बिहार / खून से लथपथ था मरीजों स्ट्रेचर नहीं मिला, रिश्तेदार हाथ में ग्लूकोज की बोतलें लेकर चक्कर लगाते रहे

बिहार सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा कर रही हो, लेकिन सरकारी अस्पतालों की स्थिति अभी भी ठीक नहीं है। आरा जिले के सरकारी सदर अस्पताल की एक तस्वीर एक ऐसी स्थिति की कहानी बताती है जहां एक रक्त-घायल मरीज को स्ट्रेचर की अनुपस्थिति में इलाज के लिए अस्पताल के लिए भटकना पड़ा।

Vikrant Shekhawat : Jan 16, 2021, 11:32 AM
बिहार सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा कर रही हो, लेकिन सरकारी अस्पतालों की स्थिति अभी भी ठीक नहीं है। आरा जिले के सरकारी सदर अस्पताल की एक तस्वीर एक ऐसी स्थिति की कहानी बताती है जहां एक रक्त-घायल मरीज को स्ट्रेचर की अनुपस्थिति में इलाज के लिए अस्पताल के लिए भटकना पड़ा।

अस्पताल कर्मियों के मनमाने रवैये के कारण घायल मरीज को न तो अस्पताल से एंबुलेंस मिली और न ही स्ट्रेचर। इसके विपरीत, उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों से यह सुझाव जरूर मिला कि अगर वह इलाज कराना चाहते हैं, तो वह मरीज को मौत के घाट उतार सकते हैं। इसके बाद, परिवार के सदस्यों को अपने हाथों में ग्लूकोज की एक बोतल लेने और अस्पताल में इलाज के लिए आपातकालीन वार्ड से एक्स-रे कक्ष में रोगी को ले जाने के लिए मजबूर किया गया।

यह मामला गुरुवार को आरा जिले के सरकारी सदर अस्पताल में सामने आया, जब शहर के थाना क्षेत्र के गौसगंज में मवेशी चराने के विवाद में बामपाली गांव निवासी उमा शंकर भगत को कुछ लोगों ने चाकू मारकर घायल कर दिया। । चाकू लगने से बुरी तरह घायल उमा शंकर भगत को इलाज के लिए परिजन आरा सदर अस्पताल ले गए।

इलाज के दौरान अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने घायलों का एक्स-रे कराने को कहा। तब घायलों के परिवार ने अस्पताल प्रशासन से स्ट्रेचर की मांग की, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद अस्पताल के कर्मचारियों ने स्ट्रेचर नहीं दिया, बल्कि मरीज के परिजनों को सलाह दी कि आप उन्हें गोद में उठाकर इलाज के लिए ले जा सकते हैं।

तब असहाय परिवार घायल बोतल को हाथों में ग्लूकोज की बोतल के साथ पैदल एक्स-रे रूम में ले गया। तब तक अस्पताल प्रशासन की यह शर्मनाक तस्वीर मीडियाकर्मियों के कैमरे में कैद हो गई थी।

जब इस पूरे मामले में आरा के सिविल सर्जन ललितेश्वर प्रसाद झा से जानने की कोशिश की गई, तो सबसे पहले उन्होंने नोटिस आने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा नहीं है। अर्रा सदर अस्पताल में मरीजों के लिए उचित व्यवस्था है। अगर ऐसी कोई तस्वीर आती, तो मरीज को खड़ा करने और अस्पताल को बदनाम करने के लिए ऐसा जानबूझकर किया जाता। बाद में उन्होंने कहा कि जो भी कार्यकर्ता इस लापरवाही में शामिल होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। मामले की जांच की जाएगी। जो भी दोषी होगा, कार्रवाई की जाएगी।