Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है। इस बीच, लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने इस युद्ध को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि युद्ध को समाप्त करने के लिए वार्ता में कीव की पूरी भागीदारी अनिवार्य है। उनका मानना है कि भविष्य में रूसी आक्रमण से बचने के लिए क्षेत्रीय देशों को अपनी रक्षा पर अधिक खर्च करना चाहिए।
रूस का अगला लक्ष्य कौन होगा?
राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि बिना उचित निवारक उपायों के किया गया कोई भी समझौता रूस को अपनी सेना को मजबूत करने और भविष्य में आक्रमण की तैयारी का अवसर देगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यूक्रेन में युद्ध विराम लागू होने के बावजूद, यह मानना गलत होगा कि रूस अपनी सैन्य गतिविधियों को रोक देगा।
नौसेदा ने स्पष्ट रूप से कहा, "रूस इस विराम का उपयोग अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने के लिए करेगा और भविष्य में फिर से हमला कर सकता है। इस स्थिति में, अगला सवाल यह उठता है कि रूस का अगला निशाना कौन होगा? संभवतः बाल्टिक देश।" यह बयान इस बात की ओर संकेत करता है कि यूरोप में सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं हैं और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
‘कीव को पूरी तरह से बातचीत में शामिल होना चाहिए’
लिथुआनिया, 1990 तक सोवियत संघ के नियंत्रण में था। वर्तमान में, यह देश नाटो का एक सक्रिय सदस्य है और हाल ही में यह संगठन का पहला ऐसा सदस्य बन गया है, जिसने अपने रक्षा व्यय को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5 प्रतिशत तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है। यह कदम अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस अपील के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने नाटो सदस्यों से अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने का अनुरोध किया था।
राष्ट्रपति नौसेदा ने जोर देकर कहा कि अमेरिका के नए प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यूक्रेन पूरी तरह से शांति वार्ता में भाग ले। उन्होंने आगाह किया कि युद्ध समाधान की प्रक्रिया केवल मॉस्को और वाशिंगटन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से नहीं निकाली जानी चाहिए। उनका मानना है कि कीव को इस वार्ता का अभिन्न हिस्सा बनाया जाना चाहिए, ताकि यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
क्षेत्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता
लिथुआनिया जैसे देशों की सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि यूरोप को एक मजबूत रक्षा रणनीति अपनाने की जरूरत है। नाटो और यूरोपीय संघ के अन्य सदस्य देशों को मिलकर रूस के आक्रामक रवैये का सामना करने के लिए एकजुट रहना होगा।
नौसेदा की टिप्पणियां इस तथ्य को उजागर करती हैं कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध का प्रभाव न केवल पूर्वी यूरोप तक सीमित है, बल्कि यह व्यापक रूप से पूरे यूरोप और वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर सकता है। इस संघर्ष के समाधान के लिए एक संतुलित और समन्वित रणनीति आवश्यक है, जिससे न केवल यूक्रेन बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।