देश / वेश्यावृत्ति को सुप्रीम कोर्ट ने माना वैध पेशा, आदेश- इन्हें परेशान न करे पुलिस

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस (Police) को आदेश दिया है कि उन्हें सेक्स वर्कर्स के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने सेक्स वर्क को प्रोफेशन मानते हुए कहा कि पुलिस को वयस्क और सहमति से सेक्स वर्क करने वाले महिलाओं पर आपराधिक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

Vikrant Shekhawat : May 26, 2022, 06:33 PM
नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस (Police) को आदेश दिया है कि उन्हें सेक्स वर्कर्स के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने सेक्स वर्क को प्रोफेशन मानते हुए कहा कि पुलिस को वयस्क और सहमति से सेक्स वर्क करने वाले महिलाओं पर आपराधिक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सेक्स वर्कर्स भी कानून के तहत गरिमा और समान सुरक्षा के हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और एएस बोपन्ना की बेंच ने सेक्स वर्कर्स के अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में 6 निर्देश जारी करते हुए कहा कि सेक्स वर्कर्स भी कानून के समान संरक्षण के हकदार हैं।

कोर्ट ने कहा, जब यह साफ हो जाता है कि सेक्स वर्कर वयस्क है और अपनी मर्जी से यह काम कर रही है, तो पुलिस को उसमें हस्तक्षेप करने और आपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए। कोर्ट ने कहा, इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जब भी पुलिस छापा मारे तो सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार या परेशान न करे, क्योंकि इच्छा से सेक्स वर्क में शामिल होना अवैध नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है।

कोर्ट ने कहा, एक महिला सेक्स वर्कर है, सिर्फ इसलिए उसके बच्चे को उसकी मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए। मौलिक सुरक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन का अधिकार सेक्स वर्कर और उनके बच्चों को भी है। अगर नाबालिग को वेश्यालय में रहते हुए पाया जाता है, या सेक्स वर्कर के साथ रहते हुए पाया जाता है तो ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि बच्चा तस्करी करके लाया गया है। कोर्ट ने कहा, सेक्स वर्कर्स को भी नागरिकों के लिए संविधान में तय सभी बुनियादी मानवाधिकारों और अन्य अधिकारों का हक है। बेंच ने कहा, पुलिस को सभी सेक्स वर्कर्स से सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए और उन्हें मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। न ही उन्हें किसी भी यौन गतिविधि के लिए मजबूर करना चाहिए।