AajTak : Jun 23, 2020, 05:06 PM
Covid19: एक स्टडी में ये पता चला है कि कोरोना से ठीक होने वाले हर तीन में से एक मरीज को जिंदगी भर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं और लंबे वक्त के लिए उनके फेफड़े को भी नुकसान पहुंच सकता है। ब्रिटिश टेलिग्राफ अखबार ने इंग्लैंड की प्रमुख स्वास्थ्य एजेंसी नेशनल हेल्थ सर्विस के गाइडेंस के हवाले से ये बातें प्रकाशित की हैं।
ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के गाइडेंस में कहा गया है कि कोरोना से ठीक होने वाले 30 फीसदी मरीजों के फेफड़ों को क्षति पहुंच सकती है। इन्हें लगातार थकान आने की समस्याएं और मानसिक तकलीफ भी हो सकती है। वहीं, आईसीयू में इलाज के बाद जो मरीज ठीक हुए हैं उनमें से आधे लोगों को लंबे वक्त तक दिक्कतें आ सकती हैं।हेल्थ एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि इस बात के लगातार सबूत मिल रहे हैं कि कोरोना से शरीर को स्थाई समस्याएं हो सकती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना से बीमार होकर ठीक होने वाले लोगों के दिमाग को भी नुकसान पहुंच सकता है और अलजाइमर का खतरा पैदा हो सकता है।एनएचएस के कोविड रिकवरी सेंटर के प्रमुख हिलेरी फ्लॉयड ने कहा कि उन्हें इस बात को लेकर चिंता हो रही है कि कोरोना के लंबे समय तक पड़ने वाले असर के बारे में बेहद कम जानकारी मौजूद है। काफी मरीजों को कोरोना निगेटिव होने के बाद भी इलाज की जरूरत पड़ती है।हिलेरी ने कहा कि उनके 40 से 50 साल के कई मरीज जो ठीक हो चुके हैं, अब कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग पहले सबकुछ खुद से करते थे, जिम, स्विमिंग, बिजनेस वगैरह, लेकिन अब कोरोना से निगेटिव होने के बाद भी वे अपने बेड से उठ नहीं पा रहे हैं।
ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के गाइडेंस में कहा गया है कि कोरोना से ठीक होने वाले 30 फीसदी मरीजों के फेफड़ों को क्षति पहुंच सकती है। इन्हें लगातार थकान आने की समस्याएं और मानसिक तकलीफ भी हो सकती है। वहीं, आईसीयू में इलाज के बाद जो मरीज ठीक हुए हैं उनमें से आधे लोगों को लंबे वक्त तक दिक्कतें आ सकती हैं।हेल्थ एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि इस बात के लगातार सबूत मिल रहे हैं कि कोरोना से शरीर को स्थाई समस्याएं हो सकती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना से बीमार होकर ठीक होने वाले लोगों के दिमाग को भी नुकसान पहुंच सकता है और अलजाइमर का खतरा पैदा हो सकता है।एनएचएस के कोविड रिकवरी सेंटर के प्रमुख हिलेरी फ्लॉयड ने कहा कि उन्हें इस बात को लेकर चिंता हो रही है कि कोरोना के लंबे समय तक पड़ने वाले असर के बारे में बेहद कम जानकारी मौजूद है। काफी मरीजों को कोरोना निगेटिव होने के बाद भी इलाज की जरूरत पड़ती है।हिलेरी ने कहा कि उनके 40 से 50 साल के कई मरीज जो ठीक हो चुके हैं, अब कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग पहले सबकुछ खुद से करते थे, जिम, स्विमिंग, बिजनेस वगैरह, लेकिन अब कोरोना से निगेटिव होने के बाद भी वे अपने बेड से उठ नहीं पा रहे हैं।