Vikrant Shekhawat : Jun 13, 2021, 06:50 AM
बीकानेर। राजस्थान का बीकानेर देश का पहला ऐसा शहर बनने जा रहा है, जो घर-घर जाकर कोविड के खिलाफ जंग शुरू करेगा। 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए यह वैक्सीनेशन ड्राइव सोमवार से शुरू होगी। लोगों के घरों तक टीके पहुंचाने के लिए 2 एम्बुलेंस और 3 मोबाइल टीमें स्टैंडबाई पर हैं। इनके अलावा जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन के रूप में एक वॉट्सऐप नंबर जारी किया है, जहां लोग अपना नाम और पता देकर टीका के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
10 लोगों के रजिस्ट्रेशन के बाद वैक्सीन वैन होगी रवानाकम से कम दस लोगों के साइनअप के बाद वैक्सीन वैन लोगों के घरों के लिए रवाना होगी। एनडीटीवी के मुताबिक, 10 लोगों के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता इसलिए रखी गई है कि बेवजह के व्यय को कम किया जा सके। दरअसल, टीके की एक शीशी का उपयोग 10 व्यक्तियों को टीका लगाने के लिए किया जा सकता है। जिस व्यक्ति को वैक्सीन लगाई जाएगी उसके पास ऑब्जर्वेशन के लिए एक मेडिकल स्टाफ रहेगा, जबकि यहां शॉट लगाने के बाद वैक्सीन वैन दूसरे पते पर शॉट के लिए जाएगी।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों को दी जाएगी सूचनाराज्य की राजधानी जयपुर से लगभग 340 किलोमीटर दूर है बीकानेर। यहां 16 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन केंद्रों के डॉक्टरों को सूचित किया जाएगा कि उनके क्षेत्र में किन्हें टीका लगाया जा रहा है, ताकि किसी भी साइड इफेक्ट की निगरानी वे कर सकें। बीकानेर के कलेक्टर नमित मेहता ने एनडीटीवी को बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 7 लाख से अधिक है और अब तक लगभग 60-65 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किया जा चुका है।बीकानेर के 3 लाख 69 हजार लोगों का टीकाकरण हो चुकाबीकानेर में अब तक लगभग 3 लाख 69 हजार लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। पिछले 24 घंटों में जिले में कोरोना संक्रमण के महज 28 नए मामले दर्ज किए गए हैं। अबतक जिले में कुल 40 हजार 118 केस दर्ज किए गए हैं, जबकि 527 मौत अबतक जिले में हुई है। फिलहाल जिले में कोरोना संक्रमण के 453 एक्टिव केस हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने निर्देश दिया थाबॉम्बे हाईकोर्ट ने कुछ हफ्ते पहले कहा था कि वह केंद्र की इस असंवेदनशीलता से निराश और हताश है कि वह मुंबई नागरिक निकाय के साथ वरिष्ठ नागरिकों, खास कर विकलांग, बिस्तर पर लाचार और व्हीलचेयर पर निर्भर लोगों के लिए घर-घर जाकर COVID-19 टीकाकरण शुरू नहीं कर रहा। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी के खंडपीठ ने दोहराया था कि केंद्र को अपनी नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है जो कहती है कि टीकों की बर्बादी, वैक्सीनेशन की प्रतिकूल प्रतिक्रिया की आशंका और विभिन्न कारणों से डोर-टु-डोर वैक्सीनेशन ड्राइव संभव नहीं है।डोर-टु-डोर ड्राइव शुरू करने के लिए कोर्ट की इजाजत जरूरी नहींहाईकोर्ट ने केंद्र द्वारा स्थापित 'नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप फॉर वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कोविड-19' के अध्यक्ष को डोर-टु-डोर ड्राइव शुरू करने के मुद्दे पर विचार करने का निर्देश दिया था और मामले की अगली सुनवाई 2 जून तय की थी। कोर्ट ने कहा था कि अगर नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप डोर-टु-डोर ड्राइव शुरू करने के पक्ष में फैसला करता है तो इसे अदालत के आदेश की प्रतीक्षा किए बिना लागू किया जाएगा।
10 लोगों के रजिस्ट्रेशन के बाद वैक्सीन वैन होगी रवानाकम से कम दस लोगों के साइनअप के बाद वैक्सीन वैन लोगों के घरों के लिए रवाना होगी। एनडीटीवी के मुताबिक, 10 लोगों के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता इसलिए रखी गई है कि बेवजह के व्यय को कम किया जा सके। दरअसल, टीके की एक शीशी का उपयोग 10 व्यक्तियों को टीका लगाने के लिए किया जा सकता है। जिस व्यक्ति को वैक्सीन लगाई जाएगी उसके पास ऑब्जर्वेशन के लिए एक मेडिकल स्टाफ रहेगा, जबकि यहां शॉट लगाने के बाद वैक्सीन वैन दूसरे पते पर शॉट के लिए जाएगी।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों को दी जाएगी सूचनाराज्य की राजधानी जयपुर से लगभग 340 किलोमीटर दूर है बीकानेर। यहां 16 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन केंद्रों के डॉक्टरों को सूचित किया जाएगा कि उनके क्षेत्र में किन्हें टीका लगाया जा रहा है, ताकि किसी भी साइड इफेक्ट की निगरानी वे कर सकें। बीकानेर के कलेक्टर नमित मेहता ने एनडीटीवी को बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 7 लाख से अधिक है और अब तक लगभग 60-65 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किया जा चुका है।बीकानेर के 3 लाख 69 हजार लोगों का टीकाकरण हो चुकाबीकानेर में अब तक लगभग 3 लाख 69 हजार लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। पिछले 24 घंटों में जिले में कोरोना संक्रमण के महज 28 नए मामले दर्ज किए गए हैं। अबतक जिले में कुल 40 हजार 118 केस दर्ज किए गए हैं, जबकि 527 मौत अबतक जिले में हुई है। फिलहाल जिले में कोरोना संक्रमण के 453 एक्टिव केस हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने निर्देश दिया थाबॉम्बे हाईकोर्ट ने कुछ हफ्ते पहले कहा था कि वह केंद्र की इस असंवेदनशीलता से निराश और हताश है कि वह मुंबई नागरिक निकाय के साथ वरिष्ठ नागरिकों, खास कर विकलांग, बिस्तर पर लाचार और व्हीलचेयर पर निर्भर लोगों के लिए घर-घर जाकर COVID-19 टीकाकरण शुरू नहीं कर रहा। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी के खंडपीठ ने दोहराया था कि केंद्र को अपनी नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है जो कहती है कि टीकों की बर्बादी, वैक्सीनेशन की प्रतिकूल प्रतिक्रिया की आशंका और विभिन्न कारणों से डोर-टु-डोर वैक्सीनेशन ड्राइव संभव नहीं है।डोर-टु-डोर ड्राइव शुरू करने के लिए कोर्ट की इजाजत जरूरी नहींहाईकोर्ट ने केंद्र द्वारा स्थापित 'नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप फॉर वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कोविड-19' के अध्यक्ष को डोर-टु-डोर ड्राइव शुरू करने के मुद्दे पर विचार करने का निर्देश दिया था और मामले की अगली सुनवाई 2 जून तय की थी। कोर्ट ने कहा था कि अगर नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप डोर-टु-डोर ड्राइव शुरू करने के पक्ष में फैसला करता है तो इसे अदालत के आदेश की प्रतीक्षा किए बिना लागू किया जाएगा।