Vikrant Shekhawat : Feb 10, 2021, 05:47 PM
Delhi: अब तक आपने आमतौर पर ज्वालामुखियों के बारे में सुना होगा जो आग और लावा के प्रकोप का उत्सर्जन करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी बर्फ के ज्वालामुखियों के बारे में देखा या सुना है। जी हां, कजाकिस्तान के अल्माटी प्रांत में एक रहस्यमयी ज्वालामुखी है जो बर्फ का है और इसलिए इसे बर्फ ज्वालामुखी भी कहा जाता है।
अल्माटी में कगन और शरगनाक गांव के बीच, लगभग 45 फीट ऊंचा एक बर्फ का टीला उभरा है, जिसे आइस ज्वालामुखी कहा जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उबलता पानी बर्फ के ज्वालामुखी से निकल रहा है जो तुरंत बर्फ में बदल जाता है।नूर सुल्ताना से चार घंटे की दूरी पर स्थित इस विचित्र ज्वालामुखी को देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक इस कठोर सर्दियों में पहुंच रहे हैं। बता दें कि इस तरह के ज्वालामुखी बर्फ की चट्टानों के बीच जमीन में हलचल के कारण होते हैं। इस तरह के ज्वालामुखी में कम तापमान और तीन फीट तक बर्फ की आवश्यकता होती है।जब पृथ्वी पर हलचल होने के बाद फव्वारे के रूप में सतह से गर्म पानी आता है, तो हवा जम जाती है और गर्म लावा छोड़ने की प्रक्रिया जारी रहती है। इसके चारों ओर बर्फ जमा होने के कारण इसे आइस ज्वालामुखी कहा जाता है।आपको बता दें कि पिछले साल अमेरिका के मिशिगन में एक ऐसी ही आकृति उभरी थी जो इंसान की लंबाई के बराबर थी।
अल्माटी में कगन और शरगनाक गांव के बीच, लगभग 45 फीट ऊंचा एक बर्फ का टीला उभरा है, जिसे आइस ज्वालामुखी कहा जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उबलता पानी बर्फ के ज्वालामुखी से निकल रहा है जो तुरंत बर्फ में बदल जाता है।नूर सुल्ताना से चार घंटे की दूरी पर स्थित इस विचित्र ज्वालामुखी को देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक इस कठोर सर्दियों में पहुंच रहे हैं। बता दें कि इस तरह के ज्वालामुखी बर्फ की चट्टानों के बीच जमीन में हलचल के कारण होते हैं। इस तरह के ज्वालामुखी में कम तापमान और तीन फीट तक बर्फ की आवश्यकता होती है।जब पृथ्वी पर हलचल होने के बाद फव्वारे के रूप में सतह से गर्म पानी आता है, तो हवा जम जाती है और गर्म लावा छोड़ने की प्रक्रिया जारी रहती है। इसके चारों ओर बर्फ जमा होने के कारण इसे आइस ज्वालामुखी कहा जाता है।आपको बता दें कि पिछले साल अमेरिका के मिशिगन में एक ऐसी ही आकृति उभरी थी जो इंसान की लंबाई के बराबर थी।