US-China / साउथ चाइना सी: चीनी सेना ने दिखाई आंख, ड्रैगन से जंग की तैयारी में जुटा अमेरिका

दक्षिण चीन सागर में चीन की सेना और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। परमाणु हथियारों से लैस दोनों ही देशों की सेनाएं इस इलाके में जोरदार युद्धाभ्‍यास कर रही हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच संघर्ष भड़कने की आशंका मंडराने लगी है। इस बीच चीन के किसी भी दुस्‍साहस से निपटने के लिए अमेरिका अब ड्रैगन की चौतरफा घेरेबंदी में जुट गया है।

NavBharat Times : Jul 13, 2020, 04:57 PM
दक्षिण चीन सागर में चीन की सेना और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। परमाणु हथियारों से लैस दोनों ही देशों की सेनाएं इस इलाके में जोरदार युद्धाभ्‍यास कर रही हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच संघर्ष भड़कने की आशंका मंडराने लगी है। इस बीच चीन के किसी भी दुस्‍साहस से निपटने के लिए अमेरिका अब ड्रैगन की चौतरफा घेरेबंदी में जुट गया है। चीन के किसी भी संभावित हमले से निपटने के लिए अमेरिका द्वितीय विश्‍वयुद्ध के समय के अपने एक नौसैनिक ठिकाने के आधुनिकीकरण में जुट गया है।

वेक द्वीप सैन्‍य अड्डे को आधुनिक बना रहा US

चीन के खतरे से निपटने के लिए अमेरिका अब अपने द्वितीय विश्‍वयुद्ध के समय के नौसैनिक अड्डे को आधुनिक बनाने में जुट गया है। अमेरिका प्रशांत महासागर में स्थित अपने वेक द्वीप पर बने नेवल बेस को आधुनिक बनाने में जुट गया है। यह द्वीप अमेरिका के हवाई और जापान के बीच में स्थित है। अमेरिका अपने गुआम में बने नेवल बेस और वेक द्वीप पर बने नेवल बेस से चीन और उत्‍तर कोरिया की हर हरकत पर नजर रख सकेगा। द्वितीय विश्‍व युद्ध के समय वेक द्वीप समूह जापान और अमेरिका के बीच भीषण युद्ध का गवाह बना था।


चीन, उत्‍तर कोरिया की मिसाइलों की पहुंच से दूर

यह प्रशांत महासागर में अमेरिका की एक रणनीतिक पोस्‍ट है जहां नौसैनिक आराम करते हैं और तेल तथा रिपेयर कराते हैं। हवाई न्‍यूज सर्विस केआईटीवी4 की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका वेक द्वीप के अड्डे को आधुनिक बनाने के लिए जोरशोर से गतिविधियां चला रहा है। यहां पर अमेरिकी वायुसेना के लिए आधारभूत ढांचे बनाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह अमेरिकी नेवल बेस चीन और उत्‍तर कोरिया के मध्‍यम दूरी की मिसाइलों की रेंज में नहीं आता है। इस द्वीप पर तीन किमी लंबा रनवे है। यहां पर लड़ाकू विमान आसानी से उतर सकते हैं। इस पूरे अड्डे को अब आधुनिक रूप दिया जा रहा है।


दक्षिण चीन सागर में चीन रच रहा है नापाक साजिश

चीन साउथ चाइना सी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कृत्रिम द्वीप बनाने के बाद चीन रणनीतिक रूप से बेहद अहम इस समुद्र में एक और नापाक कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। करीब 10 साल तक योजना बनाने के बाद चीन अब दक्षिण चीन सागर में एयर डिफेंस आइडेंटिफ‍िकेशन जोन बनाने जा रहा है। चीन अपने इस जोन में ताइवान और वियतनाम के नियंत्रण वाले द्वीपों को भी शामिल करने जा रहा है जिससे अमेरिका और पड़ोसी देशों के साथ उसका तनाव चरम पर पहुंच सकता है।


दक्षिण चीन सागर में चीन की सेना का महाभ्‍यास

चीन जबरन यह दावा करता है कि वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया और ताइवान से सटा समुद्र तटीय इलाका उसका है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में परासेल और स्‍पार्टले नाम से कृत्रिम द्वीपों की एक श्रृंखला बनाई है। इन द्वीपों पर चीन ने हवाई पट्टी बनाई है, फाइटर जेट, मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम और अन्‍य सैन्‍य साजो सामान तैनात किए हैं। चीन इन द्वीपों के पास व्‍यापक युद्धाभ्‍यास कर रहा है करीब 70 दिनों तक चलेगा। माना जा रहा है कि चीन यह युद्धाभ्‍यास अपने पड़ोसियों और ताइवान को डराने के लिए कर रहा है।


अमेरिका ने भेजे अपने 'सुपर एयरक्राफ्ट कैरियर'

चीन की चुनौती से निपटने के लिए अमेरिका ने अपने दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाले एयरक्राफ्ट कैरियर भेजे हैं। ये दोनों ही विमानवाहक पोत भी दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्‍यास कर रहे हैं। अमेरिका की जवाबी कार्रवाई बौखलाए चीन ने अब अपनी मिसाइलों का डर दिखाया है। भारत के खिलाफ जहर उगल रहे चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने अमेरिका को भी 'धमकी' दी है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा कि चीन की सेना की किलर मिसाइलें डोंगफेंग-21 और डोंगफेंग-25 अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर सकती हैं। चीन की इस धमकी के बाद अमेरिका ने भी करारा जवाब दिया था।