Tata-Mahindra Cars / टाटा-महिंद्रा Musk के स्वागत को तैयार, कैसे होगी टेस्ला की नैया पार?

एलन मस्क लंबे समय से टेस्ला को भारत लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन टाटा मोटर्स और महिंद्रा ने भारतीय इलेक्ट्रिक कार बाजार में पकड़ मजबूत कर ली है। ट्रंप की वापसी से मस्क को नई रियायतें मिलने की उम्मीद है, पर टेस्ला को स्थानीय प्रतिस्पर्धा से बड़ी चुनौती मिल रही है।

Vikrant Shekhawat : Nov 29, 2024, 05:00 PM
Tata-Mahindra Cars: एलन मस्क की टेस्ला को भारत में लाने की कोशिशें लंबे समय से जारी हैं। उनकी योजना भारत के तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार में कदम रखने की है। लेकिन, उच्च आयात शुल्क और सरकार से रियायतों की मांग के चलते यह सपना अब तक अधूरा है। इसी बीच, भारत में घरेलू कंपनियां, जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा, इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही हैं।

अब सवाल यह उठता है कि टेस्ला के लिए भारत में जमीन तैयार है या नहीं? क्या अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी एलन मस्क की भारत यात्रा को नई गति देगी? आइए समझते हैं।


डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क की नजदीकी

डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बीच करीबी रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। हाल ही में, डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में नए ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी’ (DOGE) का नेतृत्व मस्क को सौंपा है। यह भूमिका मस्क को न केवल अमेरिका की नीतियों में दखल देने की शक्ति देती है, बल्कि वैश्विक व्यापार पर भी उनका प्रभाव बढ़ाती है।

डोनाल्ड ट्रंप का भारत के साथ व्यावसायिक दृष्टिकोण भी अहम है। अपने पिछले कार्यकाल में, उन्होंने हार्ले डेविडसन जैसी अमेरिकी कंपनियों पर भारत में लगने वाले उच्च आयात शुल्क का मुद्दा उठाया था। ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध हैं। ऐसे में उनकी वापसी से टेस्ला की भारत में एंट्री के लिए अनुकूल माहौल बनने की उम्मीद है।


टाटा और महिंद्रा: भारत के ईवी बाजार के नए चैंपियन

टेस्ला की भारत में एंट्री में देरी का सबसे बड़ा फायदा टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा को मिला है। इन दोनों कंपनियों ने भारतीय ईवी बाजार में शानदार प्रदर्शन किया है और ग्राहकों का भरोसा जीता है।

टाटा मोटर्स

टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। कंपनी के पास टिएगो, टिगॉर, नेक्सॉन, और कर्व जैसे कई इलेक्ट्रिक मॉडल्स हैं। जल्द ही, टाटा सिएरा जैसे बड़े इलेक्ट्रिक एसयूवी मॉडल के साथ उनकी बाजार हिस्सेदारी और बढ़ने की संभावना है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा

महिंद्रा ने BE 6e और XUV 9e जैसे एडवांस्ड मॉडल्स के साथ बाजार में अपनी जगह बनाई है। इन मॉडलों में उन्नत एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) जैसे फीचर्स हैं, जो न केवल इंसानों, बल्कि जानवरों को भी पहचानकर स्पीड कंट्रोल और ब्रेकिंग जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं। ये फीचर्स भारतीय सड़कों की परिस्थितियों के लिए अनुकूल हैं।

कीमत के मामले में भी, टाटा और महिंद्रा की गाड़ियां टेस्ला को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जहां BE 6e की कीमत ₹18.90 लाख है, वहीं XUV 9e ₹21.90 लाख में उपलब्ध है। इन कीमतों के साथ, भारतीय ग्राहक टेस्ला जैसे महंगे विकल्पों को चुनने में हिचक सकते हैं।


टेस्ला की मांगें और भारत सरकार का रुख

एलन मस्क ने शुरुआत में टेस्ला को भारत में कंप्लीट बिल्ट यूनिट (CBU) के रूप में इंपोर्ट करने की अनुमति मांगी थी। इसके लिए उन्होंने सरकार से इंपोर्ट ड्यूटी में छूट की मांग की थी, क्योंकि भारत में सीबीयू गाड़ियों पर 100% तक टैक्स लगता है।

हालांकि, भारत सरकार का मानना था कि टेस्ला को भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना चाहिए और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम का लाभ उठाना चाहिए। इसके बाद टेस्ला की भारत एंट्री पर चर्चा ठंडी पड़ गई।

हाल ही में, भारत सरकार ने ईवी पॉलिसी में बदलाव किया और विदेशी कंपनियों के लिए इंपोर्ट ड्यूटी कम कर दी। इससे एलन मस्क ने भारत आने की योजना फिर से बनाई। हालांकि, उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का प्लान रद्द होने के बाद अब तक कोई बड़ा अपडेट सामने नहीं आया है।


भारत में टेस्ला: संभावनाएं और चुनौतियां

भारत के ईवी बाजार में टेस्ला के लिए संभावनाएं तो हैं, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

  1. घरेलू प्रतिस्पर्धा: टाटा और महिंद्रा जैसे ब्रांड्स पहले से ही किफायती और भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेश कर रहे हैं।

  2. कीमत: टेस्ला की गाड़ियों की कीमत भारतीय बाजार के लिए अधिक हो सकती है।

  3. इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत में चार्जिंग स्टेशन और अन्य ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित हो रहा है, लेकिन यह टेस्ला जैसे ब्रांड्स की आवश्यकताओं को पूरी तरह से पूरा नहीं करता।


निष्कर्ष

एलन मस्क की टेस्ला के लिए भारत में कदम रखना एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे घरेलू ब्रांड्स ने ईवी बाजार में मजबूत पकड़ बना ली है और टेस्ला के लिए मुकाबला कठिन कर दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और एलन मस्क को दी गई नई जिम्मेदारी से यह संभव है कि टेस्ला को भारत में रियायतें मिलें। हालांकि, भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान और घरेलू कंपनियों की बढ़त को देखते हुए, टेस्ला को अपने प्लान में लचीलापन लाना होगा।

आने वाले समय में टेस्ला की भारत एंट्री न केवल ईवी बाजार को बदल सकती है, बल्कि यह यह भी तय करेगी कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के बीच मुकाबला कैसा होगा।