Vikrant Shekhawat : Jun 10, 2021, 10:40 AM
Delhi: आज साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। आकाश में इस सूर्य ग्रहण का नजारा 'रिंग ऑफ फायर' जैसा होगा, जहां चांद के पीछे छिपा सूरज आग में तपती किसी अंगूठी की तरह नजर आएगा। हालांकि, 'रिंग ऑफ फायर' का ये नजारा उत्तरी गोलार्ध में बसे लोगों को ही एक वलयाकार सूर्य ग्रहण के रूप में नजर आएगा।
कब होता है सूर्य ग्रहण- यह खगोलीय घटना आकाश में उस वक्त होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच में आ जाता है। ऐसे में पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की कम से कम कुछ किरणें अवरुद्ध हो जाती हैं और और कुछ समय के लिए एक विशेष इलाके में अंधेरा छा जाता है। हालांकि, चंद्रमा छोटा होने की वजह से सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता है और उसके किनारे आग के छल्ले की तरह नजर आते हैं। आज हम एक वलयाकार सूर्य ग्रहण देख पाएंगे। इस दौरान, चंद्रमा अपनी अंडाकार कक्षा में पृथ्वी से बहुत दूर होता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा के बाहरी किनारों से सूर्य आग के किसी छल्ले की तरह नजर आता है। इसे ही रिंग ऑफ फायर कहा जाता है जो कि साल का इकलौता वलयाकार सूर्य ग्रहण होने वाला है। हालांकि, रिंग ऑफ फायर देश-दुनिया की सभी जगहों पर नहीं दिखाई देगा।कहां दिखेगा- न्यूयॉर्क शहर में 'दि अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री' की एक एस्ट्रोफिजिसिस्ट जैकी फहर्टी ने Space।com से कहा कि ये आमतौर पर दिखने वाले सूर्य जैसा बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरा 'रिंग ऑफ फायर' उत्तरी अक्षांशों से दिखाई देगा, जिसमें नॉर्थ पोल के अलावा ग्रीनलैंड और कनाडा के कुछ हिस्से शामिल होंगे।फहर्टी ने बताया कि ज्यादातर लोग सूर्य ग्रहण के आंशिक रूप को ही देख पाएंगे, जो कि नॉर्थ अमेरिका, यूरोप और एशिया के कुछ चुनिंदा हिस्सों से ही नजर आएगा। भारत में यह नजारा लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों से ही देखा जा सकेगा। फाहर्टी ने यह भी कहा कि ये आंशिक सूर्य ग्रहण दिखने में अविश्वसनीय हो सकता है। उन्होंने कहा, 'गुरुवार को होने वाला आंशिक सूर्य ग्रहण बिल्कुल ऐसा दिखेगा जैसे 'डेथ स्टार्स' उगते हुए सूरज के सामने हों।'उन्होंने कहा, 'अमेरिका में भी साउथ-ईस्ट, नॉर्थ-ईस्ट, मिड वेस्ट और नॉर्दर्न अलास्का के लोग सूर्य ग्रहण के आंशिक रूप को देख सकेंगे। हालांकि उन्होंने लोगों को ये भी चेतावनी दी कि वे आई ग्लास के प्रोटेक्शन के बिना आसमान में इस घटना को न देखें।'कनाडा के ज्यादातर स्काईवॉचर्स के अलावा कैरीबियन, यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका की कुछ जगहों से भी लोग इस आंशिक सूर्य ग्रहण को देख पाएंगे। आप अपने इलाके में सूर्य ग्रहण के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए Nasa के Scientific Visualization Studio पर भी विजिट कर सकते हैं।बता दें कि हाल ही में लोगों ने मई के महीने में 'सुपर फ्लॉवर ब्लड मून' का नजारा देखा था। ये साल का इकलौता पूर्ण चंद्र ग्रहण था। फहर्टी ने समझाया कि यह कोई संयोग की बात नहीं है कि ये दो ग्रहण एक दूसरे के इतने करीब हो रहे हैं।उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि ये ग्रहण एक दूसरे का पीछा करते हैं। आप चंद्र ग्रहण के बाद सूर्य ग्रहण बैक टू बैक देखने जा रहे हैं। इसका कारण यह है कि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा है। यह पूरी तरह से गोलाकार नहीं है, लेकिन जब यह सीध में होता है तो लगभग पूरी तरह से गोलाकार कक्षा में ही होता है।बता दें कि 10 जून को लगने वाला ग्रहण वृष राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। ये ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर लगेगा और शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। ग्रहण एक बेहद महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। इस दौरान दुनिया भर के वैज्ञानिक तरह-तरह के रिसर्च करते हैं।
