Vikrant Shekhawat : May 09, 2022, 09:44 AM
बंगाल की खाड़ी में उठा तूफान रविवार को चक्रवात ‘असानी’ में तब्दील हो गया है। चक्रवाती तूफान 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है। कोलकाता नगर निगम ने अपने कर्मचारियों और आपदा प्रबंधन टीमों को अलर्ट पर रखा है। कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दी गई है। यहां भारी बारिश हो सकती है।
मौसम विभाग का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के ऊपर बना दबाव क्षेत्र रविवार सुबह करीब 5.30 बजे निकोबार द्वीप समूह से करीब 450 पश्चिम-उत्तर पश्चिम, पोर्ट ब्लेयर से 380 किलोमीटर पश्चिम, विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) से 970 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और पुरी (ओडिशा) से 1030 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पूर्व में केंद्रित था।
अगले 24 घंटों के दौरान तूफान के उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक गंभीर चक्रवाती तूफान में परिवर्तित होकर और तेज होने की आशंका है। साथ ही इसके 10 मई की शाम तक उत्तर-पश्चिम की तरफ बढ़ने और उत्तरी आंध्र प्रदेश व ओडिशा के तटों से बंगाल की खाड़ी के पश्चिम-मध्य एवं उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र तक पहुंचने के आसार हैं। बाद में तूफान के उत्तर-उत्तर-पूर्व की तरफ मुड़ने और ओडिशा तट से दूर बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र की ओर बढ़ने की प्रबल संभावना है।
आज 111 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ेगाविभाग के अनुसार, चक्रवात के सोमवार को बंगाल की खाड़ी में 60 समुद्री मील (111 किलोमीटर प्रति घंटा) की गति से आगे बढ़ने की उम्मीद है। मौसम विभाग के अनुसार, ओडिशा तट के पास समुद्र की स्थिति नौ मई को खराब और 10 मई को अत्यधिक खराब हो जाएगी। 10 मई को समुद्र में हवा की गति के बढ़कर 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा होने का अनुमान है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि 'असानी' दक्षिण-पूर्व और उससे सटे पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर, पोर्ट ब्लेयर से लगभग 570 किमी पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में है।
मछुआरों को तटों पर न जाने की सलाहचक्रवात के प्रभाव से पश्चिम बंगाल में कोलकाता समेत राज्य के दक्षिणी हिस्सों, उत्तरी आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटों पर मंगलवार से तेज हवाएं चलने और हल्की से मध्यम बारिश होने की आशंका है। मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे 10 मई से अगली सूचना तक समुद्र में और पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा के तटों पर नहीं जाएं।
अगले हफ्ते तक कमजोर पड़ेगामौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक मृत्युंजय महापात्र ने शनिवार को कहा था कि चक्रवात के ओडिशा या आंध्र प्रदेश के तटवर्ती क्षेत्रों से टकराने की आशंका नहीं है। यह समुद्र में तटीय क्षेत्र के समानांतर आगे बढ़ेगा। अगले हफ्ते तक कमजोर पड़ने की संभावना है।
चक्रवातों के ‘आइला’, ‘अम्फान’, ‘असानी’ क्यों हैं अलग-अलग नाम दुनिया में एक ही समय पर कई जगहों पर चक्रवात आ सकते हैं। ऐसे में हर साल आने वाले चक्रवातों के ‘आइला’, ‘अम्फान’, ‘असानी’ जैसे नाम लोगों के लिए कौतूहल का कारण बन जाता है। चक्रवात के लिए ‘असानी’ नाम श्रीलंका ने दिया है, जिसका सिंघली में अर्थ है क्रोध। चक्रवात ‘असानी’, रविवार की सुबह बंगाल की खाड़ी में बना और यह पूर्वी तट की ओर बढ़ रहा है।
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के तहत एक एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार, किसी विशेष भौगोलिक स्थान या दुनिया भर में एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं और ये एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक जारी रह सकते हैं। इसलिए भ्रम से बचने, आपदा जोखिम संबंधी जागरूकता, प्रबंधन और राहत कार्य में मदद के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय तूफान को एक नाम दिया जाता है। छोटे और आसानी से बोले जाने वाले नाम के कारण त्रुटि की संभावना कम रहती है।
1900 के मध्य में तूफान के लिए स्त्री नामों होता था इस्तेमाल वर्ष 1953 से अटलांटिक उष्णकटिबंधीय तूफानों का नामकरण अमेरिका में राष्ट्रीय तूफान केंद्र द्वारा तैयार की गई सूचियों में से रखा जाता रहा। शुरुआत में तूफानों को मनमाने नाम दिए जाते थे। 1900 के मध्य से तूफानों के लिए स्त्री नामों का उपयोग किया जाने लगा।
डब्ल्यूएमओ ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि मौसम विज्ञानियों ने बाद में एक अधिक संगठित और कुशल प्रणाली के माध्यम से तैयार सूची के जरिये तूफानों का नामकरण करने का फैसला किया। दुनिया भर में छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (आरएसएमसी) और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र हैं, जो परामर्श जारी करने और चक्रवाती तूफानों के नामकरण के लिए अनिवार्य हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) आरएसएमसी में से एक है और उसे उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर बने ऐसे किसी चक्रवात को नाम देने का काम सौंपा गया है, जब वे 62 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक की गति तक पहुंच जाते हैं। आईएमडी उत्तरी हिंद महासागर में 13 देशों को चक्रवात और तूफान से संबंधित परामर्श प्रदान करता है।
वर्ष 2020 में 13 देशों ने 13-13 नाम दिए थे तूफानों के नामकरण के लिए वर्ष 2020 में 169 नामों की एक नई सूची बनाई गई थी। जिसमें 13 देशों ने 13-13 नाम सुझाए थे। इससे पहले 8 देशों ने 64 नाम दिए थे। भारत ने ‘गति’, ‘मेघ’, ‘आकाश’, बांग्लादेश ने ‘अग्नि’, ‘हेलेन’ और ‘फानी’ व ‘पाकिस्तान’ ने ‘लैला’, ‘नरगिस’ और ‘बुलबुल’ नाम दिए थे।
मौसम विभाग का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के ऊपर बना दबाव क्षेत्र रविवार सुबह करीब 5.30 बजे निकोबार द्वीप समूह से करीब 450 पश्चिम-उत्तर पश्चिम, पोर्ट ब्लेयर से 380 किलोमीटर पश्चिम, विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) से 970 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और पुरी (ओडिशा) से 1030 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पूर्व में केंद्रित था।
अगले 24 घंटों के दौरान तूफान के उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक गंभीर चक्रवाती तूफान में परिवर्तित होकर और तेज होने की आशंका है। साथ ही इसके 10 मई की शाम तक उत्तर-पश्चिम की तरफ बढ़ने और उत्तरी आंध्र प्रदेश व ओडिशा के तटों से बंगाल की खाड़ी के पश्चिम-मध्य एवं उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र तक पहुंचने के आसार हैं। बाद में तूफान के उत्तर-उत्तर-पूर्व की तरफ मुड़ने और ओडिशा तट से दूर बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र की ओर बढ़ने की प्रबल संभावना है।
आज 111 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ेगाविभाग के अनुसार, चक्रवात के सोमवार को बंगाल की खाड़ी में 60 समुद्री मील (111 किलोमीटर प्रति घंटा) की गति से आगे बढ़ने की उम्मीद है। मौसम विभाग के अनुसार, ओडिशा तट के पास समुद्र की स्थिति नौ मई को खराब और 10 मई को अत्यधिक खराब हो जाएगी। 10 मई को समुद्र में हवा की गति के बढ़कर 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा होने का अनुमान है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि 'असानी' दक्षिण-पूर्व और उससे सटे पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर, पोर्ट ब्लेयर से लगभग 570 किमी पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में है।
मछुआरों को तटों पर न जाने की सलाहचक्रवात के प्रभाव से पश्चिम बंगाल में कोलकाता समेत राज्य के दक्षिणी हिस्सों, उत्तरी आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटों पर मंगलवार से तेज हवाएं चलने और हल्की से मध्यम बारिश होने की आशंका है। मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे 10 मई से अगली सूचना तक समुद्र में और पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा के तटों पर नहीं जाएं।
अगले हफ्ते तक कमजोर पड़ेगामौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक मृत्युंजय महापात्र ने शनिवार को कहा था कि चक्रवात के ओडिशा या आंध्र प्रदेश के तटवर्ती क्षेत्रों से टकराने की आशंका नहीं है। यह समुद्र में तटीय क्षेत्र के समानांतर आगे बढ़ेगा। अगले हफ्ते तक कमजोर पड़ने की संभावना है।
चक्रवातों के ‘आइला’, ‘अम्फान’, ‘असानी’ क्यों हैं अलग-अलग नाम दुनिया में एक ही समय पर कई जगहों पर चक्रवात आ सकते हैं। ऐसे में हर साल आने वाले चक्रवातों के ‘आइला’, ‘अम्फान’, ‘असानी’ जैसे नाम लोगों के लिए कौतूहल का कारण बन जाता है। चक्रवात के लिए ‘असानी’ नाम श्रीलंका ने दिया है, जिसका सिंघली में अर्थ है क्रोध। चक्रवात ‘असानी’, रविवार की सुबह बंगाल की खाड़ी में बना और यह पूर्वी तट की ओर बढ़ रहा है।
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के तहत एक एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार, किसी विशेष भौगोलिक स्थान या दुनिया भर में एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं और ये एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक जारी रह सकते हैं। इसलिए भ्रम से बचने, आपदा जोखिम संबंधी जागरूकता, प्रबंधन और राहत कार्य में मदद के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय तूफान को एक नाम दिया जाता है। छोटे और आसानी से बोले जाने वाले नाम के कारण त्रुटि की संभावना कम रहती है।
1900 के मध्य में तूफान के लिए स्त्री नामों होता था इस्तेमाल वर्ष 1953 से अटलांटिक उष्णकटिबंधीय तूफानों का नामकरण अमेरिका में राष्ट्रीय तूफान केंद्र द्वारा तैयार की गई सूचियों में से रखा जाता रहा। शुरुआत में तूफानों को मनमाने नाम दिए जाते थे। 1900 के मध्य से तूफानों के लिए स्त्री नामों का उपयोग किया जाने लगा।
डब्ल्यूएमओ ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि मौसम विज्ञानियों ने बाद में एक अधिक संगठित और कुशल प्रणाली के माध्यम से तैयार सूची के जरिये तूफानों का नामकरण करने का फैसला किया। दुनिया भर में छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (आरएसएमसी) और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र हैं, जो परामर्श जारी करने और चक्रवाती तूफानों के नामकरण के लिए अनिवार्य हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) आरएसएमसी में से एक है और उसे उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर बने ऐसे किसी चक्रवात को नाम देने का काम सौंपा गया है, जब वे 62 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक की गति तक पहुंच जाते हैं। आईएमडी उत्तरी हिंद महासागर में 13 देशों को चक्रवात और तूफान से संबंधित परामर्श प्रदान करता है।
वर्ष 2020 में 13 देशों ने 13-13 नाम दिए थे तूफानों के नामकरण के लिए वर्ष 2020 में 169 नामों की एक नई सूची बनाई गई थी। जिसमें 13 देशों ने 13-13 नाम सुझाए थे। इससे पहले 8 देशों ने 64 नाम दिए थे। भारत ने ‘गति’, ‘मेघ’, ‘आकाश’, बांग्लादेश ने ‘अग्नि’, ‘हेलेन’ और ‘फानी’ व ‘पाकिस्तान’ ने ‘लैला’, ‘नरगिस’ और ‘बुलबुल’ नाम दिए थे।