्योंकि कई बिचौलिए स्थानीय कारोबारियों से सब्सिडी आटा खरीदकर उसकी विदेशों में तस्करी कर बड़ा मुनाफा कमा रहे थे।हालांकि, सब्सिडी में कटौती की उम्मीद किसी को भी नहीं थी और इससे स्टोर्स पर पास्ता की कमी हो गई क्योंकि लोग पुरानी कीमतों पर ही पास्ता खरीदने के लिए स्टोर्स पर उमड़े थे।इनकी कीमतों के आसमान छूने पर पास्ता और पास्तागेट जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगेएक शख्स ने ट्वीट कर सरकार के तर्कों की आलोचना करते हुए कहा, क्या आपको पता है कि पास्ता खाने से पेट फूल जाता है और यह ओजोन परत के खराब होने के कारणों में से एक है।एक अन्य शख्स ने बताया कि हाल के सालों में उसे कुछ खाद्य सामानों को बार-बार अपनी लिस्ट से हटाना पड़ा है।उन्होंने कहा, मुझे नौकरी की वजह से दोपहर में बाहर खाना पड़ता है। चार साल पहले तक मैं चिकन या कबाब खरीद सकता था। जब ट्रंप ने परमाणु डील से बाहर निकलने का फैसला किया तो हमें आर्थिक तौर पर झटका लगा। मैंने चिकन और कबाब खरीदना बंद कर दिया और इसके बजाये पास्ता या कुकीज खरीदना शुरू किया। उन्होंने कहा, अब मैं पास्ता और कुकीज भी नहीं खरीद सकता क्योंकि इनकी कीमतें आसमान छू रही हैं। एक पत्रकार ने बताया, रईसी सरकार लोगों को परेशान कर रही है। पिछले कुछ महीनों में सरकार तेल प्रतिबंधों को दरकिनार कर कारोबार करने की शेखी बघार रही थी लेकिन अब स्पष्ट हो चुका है कि ये बड़े झूठ थे। उन्होंने कहा, अगर रईसी सरकार को तेल से मुनाफा होता तो वह सब्सिडी में कटौती करने का रास्ता नहीं अख्तियार करती। सरकार के इस कदम से स्पष्ट है कि उनके पास सब्सिडी देने लायक पैसा नहीं है। ईरान के कामकाजी वर्ग को एक और झटका उस समय लगा, जब फलाफेल सैंडविच की कीमतें भी आसमान छूने लगी।पहले एक फलाफेल सैंडविच की कीमत 15,000 तोमान (0।50 डॉलर) होती थी लेकिन तेहरान रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन के चेयरमैन अहमदी शहरीवर ने बताया कि अब इस सैंडविच की कीमत दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा, कीमत बढ़ने से फलाफेल जैसे सस्ते सैंडविच जो आमतौर पर कम वेतन वाले लोगों के बीच पॉपुलर थे, उनके लिए अब ये पहुंच से बाहर की चीज हो गए हैं।इस बीच सरकार ने कुकिंग ऑयल पर मिलने वाली सब्सिडी में भी कटौती कर दी, जिससे सैंडविच बनाने वाली दुकानों और कम आय वाले लोगों को अधिक परेशानी होने लगी।साफ है कि सरकार के इन कदमों ने लोगों को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। ईरान के कई शहरों और प्रांतों में महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद पुलिस, प्रदर्शनकारियों पर बल का प्रयोग करने से नहीं चूकी।
इससे पास्ता और अन्य खाद्य सामानों की कीमतें एकदम से बढ़ गई हैं जिससे देश के लाखों लोगों में गुस्सा है।पास्ता की कीमतों में बढ़ोतरी इसलिए एक मुद्दा बन गई है क्योंकि चावल देश के गरीबों और मध्य वर्ग के लोगों के लिए लग्जरी खाना बन गया है।आज के समय में 10 किलो चावल की बोरी की कीमत 10 लाख तोमान (33 डॉलर) से अधिक है। सब्सिडी में कटौती से पास्ता की कीमतों में 169 फीसदी का इजाफा हुआ है।सरकार की ओर से कार्रवाई के डर से पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर एक वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार ने बताया कि इस साल की शुरुआत से ही कामगारों की आजीविका में गिरावट आई है।