संकट के सिपाही / कोरोना हाथ की मेहंदी भी नहीं छूटी...दूसरों की जिंदगी बचाने में जुटीं

इस युद्ध में एक सैनिक की तरह लड़ रहीं नर्स सोनम गुप्ता की कहानी कुछ अलग है। उनकी 16 जनवरी को ही शादी हुई है। ससुराल सौ किलोमीटर दूर कानपुर में है। शादी के बाद ससुराल में 15 दिन ही बीते थे कि सोनम ने दो फरवरी को ड्यूटी ज्वॉइन कर ली। कोरोना संकट आते ही फरवरी के अंत में उनकी ड्यूटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फफूंद से दिबियापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगाने का फरमान आया।

AMAR UJALA : Apr 10, 2020, 08:13 PM
Coronavirus in India: कोरोना के खतरों के बीच दूसरों की जिंदगी बचाने में जुटे योद्धाओं की ‘तपस्या’ मिसाल है। कुछ ऐसी मांएं हैं जो अपने रोते मासूम बच्चे को वीडियो कॉलिंग कर चुप करा रही हैं तो कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी सेवा तो दे ही रहे हैं, साथ ही मास्क जैसी वस्तुएं भी जुटा रहे हैं ताकि गरीबों की मदद हो सके। एक नर्स तो शादी के 15 दिन बाद ही कोरोना से जंग में उतर गई थीं तो देहरादून के एक अस्पताल के अधिकारी न सिर्फ सेवा में लगे हैं , बल्कि अस्पताल में ही रक्तदान कर अपना जन्मदिन भी मनाया। साथ ही साथियों को भी स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित किया ताकि संकट के इस दौर में रक्त की कमी न होने पाए।

शादी के 15 दिन बाद ही करने लगीं आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी

इस युद्ध में एक सैनिक की तरह लड़ रहीं नर्स सोनम गुप्ता की कहानी कुछ अलग है। उनकी 16 जनवरी को ही शादी हुई है। ससुराल सौ किलोमीटर दूर कानपुर में है। शादी के बाद ससुराल में 15 दिन ही बीते थे कि सोनम ने दो फरवरी को ड्यूटी ज्वॉइन कर ली। कोरोना संकट आते ही फरवरी के अंत में उनकी ड्यूटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फफूंद से दिबियापुर  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में लगाने का फरमान आया। उन्होंने अपने सास-ससुर और पिता हिमांशु को इस बारे में बताया। उन्हें समझाया कि 14 दिन की ड्यूटी के बाद 14 दिन का क्वारंटीन पीरियड है। लगभग एक माह की दूरी। साथ ही खतरा भी।

सोनम के जज्बातों में कोरोना के इस युद्ध में सिपाही की जिम्मेदारी भी झलक रही थी। ससुराल वालों ने उन्हें रजामंदी दे दी। दो अप्रैल से वह आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं। यहां कस्बे में मिले चार कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज भी हुआ है। सोनम कहती हैं कि हमने उनके इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब सभी मरीजों को कानपुर भेज दिया गया है। खास बात यह है कि सोनम का मायका अस्पताल से 500 मीटर की दूरी पर ही है। वह वहां भी नहीं जा सकती हैं। न ही कोई उनसे मिलने जा सकता है। वह अपने पति से वीडियो कॉलिंग से बात कर मन को तसल्ली दे देती हैं।

सोनम गुप्ता, नर्स, दिबियापुर सीएचसी, औरैया

चारों संक्रमितों की रिपोर्ट निगेटिव आई तो ली चैन की सांस

क्वारंटीन सेंटर से अस्पताल और अस्पताल से क्वारंटीन सेंटर। डॉ.गोपाल सारस्वत और उनकी टीम का फिलहाल यही रुटीन है। अब जब चारों रोगियों की दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आई है तो सभी उत्साहित हैं। जब से इस सीएचसी को कोविड-1 अस्पताल में तब्दील कर दिया गया और सासनी में मिले चारों संक्रमित रोगी इस अस्पताल में दाखिल कराए गए तो जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई। उनके साथ-साथ 25 सदस्यीय टीम इस अस्पताल में ड्यूटी कर रही है। डॉ.गोपाल कहते हैं: चार मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, इस बात की बेहद खुशी है।

