Vikrant Shekhawat : Oct 20, 2021, 10:20 PM
काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की सत्ता आते ही क्रूरता शुरू हो गई थी। अब तालबिना की एक और क्रूर हरकत सामने आई है। तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान की जूनियर नेशनल वॉलीबॉल महिला खिलाड़ी का सिर कलम कर दिया। फुटबाल टीम की कोच के हवाले से खबर है कि महजबीन हाकीमी (Mahjabeen Hakimi) अफगानिस्तान की जूनियर महिला वॉलीबॉल टीम में खेलती थीं, अक्टूबर महीने की शुरुआत में उनका सिर कलम कर हत्या की गई थी। परिवार को बात न करने की धमकीएक इंटरव्यू में, अफगान महिला वॉलीबॉल राष्ट्रीय टीम की कोच ने महजबीन कि सिर कलम कर हत्या किए जाने की पुष्टि की है लेकिन किसी को भी इस निर्मम हत्या के बारे में पता नहीं चला क्योंकि तालिबान के लड़ाकों ने खिलाड़ी के परिवार को इस बारे में बात न करने की धमकी दी थी। महजबीन, अशरफ गनी सरकार के पतन से पहले काबुल नगर पालिका वॉलीबॉल क्लब के लिए खेली थी, और क्लब के स्टार खिलाड़ियों में से एक थी। कुछ दिनों पहले, उसके कटे हुए सिर और खून से लथपथ गर्दन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं।हजारा समाज से था ताल्लुकमहजबीन हाकीमी हजारा जातीय समूह से ताल्लुक रखती थी। हजारा अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक हैं, तालिबान इनसे नफरत करता है और प्रताड़ित करता है। हजारा अफगानिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा जातीय समूह और एक धार्मिक अल्पसंख्यक है। सुन्नी बहुल अफगानिस्तान में लगभग 10 प्रतिशत मुसलमान शिया हैं और उनमें से लगभग सभी हजारा हैं। तालिबान और इस्लामिक स्टेट सुन्नी हैं। कहा जाता है कि हजारा मंगोलियाई और मध्य एशियाई मूल के हैं और मंगोलियाई नेता चंगेज खान के वंशज हैं। इन्होंने 13वीं शताब्दी में अफगानिस्तान पर आक्रमण किया था। वे ज्यादातर मध्य अफगानिस्तान के पहाड़ी इलाके में रहते हैं, जिसे 'हजारिस्तान' या हजाराओं की जमीन के रूप में जाना जाता है।महिलाओं के खेलने पर है प्रतिबंधअफगानिस्तान में 2018 संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की रिपोर्ट में कहा गया कि तालिबान द्वारा ज्यादाततर अल्पसंख्यक आबादी को निशाना बनाया जा रहा है। इनमें भी जिनमें से ज्यादातर हजारा जाति के लोगों पर हमले हुए। अफगान महिला राष्ट्रीय वॉलीबॉल टीम की कोच ने कहा कि अगस्त में तालिबान के कंट्रोल से पहले टीम के कुछ खिलाड़ी देश से भागने में सफल रहे। महजबीन हकीमी यहां से भागने में असफल रहीं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद खेलों, खास तौर पर महिलाओं के खेलों पर कड़े प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। देश में काफी कम महिला खिलाड़ी बची हैं, ज्यादातर महिला खिलाड़ी देश से बाहर निकल चुकी हैं।