Tesla in India / कहीं भी बनाए Tesla कार, सिर्फ Tata का बढ़ेगा प्रॉफिट और कारोबार

टेस्ला ने भारतीय बाजार में एंट्री की पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन फैक्टरी लगाने पर अनिश्चितता बनी हुई है। कंपनी ने टाटा ग्रुप की Tata AutoComp, TCS, Tata Technologies और Tata Electronics के साथ डील की है। इससे टाटा ग्रुप को बड़ा फायदा होगा, क्योंकि वे टेस्ला के ग्लोबल सप्लायर बन जाएंगे।

Tesla in India: टेस्ला भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है। एलन मस्क की कंपनी ने भारत में अपने शोरूम स्थापित करने और स्टाफ की भर्ती करने का कार्य पूरा कर लिया है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनी भारत में अपना उत्पादन संयंत्र लगाएगी या नहीं। लेकिन टेस्ला भारत में कार बनाए या विदेश से आयात करे, इससे टाटा ग्रुप को निश्चित रूप से फायदा होगा।

टाटा मोटर्स और टेस्ला की प्रतिस्पर्धा

भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार में टाटा मोटर्स टेस्ला की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी होगी। टाटा मोटर्स देश में पहले से ही इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा निर्माता है और इसका बाजार में एक मजबूत आधार है। इसके बावजूद, टेस्ला ने टाटा ग्रुप की कुछ अन्य कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारी की है, जिससे टाटा को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा।

टेस्ला और टाटा ग्रुप की डील

टाटा ग्रुप की कुछ कंपनियां ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए आवश्यक उत्पाद और सेवाएं प्रदान करती हैं। टेस्ला ने टाटा ग्रुप की निम्नलिखित कंपनियों के साथ सहयोग किया है:

  1. Tata AutoComp – ऑटोमोबाइल कंपोनेंट्स और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति के लिए।

  2. Tata Consultancy Services (TCS) – सॉफ़्टवेयर और आईटी सेवाओं के लिए।

  3. Tata Technologies – इंजीनियरिंग और डिज़ाइन सेवाओं के लिए।

  4. Tata Electronics – इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की आपूर्ति के लिए।

इस साझेदारी के तहत, टाटा ग्रुप की ये कंपनियां अब टेस्ला की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनेंगी। इसका अर्थ यह हुआ कि चाहे टेस्ला की कारें भारत में बने या अन्य देशों में, उनमें टाटा ग्रुप के पार्ट्स और तकनीकी सेवाओं का उपयोग किया जाएगा। इससे टाटा ग्रुप को बड़े पैमाने पर राजस्व मिलेगा और उसका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी बढ़ेगा।

भारत में टेस्ला की फैक्टरी लगाने की संभावना

टेस्ला के भारत में प्रवेश से पहले ही सरकार ने एक नई ईवी नीति लागू की है। इस नीति के तहत, विदेशों से ईवी के आयात पर लगने वाले टैक्स को घटाकर 15% कर दिया गया है, जो पहले 70-110% था। हालांकि, इस नीति के तहत यह शर्त रखी गई है कि जो भी कंपनी इस कर छूट का लाभ उठाएगी, उसे तीन वर्षों के भीतर भारत में एक निर्माण संयंत्र स्थापित करना होगा और कम से कम 50 करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा।

एलन मस्क भारत में अपना खुद का प्लांट स्थापित करेंगे या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। हाल ही में ऑटोकार इंडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि टेस्ला भारत में अपनी कारों का कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग करा सकती है, ठीक वैसे ही जैसे Apple अपने iPhones के लिए करता है। इस रणनीति के तहत, टेस्ला किसी भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता के साथ साझेदारी कर सकती है और उसकी फैक्टरी में अपनी कारों का उत्पादन कर सकती है।

अमेरिका में विरोध के संकेत

टेस्ला के भारत में संभावित निवेश को लेकर अमेरिका में भी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही इस फैसले का विरोध जता चुके हैं और उन्होंने एलन मस्क को भारत में निवेश करने से बचने की सलाह दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिकी राजनीति का इस फैसले पर क्या असर पड़ता है।