डॉ. गोपाल सारस्वत, सीएचसी मुरसान, हाथरस

कभी डांस कर तो कभी मिमिक्री कर बढ़ाया टीम का हौसला

कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने का संदेशा जब डॉ. दर्शन बजाज को मिला तो मां के बीमार होने के बाद भी खुद को रोक नहीं पाए। पत्नी डॉक्टर मोना बजाज की भी ड्यूटी क्वीन मैरी अस्पताल में लगी है। डॉ. बजाज ने मां को दवाई देने के बाद डेढ़ साल की बेटी को उनके पास छोड़ कोरोना वार्ड आ गए। 7 दिन वार्ड की ड्यूटी करने के बाद अब क्वारंटीन में है। डॉ. दर्शन बजाज बताते हैं कि वार्ड में कई बार साथी कर्मचारी नर्वस नजर आए तो उन्हें डांस कर प्रोत्साहित किया। विभिन्न फिल्मों के डायलॉग बोलकर उनका हौसला बढ़ाया। नर्सिंग कर्मियों और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ सफाई कर्मियों का भी मनोरंजन कर उत्साह बढ़ाते हैं।

डॉ. दर्शन बजाज, एसोसिएट प्रोफेसर, केजीएमयू

नर्स जो ड्यूटी के बाद बनाती हैं मास्क, बांटती हैं मुफ्त

यह ऐसी कोरोना योद्धा हैं जिसमें उनका परिवार भी युद्ध लड़ने में जुटा है। सेवा भाव देखिये पति के साथ बच्चे भी पीछे नहीं है। स्टाफ नर्स सरिता बखूबी परिचित हैं कि अस्पताल में आने वाले गरीबों की हालत क्या होती है। वह इस महामारी के बीच मास्क कहां से खरीद पाएंगे। इसलिए उन्होंने अपने परिवार से ही कवायद शुरू की। वह रोज ड्यूटी खत्म करने के बाद पति राघवेंद्र और बेटी सृष्टि (11) और बेटे आयुष के साथ मास्क बनाती हैं। पति रॉ मटीरयल लाते हैं। वह सिलाई करती हैं। दोनों बच्चे उनकी मदद करते हैं। उन्हें अस्पताल में आते या जाते वक्त कोई भी जरूरतमंद दिखता है उसको मास्क मुफ्त में देती हैं। उनके परिवार की ही मेहनत है कि तीन दिन के अंदर अबतक 100 से ज्यादा मास्क वह बांट चुकी हैं। अब तो कॉलेज के कर्मचारी भी उनकी मास्क बांटने में मदद करते हैं। कई मास्क उन्होंने पुलिसकर्मियों को भी दिए हैं। इस महामारी को हराने में उनके नन्हें योद्धा भी जुटे हैं।

सरिता वर्मा, नर्स, मेडिकल कालेज, कन्नौज

थाने की ड्यूटी के साथ घर से खाना बनवाकर बेसहारों को खिला रहे

लॉकडाउन की सख्ती के बीच एक पुलिस अधिकारी ऐसे भी हैं जो रोजाना घर से खाना बनवाकर ला रहे हैं। यह खाना उनका अपना टिफिन नहीं बल्कि बेसहारा लोगों के लिए है। राजिंदर सिंह घर से दर्जनों लोगों का खाना बनवा कर लाते हैं। यह खाना वे मंदबुद्धि और बेसहारा लोगों को परोसते हैं। राजिंदर सिंह ने कहा ‘थाना परिसर से घर दूर नहीं है। बहुत से कर्मचारी घरों से दूर ड्यूटी कर रहे हैं। मेरा घर नजदीक है तो ऐसे लोगों को खाना खिलाने की जिम्मेदारी महसूस हो रही है जो खुद काम करने की स्थिति में नहीं है। भूखे को खाना खिलाकर संतुष्टि मिलती है।’

राजिंदर सिंह, सहायक सब इंस्पेक्टर, आरएस पुरा, जम्मू

सेवा का फर्ज निभाया, दूसरों के लिए मास्क को वेतन भी दिया

पहले राष्ट्रहित, बाद में परिवार। डॉ. विजेंद्र कुमार का परिवार मेरठ में है। छुट्टी में लगभग हर सप्ताह घर जाकर माता-पिता से मिलते थे, लेकिन 14 मार्च को जब यह जिम्मेदारी मिली तब से वह घर नहीं गए। जनपद का पहला केस कैराना निवासी कोरोना संक्रमित युवक जब से ठीक हुआ है, तब से उनकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ गई है। आइसोलेशन वार्ड में एक बार मरीजों की संख्या छह हो गई थी, लेकिन उन्होंने और स्टाफ ने दिन रात उनके बीच रहकर उनका उपचार और देखभाल करने में जुटे रहे। इतना ही नहीं डॉ. विजेंद्र कुमार ने कहा कि वे अपने एक माह के वेतन से मास्क और सैनिटाइजर का लोगों को वितरण करेंगे। 

डॉ. विजेंद्र कुमार, आईसोलेशन वार्ड इंचार्ज, शामली