देश / एनडीए में एंट्री नहीं मिलना महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं: एससी से केंद्र

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि महिलाओं को नैशनल डिफेंस अकैडमी (एनडीए) व इंडियन नेवल अकैडमी (आईएनए) में भर्ती नहीं किया जाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। बकौल केंद्र, वहां प्रशिक्षण ले रहे पुरुष कैडेट्स को भविष्य में तरक्की के लिए कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलता। महिलाएं सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत आती हैं।

Vikrant Shekhawat : Aug 18, 2021, 03:00 PM
नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने महिला अभ्यर्थियों के लिए राष्‍ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के दरवाजे फिलहाल तो खोल दिए हैं। अदालत ने लड़कियों को 5 सितंबर को होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है। याचिका में योग्‍य महिला अभ्‍यर्थियों के NDA में दाखिले की अनुमति मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए इसकी इजाजत दे दी है। हालांकि NDA में एडमिशन होगा या नहीं, यह अदालत के आखिरी फैसले पर निर्भर करेगा।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने अंतरिम आदेश जारी किया। याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को NDA जॉइन करने से दूर रखने पर संविधान के अनुच्‍छेद 14, 15, 16 और 17 का उल्‍लंघन होता है। याचिकाकर्ता के अनुसार, लिंग के आधार पर महिला अभ्‍यर्थियों को NDA में एंट्री के मौके से वंचित रखा जा रहा है।

सैनिक स्‍कूलों में गर्ल्‍स की होनी है एंट्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्‍वतंत्रता दिवस पर एक अहम घोषणा की थी। अब देश के सभी सैनिक स्‍कूलों में लड़कियां एडमिशन ले सकेंगी। NDA में हर साल पहुंचने वाले लड़कों में ज्‍यादातर सैनिक स्‍कूल के ही होते हैं। ऐसे में अगर NDA में लड़कियों की एंट्री का रास्‍ता साफ होता है तो सैनिक स्‍कूल से और कैडे्टस NDA में नजर आएंगे।

रक्षा बलों में मिला है परमानेंट कमिशन

2020 में सैन्‍य बलों की महिला अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद परमानेंट कमिशन दिया गया था। अदालत ने पिछले साल 17 फरवरी को अपने ऐतिहासिक फैसले में केंद्र से कहा था कि शॉर्ट सर्विस कमिशन की सभी सेवारत महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने पर विचार करे, भले ही उन्होंने 14 साल की अवधि पूरी कर ली हो या 20 साल की सेवा की हो। केंद्र ने नवंबर में फैसले पर अमल किया। इसी के बाद मिलिट्री कॉलेज/स्‍कूलों में लड़कियों के एडमिशन की इजाजत देने की मांग जोर पकड़ने लगी थी।