उन्होंने कहा, आज हम देखते हैं कि प्रति व्यक्ति मीट की खपत तेजी से गिरी है और मजदूरों को मीट की तुलना में हाइड्रेट और स्टार्च पर निर्भर रहना पड़ रहा है।सरकार का कहना है कि यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से वैश्विक स्तर पर गेहूं संकट बढ़ने से कीमतें बढ़ी है। रूस और यूक्रेन गेहूं और कॉर्न के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक देश हैंसरकार की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी प्रशासन को गेहूं और आटे पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म करनी पड़ी क्योंकि कई बिचौलिए स्थानीय कारोबारियों से सब्सिडी आटा खरीदकर उसकी विदेशों में तस्करी कर बड़ा मुनाफा कमा रहे थे।हालांकि, सब्सिडी में कटौती की उम्मीद किसी को भी नहीं थी और इससे स्टोर्स पर पास्ता की कमी हो गई क्योंकि लोग पुरानी कीमतों पर ही पास्ता खरीदने के लिए स्टोर्स पर उमड़े थे।इनकी कीमतों के आसमान छूने पर पास्ता और पास्तागेट जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगेएक शख्स ने ट्वीट कर सरकार के तर्कों की आलोचना करते हुए कहा, क्या आपको पता है कि पास्ता खाने से पेट फूल जाता है और यह ओजोन परत के खराब होने के कारणों में से एक है।एक अन्य शख्स ने बताया कि हाल के सालों में उसे कुछ खाद्य सामानों को बार-बार अपनी लिस्ट से हटाना पड़ा है।उन्होंने कहा, मुझे नौकरी की वजह से दोपहर में बाहर खाना पड़ता है। चार साल पहले तक मैं चिकन या कबाब खरीद सकता था। जब ट्रंप ने परमाणु डील से बाहर निकलने का फैसला किया तो हमें आर्थिक तौर पर झटका लगा। मैंने चिकन और कबाब खरीदना बंद कर दिया और इसके बजाये पास्ता या कुकीज खरीदना शुरू किया। उन्होंने कहा, अब मैं पास्ता और कुकीज भी नहीं खरीद सकता क्योंकि इनकी कीमतें आसमान छू रही हैं। एक पत्रकार ने बताया, रईसी सरकार लोगों को परेशान कर रही है। पिछले कुछ महीनों में सरकार तेल प्रतिबंधों को दरकिनार कर कारोबार करने की शेखी बघार रही थी लेकिन अब स्पष्ट हो चुका है कि ये बड़े झूठ थे। उन्होंने कहा, अगर रईसी सरकार को तेल से मुनाफा होता तो वह सब्सिडी में कटौती करने का रास्ता नहीं अख्तियार करती। सरकार के इस कदम से स्पष्ट है कि उनके पास सब्सिडी देने लायक पैसा नहीं है। ईरान के कामकाजी वर्ग को एक और झटका उस समय लगा, जब फलाफेल सैंडविच की कीमतें भी आसमान छूने लगी।पहले एक फलाफेल सैंडविच की कीमत 15,000 तोमान (0।50 डॉलर) होती थी लेकिन तेहरान रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन के चेयरमैन अहमदी शहरीवर ने बताया कि अब इस सैंडविच की कीमत दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा, कीमत बढ़ने से फलाफेल जैसे सस्ते सैंडविच जो आमतौर पर कम वेतन वाले लोगों के बीच पॉपुलर थे, उनके लिए अब ये पहुंच से बाहर की चीज हो गए हैं।इस बीच सरकार ने कुकिंग ऑयल पर मिलने वाली सब्सिडी में भी कटौती कर दी, जिससे सैंडविच बनाने वाली दुकानों और कम आय वाले लोगों को अधिक परेशानी होने लगी।साफ है कि सरकार के इन कदमों ने लोगों को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। ईरान के कई शहरों और प्रांतों में महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद पुलिस, प्रदर्शनकारियों पर बल का प्रयोग करने से नहीं चूकी।