Zee News : Aug 31, 2020, 09:30 AM
मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) ने मुखपत्र सामना (Saamana) में मंदिरों को खोलने के लिए बीजेपी (BJP) द्वारा किए जा रहे घंटानाद आंदोलन पर निशाना साधा है। सामना में लिखा है कि देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि धार्मिक स्थानों को खोलने के पश्चात सोशल डिस्टेंसिंग रखना लोगों को आता है, लेकिन भाजपा की ओर से जो घंटानाद आंदोलन हुआ, उसकी तस्वीरें देखने के पश्चात समझ में आया कि ‘डिस्टेंसिंग’ की धज्जियां कैसे उड़ी हैं।असल में 'मन की शांति' क्या है?इसलिए मंदिरों को खोलने के मामले में विरोधियों को कुछ बोलने के पहले महाराष्ट्र के हालात को समझना आवश्यक है। जिस ‘मन की शांति’ का उद्घोष राज्य के विरोधी दल नेता कर रहे हैं, उस मन की शांति का सही मायनों में मतलब समझ लेना चाहिए। मन की शांति का मार्ग त्याग से होकर गुजरता है। मन की शांति महात्मा गौतम बुद्ध, वर्धमान महावीर और स्वामी विवेकानंद जैसी होती है। गौतम बुद्ध ने मन की शांति के लिए राजपाठ का त्याग तो किया ही, साथ ही कठोर साधना भी की। ऐसा त्याग आज के राजनेता करेंगे क्या? पहले लोगों को जिंदा रखो, फिर आगे देखेंगे!दो समय का चूल्हा जलाना ही लाखों लोगों के लिए मन की शांति होती है और कई लोगों को राजनीतिक कुर्सी की प्राप्ति ही मन की शांति का मार्ग प्रतीत होती है। क्रांतिवीर मदनलाल धींगरा ने फांसी पर जाने के पहले मन की शांति प्राप्त की थी। वीर बाजीप्रभु देशपांडे को पांच तोपों की आवाज सुनने के पश्चात ही मन की शांति मिली थी। मन की शांति राष्ट्रीय, धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भी होती है। मंदिरों के ताले खोलने चाहिए लेकिन राजनीतिक मन की शांति के लिए नहीं। पहले लोगों को जिंदा रखो, फिर आगे देखेंगे!