Vikrant Shekhawat : Apr 28, 2022, 09:50 AM
आमतौर पर यह धारणा होती है कि उद्योगपतियों के मुकाबले छोटे दुकानदारों को दिए गए कर्ज पर जोखिम ज्यादा रहता है। लेकिन, वास्तव में ऐसा नहीं है। एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, रेहड़ी-पटरी वाले छोटे दुकानदार कर्ज चुकाने के मामले में ज्यादा ईमानदार होते हैं।देश के सबसे बड़े बैंक ने रेहड़ी-पटरी वालों को जितना कर्ज दिया, उनमें एनपीए की हिस्सेदारी 20 फीसदी से भी कम रही। इससे बैंक की वित्तीय सेहत पर भी ज्यादा असर नहीं हुआ क्योंकि इस कर्ज पर सरकार की गारंटी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम स्वनिधि योजना के तहत दूसरी बार कर्ज लेने वाले रेहड़ी-पटरी वालों ने समय पर बकाया चुकाया। इसमें सिर्फ 1.7 फीसदी कर्ज ही एनपीए बना। 90 दिन में भुगतान नहीं करने पर कर्ज एनपीए बन जाता है।
- स्वनिधि योजना के तहत दूसरी बार कर्ज लेने वाले छोटे दुकानदारों ने समय पर चुकाया बकाया
- सरकार की गारंटी होने से एनपीए के कारण बैंक की वित्तीय सेहत पर असर नहीं