News18 : Sep 14, 2020, 07:55 AM
सिंगापुर। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों को आसानी से हल करने में मददगार सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संधि (Singapore International Arbitration Treaty) शनिवार से लागू हो गई है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की सिंगापुर कन्वेंशन ऑन मिडिएशन के नाम से जानी जाने वाली यह संधि भारत और अन्य देशों में आपसी व्यावसायिक और बड़े कॉरपोरेट विवादों को निपटाने में मध्यस्थता का प्रभावी तरीका प्रदान करती है। बयान के अनुसार, शनिवार को लागू हुआ कन्वेंशन, भारत की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगा। एक सितंबर, 2020 तक भारत, अमेरिका, चीन और दक्षिण कोरिया समेत करीब 53 देश इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके थे। सिंगापुर, फिजी, कतर, सउदी अरब और बेलारूस ने भी इसमें शामिल हो गए हैं। इक्वाडोर ने भी हाल ही में इसका समर्थन किया है। इससे भारत और दुनियाभर के व्यापारियों में सीमा पार व्यापारिक विवादों को हल करने में प्रभावी मध्यस्थता के माध्यम से अब अधिक निश्चितता होगी।
बता दें कि सिंगापुर के नाम पर होने वाली यह संयुक्त राष्ट्र की पहली संधि भी है। सिंगापुर के कानून मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी बयान में कहा गया कि विवादों के निपटान के लिए प्रत्येक देश की एक घरेलू और खर्चीली प्रक्रिया होती है। इनसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण व्यावसायिक मुद्दे लंबे समय तक विवादों में उलझे रहते हैं। कन्वेंशन के लागू होने के साथ, सीमा पार व्यवसाय से जुड़े विवादों के समाधान के लिए सदस्य देशों द्वारा सीधे आवेदन किए जा सकेंगे। संधि के तहत सामंजस्य आधारित और सरल एवं प्रभावी ढांचे से विवाद समाधान में समय और कानूनी लागत की बचत भी होगी, जो कोविड-19 महामारी के दौरान अनिश्चितता के समय में व्यवसायों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।कन्वेंशन का लागू होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर
अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के सचिव जुबिन-ब्रेट ने कहा कि कन्वेंशन सफलतापूर्वक लागू होने के साथ, हम इसे मध्यस्थता पर अंतरराष्ट्रीय ढांचे में निश्चितता और स्थिरता लाने के लिए तत्पर हैं, और सतत विकास लक्ष्यों में योगदान दे रहे हैं। वहीं, सिंगापुर के गृह और कानून मामलों के मंत्री के शनमुगम ने कहा कि कन्वेंशन का लागू होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान के प्रभावी ढांचे को और मजबूत करता है। कन्वेंशन के लिए सिंगापुर ने संयुक्त राष्ट्र के कमीशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ और अन्य संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ लंबे समय से काम किया था। बता दें कि सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक विवाद समाधान सेवाओं का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। बीते वर्षों में यहां विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की गई है। इनमें सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर, सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और सिंगापुर इंटरनेशनल कमर्शियल कोर्ट आदि प्रमुख हैं।
बता दें कि सिंगापुर के नाम पर होने वाली यह संयुक्त राष्ट्र की पहली संधि भी है। सिंगापुर के कानून मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी बयान में कहा गया कि विवादों के निपटान के लिए प्रत्येक देश की एक घरेलू और खर्चीली प्रक्रिया होती है। इनसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण व्यावसायिक मुद्दे लंबे समय तक विवादों में उलझे रहते हैं। कन्वेंशन के लागू होने के साथ, सीमा पार व्यवसाय से जुड़े विवादों के समाधान के लिए सदस्य देशों द्वारा सीधे आवेदन किए जा सकेंगे। संधि के तहत सामंजस्य आधारित और सरल एवं प्रभावी ढांचे से विवाद समाधान में समय और कानूनी लागत की बचत भी होगी, जो कोविड-19 महामारी के दौरान अनिश्चितता के समय में व्यवसायों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।कन्वेंशन का लागू होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर
अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के सचिव जुबिन-ब्रेट ने कहा कि कन्वेंशन सफलतापूर्वक लागू होने के साथ, हम इसे मध्यस्थता पर अंतरराष्ट्रीय ढांचे में निश्चितता और स्थिरता लाने के लिए तत्पर हैं, और सतत विकास लक्ष्यों में योगदान दे रहे हैं। वहीं, सिंगापुर के गृह और कानून मामलों के मंत्री के शनमुगम ने कहा कि कन्वेंशन का लागू होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान के प्रभावी ढांचे को और मजबूत करता है। कन्वेंशन के लिए सिंगापुर ने संयुक्त राष्ट्र के कमीशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ और अन्य संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ लंबे समय से काम किया था। बता दें कि सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक विवाद समाधान सेवाओं का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। बीते वर्षों में यहां विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की गई है। इनमें सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर, सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और सिंगापुर इंटरनेशनल कमर्शियल कोर्ट आदि प्रमुख हैं।