NEET 2020 / शोएब आफताब ने रच दिया इतिहास, जानिए कैसे आये 720 में 720

नीट के पहले ही प्रयास में परफेक्ट 720 अंक हासिल करके राउरकेला ओडिशा के रहने वाले शोएब आफताब ने इतिहास रच दिया है। वो अपने परिवार में पहले डॉक्टर बन रहे हैं। उनके पिता शेख मोहम्मद अब्बास व्यवसायी और मां सुल्ताना रिजया गृहणी हैं। शोएब ने अपनी सफलता के पीछे अपनी मां की खास भूमिका बताई जो उनके लिए अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर आईं।

Vikrant Shekhawat : Oct 16, 2020, 10:00 PM
NEET 2020: लॉकडाउन के बाद से ही नीट की परीक्षा पर सस्पेंस बना हुआ था। लेकिन अब नीट 2020 का परिणाम आ चूका है। नीट के पहले ही प्रयास में परफेक्ट 720 अंक हासिल करके राउरकेला ओडिशा के रहने वाले शोएब आफताब ने इतिहास रच दिया है। वो अपने परिवार में पहले डॉक्टर बन रहे हैं। उनके पिता शेख मोहम्मद अब्बास व्यवसायी और मां सुल्ताना रिजया गृहणी हैं। शोएब ने अपनी सफलता के पीछे अपनी मां की खास भूमिका बताई जो उनके लिए अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर आईं। 

23 मई 2002 को जन्मे शोएब ने एलन करियर इंस्टीट्यूट, कोटा से कोचिंग की थी। उन्होंने नीट परीक्षा में 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं। शोएब अपने परिवार में पहले शख्स हैं जो मेडिकल की पढ़ाई करेंगे और डॉक्टर बनेंगे। शोएब ने aajtak।in से बातचीत में बताया कि डॉक्टर बनना सपना था जो अब साकार होने जा रहा है। वो साल 2018 में कोटा आए थे। उन्होंने कहा कि मुझे बेस्ट कॉम्पीटिशन मिला और मैंने अपना बेस्ट देने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि मैं कोटा में अपनी मां और छोटी बहन के साथ पीजी में रहता था। 

शोएब ने इसी वर्ष 12वीं में 95।8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। उनकी केवीपीवाई में ऑल इंडिया 37वीं रैंक और 10वीं में 96।8 प्रतिशत अंक थे। उन्होंने कहा कि एलन के टीचर्स की गाइडेंस से ही मैंने यह सफलता प्राप्त की है। उन्हें इस दौरान लॉकडाउन का भी फायदा मिला। शोएब ने कहा कि इस दौरान मैं रुका नहीं, मैंने अपनी कमजोरियां दूर कीं, मैं नीट के सिलेबस में कमजोर टॉपिक्स को बार-बार रिवाइज करता गया। इससे डाउट्स भी सामने आते गए। जो टॉपिक्स मजबूत थे, उन पर ज्यादा फोकस नहीं किया। 

शोएब ने बताया कि मैं कोचिंग के दौरान क्लासरूम का होमवर्क डेली करता था और तीनों विषयों को बराबर समय देता था। मैं रोजाना शेड्यूल बनाकर पढ़ाई करता रहा हूं, हर सब्जेक्ट को अलग-अलग समय देता हूं। मोड्यूल्स और वीकली टेस्ट से काफी हेल्प मिली। वाट्सऐप का उपयोग फैकल्टीज से डाउट्स आदि पूछने के लिए करता था। 

लॉकडाउन में भी घर नहीं गया

शोएब अपने लक्ष्य के प्रति कितने गंभीर हैं यह इस बात से पता चलता है कि एक बार घर से कोटा आने के बाद ढाई साल तक शोएब घर नहीं गए। वो बताते हैं कि कई मौके आए जब पापा ने कहा कुछ दिन के लिए घर आ जाओ लेकिन मैं नहीं गया। दीपावली व ईद की छुट्टियां भी थीं लेकिन मैं कोटा ही रहा और पढ़ाई में व्यवधान नहीं आने दिया। कोराना काल में भी कोटा में ही रहा, लॉकडाउन में भी जब सब घर गए तो मैं यहीं रुका, इससे मेरी तैयारी और अच्छी हो गई। मैंने सारा रिवीजन कर लिया। 

मां ने द‍िया साथ 

शोएब ने कहा कि यहां मम्मी मेरे साथ रहीं इसलिए खाने-पीने की परेशानी नहीं आई। वैसे भी बोर्ड एग्जाम के बाद इतना समय नहीं मिल पाता कि नीट के पूरे सिलेबस को रिवाइज कर लिया जाए। इसलिए मैंने लॉकडाउन के 5 महीनों का पूरा उपयोग किया। टॉपिक्स का मल्टीपल रिवीजन किया ताकि कहीं कोई गुंजाइश नहीं रह जाए। 

लाइलाज बीमारी का इलाज ढूंढना चाहता हूं

शोएब ने बताया कि एम्स से एमबीबीएस करने के बाद कार्डियोलॉजी में स्पेशलिस्ट बनना चाहता हूं। इसके साथ ही एक और सपना है कि मैं ऐसी बीमारियों का इलाज ढूंढना चाहता हूं जो जिनका इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है, ऐसी रिसर्च के क्षेत्र में जाना चाहता हूं। 

इसलिए बनना चाहता हूं डॉक्टर

शोएब ने बताया कि हमारे मम्मी और पापा दोनों के परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है। पिता शेख मोहम्मद बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं और बीकॉम तक पढ़े हैं। मां सुल्ताना रजिया गृहिणी हैं और बीए पास हैं। मेरे दादा बेकरी चलाया करते थे। मेरी रुचि साइंस में थी और मेडिकल क्षेत्र में जाना चाहता था, पापा भी कहते थे कि मेडिकल की तैयारी करो डॉक्टर बनो तो मैंने बायोलॉजी ली। 

बायोलॉजी के साथ-साथ मैथ्स की भी पढ़ाई

शोएब ने बायोलॉजी के साथ-साथ मैथ्स की भी पढ़ाई की। अपनी फिजिक्स और कैमेस्ट्री स्ट्रांग करने के लिए जेईई स्तर की तैयारी की। यही नहीं शोएब ने जेईई-मेंस की परीक्षा भी दी और उसमें 99।7 पर्सेन्टाइल भी हासिल किए। शोएब ने कहा कि जेईई-मेंस देने से मुझमें कॉन्फीडेंस आया और मैं नीट में और अच्छा परफॉर्म कर सका।