कब होता है सूर्य ग्रहण- यह खगोलीय घटना आकाश में उस वक्त होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच में आ जाता है। ऐसे में पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की कम से कम कुछ किरणें अवरुद्ध हो जाती हैं और और कुछ समय के लिए एक विशेष इलाके में अंधेरा छा जाता है। हालांकि, चंद्रमा छोटा होने की वजह से सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता है और उसके किनारे आग के छल्ले की तरह नजर आते हैं। आज हम एक वलयाकार सूर्य ग्रहण देख पाएंगे। इस दौरान, चंद्रमा अपनी अंडाकार कक्षा में पृथ्वी से बहुत दूर होता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा के बाहरी किनारों से सूर्य आग के किसी छल्ले की तरह नजर आता है। इसे ही रिंग ऑफ फायर कहा जाता है जो कि साल का इकलौता वलयाकार सूर्य ग्रहण होने वाला है। हालांकि, रिंग ऑफ फायर देश-दुनिया की सभी जगहों पर नहीं दिखाई देगा।कहां दिखेगा- न्यूयॉर्क शहर में 'दि अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री' की एक एस्ट्रोफिजिसिस्ट जैकी फहर्टी ने Space।com से कहा कि ये आमतौर पर दिखने वाले सूर्य जैसा बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरा 'रिंग ऑफ फायर' उत्तरी अक्षांशों से दिखाई देगा, जिसमें नॉर्थ पोल के अलावा ग्रीनलैंड और कनाडा के कुछ हिस्से शामिल होंगे।फहर्टी ने बताया कि ज्यादातर लोग सूर्य ग्रहण के आंशिक रूप को ही देख पाएंगे, जो कि नॉर्थ अमेरिका, यूरोप और एशिया के कुछ चुनिंदा हिस्सों से ही नजर आएगा। भारत में यह नजारा लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों से ही देखा जा सकेगा। फाहर्टी ने यह भी कहा कि ये आंशिक सूर्य ग्रहण दिखने में अविश्वसनीय हो सकता है। उन्होंने कहा, 'गुरुवार को होने वाला आंशिक सूर्य ग्रहण बिल्कुल ऐसा दिखेगा जैसे 'डेथ स्टार्स' उगते हुए सूरज के सामने हों।'उन्होंने कहा, 'अमेरिका में भी साउथ-ईस्ट, नॉर्थ-ईस्ट, मिड वेस्ट और नॉर्दर्न अलास्का के लोग सूर्य ग्रहण के आंशिक रूप को देख सकेंगे। हालांकि उन्होंने लोगों को ये भी चेतावनी दी कि वे आई ग्लास के प्रोटेक्शन के बिना आसमान में इस घटना को न देखें।'कनाडा के ज्यादातर स्काईवॉचर्स के अलावा कैरीबियन, यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका की कुछ जगहों से भी लोग इस आंशिक सूर्य ग्रहण को देख पाएंगे। आप अपने इलाके में सूर्य ग्रहण के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए Nasa के Scientific Visualization Studio पर भी विजिट कर सकते हैं।बता दें कि हाल ही में लोगों ने मई के महीने में 'सुपर फ्लॉवर ब्लड मून' का नजारा देखा था। ये साल का इकलौता पूर्ण चंद्र ग्रहण था। फहर्टी ने समझाया कि यह कोई संयोग की बात नहीं है कि ये दो ग्रहण एक दूसरे के इतने करीब हो रहे हैं।उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि ये ग्रहण एक दूसरे का पीछा करते हैं। आप चंद्र ग्रहण के बाद सूर्य ग्रहण बैक टू बैक देखने जा रहे हैं। इसका कारण यह है कि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा है। यह पूरी तरह से गोलाकार नहीं है, लेकिन जब यह सीध में होता है तो लगभग पूरी तरह से गोलाकार कक्षा में ही होता है।बता दें कि 10 जून को लगने वाला ग्रहण वृष राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। ये ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर लगेगा और शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। ग्रहण एक बेहद महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। इस दौरान दुनिया भर के वैज्ञानिक तरह-तरह के रिसर्च करते हैं।