NDTV : Dec 11, 2019, 09:50 AM
अहमदाबाद: गुजरात से कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लोकसभा में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक (कैब) के पारित होने की निंदा करते हुए कहा कि इस प्रस्तावित कानून से सांप्रदायिक विभाजन बढ़ेगा जबकि इसका असली उद्देश्य हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाना है। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) अनहद के देव देसाई और 230 अन्य कार्यकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है, ‘‘नागरिकता संशोधन विधेयक का घोषित उद्देश्य पड़ोसी देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को शरण देना है, लेकिन यह केवल अल्पसंख्यकों और देशों के एक छोटे, बहुत खास समूह पर लागू होता है। इसमें पाकिस्तान से अहमदियों, म्यामां से रोहिंग्या और श्रीलंका से तमिलों को आसानी से छोड़ दिया गया है।''इसमें कहा गया है, ‘‘यह विधेयक शरणार्थियों की रक्षा करने के बारे में नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य केवल हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाना है। यह प्रस्तावित कानून देशभर में और विशेषकर बंगाल, असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भावनाओं को भड़कायेगा और सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ायेगा।'' सामाजिक कार्यकर्ता शीबा जॉर्ज, एडमिरल रामदास, अनहद की शबनम हाशमी, जन संघर्ष मंच के एन सिन्हा और हेमंतकुमार शाह उन अन्य लोगों में शामिल हैं जिनके पत्र में हस्ताक्षर हैं।लोकसभा में सोमवार की रात इस विधेयक को सात घंटे से भी अधिक समय तक चली चर्चा के बाद पारित किया गया। नागरिकता संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी - हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है।