Gyanvapi Case / मुस्लिम पक्ष को ज्ञानवापी मामले में झटका- कोर्ट ने सुनवाई हिंदू पक्ष की याचिका को किया मंजूर

ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को एक और झटका लगा है। जिला कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। जिला कोर्ट ने 7 नवंबर की याचिका खारिज की है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। ज्ञानवापी मामले में बड़ी खबर आई है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष (अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी) की याचिका खारिज कर दी है। वहीं फास्ट ट्रैक कोर्ट ने वादी किरण सिंह की याचिका को स्वीकार

Vikrant Shekhawat : Nov 17, 2022, 06:34 PM
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को एक और झटका लगा है। जिला कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। जिला कोर्ट ने 7 नवंबर की याचिका खारिज की है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। ज्ञानवापी मामले में बड़ी खबर आई है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष (अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी) की याचिका खारिज कर दी है। वहीं फास्ट ट्रैक कोर्ट ने वादी किरण सिंह की याचिका को स्वीकार कर लिया है।

हिंदू पक्ष ने ये की थी मांग

किरण सिंह ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग के पूजा का अधिकार, हिंदुओं को ज्ञानवापी परिसर सौंपने और मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंध करने को लेकर याचिका दायर की थी। मुस्लिम पक्ष ने आर्डर 7 रूल 11 का हवाला देकर अदालत से कहा था  कि मुकदमा चलने लायक नहीं है। इस मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने खारिज किया है। फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन महेन्द्र कुमार पांडेय की अदालत में मुकदमा चल रहा था। याचिका स्वीकार करने के कोर्ट के निर्णय के बाद हिंदू पक्ष में हर्ष है।

वादी किरण सिंह ने तीन मांगों को लेकर याचिका दाखिल की थी।

  • ज्ञानवापी में मिले तथाकथित शिवलिंग के बाद तत्काल प्रभाव से भगवान आदि विशेश्वर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की पूजा-अर्चना प्रारंभ करवाई जाए
  • संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंप दिया जाए
  • ज्ञानवापी परिसर में मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंधित किया जाए
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का ये था दावा

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का दावा था कि यह केस सुनवाई योग्य नहीं है। इस मुकदमा को खारिज कर दिया जाना चाहिए। ज्ञानवापी वक्फ की संपत्ति है और वहां द प्लेसेस ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजंस) एक्ट, 1991 लागू होता है। सिविल कोर्ट को इस मामले में सुनवाई का अधिकार ही नहीं है। हालांकि फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी।