Vikrant Shekhawat : Nov 18, 2020, 06:07 PM
Delhi: चीन के कर्ज के जाल में फंसे मालदीव को अपना कर्ज चुकाना मुश्किल होता जा रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट वन रोड के नाम पर बढ़ा हुआ कर्ज उतारना मालदीव के लिए बुरी खीर साबित हो रहा है। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि मालदीव सरकार को अपनी कुल राष्ट्रीय आय का 53 प्रतिशत चीन का कर्ज चुकाने के लिए खर्च करना पड़ता है। मालदीव द्वारा दिए जा रहे कर्ज में लगभग 80 प्रतिशत धन चीन को दिया जा रहा है। अब इस बारे में मालदीव के पूर्व प्रधानमंत्री का दर्द महसूस किया गया हैमालदीव के पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद नशीद ने ट्विटर पर इस समस्या को साझा किया और लिखा कि अब हम अपनी दादी के गहने बेचकर भी चीन का कर्ज नहीं चुका सकते।मालदीव की संसद के अध्यक्ष ने ट्वीट किया कि आज हम संसद में 2021 के बजट पर चर्चा कर रहे हैं जिसमें चीन को सरकार की कुल आय का 53 प्रतिशत ऋण के रूप में देना होगा। यहां यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि वन बेल्ड वन रोड के माध्यम से आर्थिक विकास का सपना दिखाकर चीन लगातार अपने देशों को कर्ज में डुबो रहा है ताकि वह उन देशों की भौगोलिक क्षमता का पूरा उपयोग कर सके।इससे पहले भारत का मुख्य पड़ोसी श्रीलंका भी चीन के कर्ज में बुरी तरह दब चुका है। अब मालदीव चीन के लगभग 3.1 बिलियन डॉलर के भारी कर्ज के कारण दबाव में आ गया है। आपको बता दें कि मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था लगभग 5 बिलियन डॉलर की है। कोरोना वायरस ने मालदीव के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाया है, जो अब डिफ़ॉल्ट होने के कगार पर पहुंच गया है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव में विदेशी पर्यटकों से सबसे अधिक राजस्व है।