Ratan Tata Will / टाटा की वसीयत में खुलासा, ये होगा उनके निवेश वाले स्टार्टअप का फ्यूचर

उद्योगपति रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर को हुआ, और उनकी वसीयत सामने आई है। इसमें उनकी 10,000 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति और 18 स्टार्टअप्स में किए गए निवेश का विवरण है। निवेश का भविष्य 'रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन' को ट्रांसफर किया जाएगा, जो नॉन-प्रॉफिट कार्य करेगा।

Vikrant Shekhawat : Oct 26, 2024, 07:00 AM
Ratan Tata Will: उद्योगपति रतन टाटा का निधन इसी महीने की 9 तारीख को हुआ, जिसके बाद उनकी संपत्ति के बंटवारे और उनके निवेश की दिशा को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। अब उनकी वसीयत सामने आई है, जिसमें उनकी संपत्ति के वितरण और उन स्टार्टअप्स में किए गए निवेश के भविष्य का उल्लेख किया गया है, जिनमें रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में निजी तौर पर निवेश किया था। इसमें ओला, ओला इलेक्ट्रिक, अपस्टॉक्स, क्योरफिट और अरबन कंपनी जैसी प्रमुख कंपनियाँ शामिल हैं।

रतन टाटा की संपत्ति का बंटवारा

रतन टाटा की वसीयत के अनुसार, उनकी निजी संपत्ति करीब 10,000 करोड़ रुपए की है। इस संपत्ति में टाटा संस के साथ उनकी हिस्सेदारी, टाटा ग्रुप की अन्य कंपनियों में उनके निजी शेयर्स, और उनका पारिवारिक निवास आदि शामिल हैं। वसीयत में उनके परिवार के सदस्यों, उनके पालतू कुत्ते, घर के स्टाफ, और उनके द्वारा स्थापित नॉन-प्रॉफिट ट्रस्ट के लिए संपत्ति का वितरण निर्धारित किया गया है।

स्टार्टअप्स में निवेश का भविष्य

रतन टाटा ने अपने वसीयत में आरएनटी एसोसिएट्स और आएनएटी एडवाइजर्स के माध्यम से किए गए उन निजी निवेशों का भी निर्णय किया है, जिनमें उन्होंने ओला, ओला इलेक्ट्रिक, पेटीएम, स्नैपडील, और फर्स्ट क्राय जैसे लगभग 18 स्टार्टअप्स में अपनी पूंजी लगाई थी। वसीयत के अनुसार, इन कंपनियों में उनके निवेश को लिक्विडेट किया जाएगा, यानी उनकी हिस्सेदारी को समाप्त कर दिया जाएगा। इस लिक्विडेशन से प्राप्त धन को उनके नॉन-प्रॉफिट ट्रस्ट ‘रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन’ (RTEF) को सौंप दिया जाएगा।

क्या है ‘रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन’?

रतन टाटा ने 2022 में ‘रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन’ की स्थापना की थी, जो एक सेक्शन-8 कंपनी के रूप में दिल्ली में रजिस्टर्ड है और नॉन-प्रॉफिट उद्देश्यों के लिए कार्य करेगी। यह ट्रस्ट टाटा परिवार की परंपरा का पालन करता है, जिसमें टाटा परिवार के अन्य सदस्यों ने भी अपनी संपत्ति को समाज कल्याण के लिए ट्रस्ट को दान किया। इसी तरह के ट्रस्ट्स में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट शामिल हैं, जो टाटा ट्रस्ट्स के अंतर्गत आते हैं। टाटा ट्रस्ट्स टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में सबसे अधिक हिस्सेदारी रखता है और असल में पूरे टाटा ग्रुप का नियंत्रण भी टाटा ट्रस्ट्स के पास ही है।

टाटा ग्रुप में हिस्सेदारी का हस्तांतरण

रतन टाटा के पास टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स, टाटा टेक्नोलॉजीस और टाटा डिजिटल में हिस्सेदारी थी। उनकी वसीयत के अनुसार, इन सभी हिस्सेदारियों को आरटीईएफ को हस्तांतरित किया जाएगा। इसका उद्देश्य नॉन-प्रॉफिट उद्देश्यों के लिए काम करना और टाटा परिवार के दान परंपरा को बनाए रखना है।

घर, कारें और व्यक्तिगत संपत्ति

रतन टाटा का घर, जो उन्हें पारिवारिक संपत्ति के तौर पर मिला था, और उनकी 20-30 लग्जरी कारों के बारे में वसीयत में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। संभावना है कि इनका अंतिम निर्णय टाटा ग्रुप या उनके परिवार के सदस्य करेंगे।

शांतनु नायडू के लिए विशेष प्रावधान

वसीयत में रतन टाटा के सहयोगी शांतनु नायडू के लिए भी एक खास उल्लेख है। शांतनु नायडू के स्टार्टअप Goodfellows में रतन टाटा की जो हिस्सेदारी थी, उसे वसीयत में त्यागने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, शांतनु की विदेश में पढ़ाई के लिए रतन टाटा द्वारा दिए गए लोन को भी माफ कर दिया गया है।

रतन टाटा की यह वसीयत उनके परोपकारी दृष्टिकोण और उनके परिवार की परंपराओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उनका पूरा जीवन और संपत्ति समाज कल्याण के कार्यों के लिए समर्पित थी, और उनके निधन के बाद भी उनकी वसीयत इस विरासत को आगे ले जाने का संदेश देती है।