Vikrant Shekhawat : Jun 04, 2022, 07:37 AM
भारत के चाय उत्पादकों (Indian Tea Producers) के लिए बुरी खबर है। खबर है कि भारतीय चाय में कीटनाशकों और रसायनों (pesticides and Chemicals) की मात्रा अधिक पाई गई है। इसकी वजह से इंटरनेशनल और घरेलू दोनों मार्केट ने भारत की चाय की खेप को लौटा दिया है। भारतीय चाय निर्यातक संघ (ITEA) के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने इस बात की जानकारी दी है।
दरअसल, श्रीलंका (Sri Lanka) में आए आर्थिक संकट के चलते इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय चाय उद्योग के पास अपने कारोबार को बढ़ाने का बड़ा मौका था, लेकिन लिमिट से अधिक कीटनाशकों और रसायनों के इस्तेमाल ने बड़ा झटका दिया है।शिपमेंट में लगातार गिरावटचाय बोर्ड निर्यात में तेजी लाने पर विचार कर रहा है। मगर खेपों की वापसी की वजह से शिपमेंट में लगातार गिरावट आ रही है। देश में बेची जाने वाली सभी चाय भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मानदंडों के अनुरूप होनी चाहिए। हालांकि, कनोरिया ने पीटीआई को बताया कि ज्यादातर खरीदार वही चाय खरीद रहे हैं, जिसमें असामान्य रूप से अधिक रासायनिक सामग्री है।यूरोपीय यूनियन का नियम सख्त2021 में भारत ने 195।90 मिलियन किलो चाय का निर्यात किया था। भारतीय चाय के प्रमुख खरीदार कॉमनवेल्थ इंडिपेंडेंट स्टेट्स (CIS) नेशन और ईरान रहे थे। बोर्ड ने इस साल 300 मिलियन किलो चाय का एक्सपोर्ट करने का लक्ष्य रखा है। कनोरिया ने कहा कि कई देश चाय के लिए सख्त एंट्री रेगुलेशन नियम का पालन कर रहे हैं। ज्यादातर देश यूरोपीय संघ (EU) के मानकों का पालन करते हैं, जो FSSAI नियमों से अधिक कठोर हैं।नियमों में ढील देने की मांगउन्होंने कहा कि कानून का पालन करने के बजाय कई लोग सरकार से FSSAI मानदंडों और अधिक ढील देने की मांग कर रहे हैं। कनोरिया ने कहा कि ये एक गलत संकेत देगा क्योंकि चाय को स्वास्थ्य पेय माना जाता है। चाय बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि इस मुद्दे पर चाय पैकरों और निर्यातकों की ओर से शिकायतें मिली हैं। भारत ने 2021 में 5,246।89 करोड़ रुपये का चाय का निर्यात किया था।इस वजह से हो रही परेशानीपिछले कुछ वर्षों में चाय बागानों में जलवायु परिवर्तन की वजह काफी बदलाव आ गए हैं। भारी बारिश या लंबे समय तक सूखे की वजह से कीटों के खतरा बढ़ गया है। खबरों के मुताबिक अक्सर कीटनाशक का प्रयोग समाप्त होने के बाद ही पत्तियों को तोड़ लिया जाता है। इसकी वजह चाय की पत्तियों पर से कीटनाशक के अंश रह जाते हैं। आमतौर पर कीटनाशक के छिड़काव के लगभग 10 से 20 दिनों के बाद पत्तियों को तोड़ा जाता है। यदि इसका पालन नहीं किया जाता है, तो उनमें ज्यादा कीटनाशक होने की आशंका होती है।
दरअसल, श्रीलंका (Sri Lanka) में आए आर्थिक संकट के चलते इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय चाय उद्योग के पास अपने कारोबार को बढ़ाने का बड़ा मौका था, लेकिन लिमिट से अधिक कीटनाशकों और रसायनों के इस्तेमाल ने बड़ा झटका दिया है।शिपमेंट में लगातार गिरावटचाय बोर्ड निर्यात में तेजी लाने पर विचार कर रहा है। मगर खेपों की वापसी की वजह से शिपमेंट में लगातार गिरावट आ रही है। देश में बेची जाने वाली सभी चाय भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मानदंडों के अनुरूप होनी चाहिए। हालांकि, कनोरिया ने पीटीआई को बताया कि ज्यादातर खरीदार वही चाय खरीद रहे हैं, जिसमें असामान्य रूप से अधिक रासायनिक सामग्री है।यूरोपीय यूनियन का नियम सख्त2021 में भारत ने 195।90 मिलियन किलो चाय का निर्यात किया था। भारतीय चाय के प्रमुख खरीदार कॉमनवेल्थ इंडिपेंडेंट स्टेट्स (CIS) नेशन और ईरान रहे थे। बोर्ड ने इस साल 300 मिलियन किलो चाय का एक्सपोर्ट करने का लक्ष्य रखा है। कनोरिया ने कहा कि कई देश चाय के लिए सख्त एंट्री रेगुलेशन नियम का पालन कर रहे हैं। ज्यादातर देश यूरोपीय संघ (EU) के मानकों का पालन करते हैं, जो FSSAI नियमों से अधिक कठोर हैं।नियमों में ढील देने की मांगउन्होंने कहा कि कानून का पालन करने के बजाय कई लोग सरकार से FSSAI मानदंडों और अधिक ढील देने की मांग कर रहे हैं। कनोरिया ने कहा कि ये एक गलत संकेत देगा क्योंकि चाय को स्वास्थ्य पेय माना जाता है। चाय बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि इस मुद्दे पर चाय पैकरों और निर्यातकों की ओर से शिकायतें मिली हैं। भारत ने 2021 में 5,246।89 करोड़ रुपये का चाय का निर्यात किया था।इस वजह से हो रही परेशानीपिछले कुछ वर्षों में चाय बागानों में जलवायु परिवर्तन की वजह काफी बदलाव आ गए हैं। भारी बारिश या लंबे समय तक सूखे की वजह से कीटों के खतरा बढ़ गया है। खबरों के मुताबिक अक्सर कीटनाशक का प्रयोग समाप्त होने के बाद ही पत्तियों को तोड़ लिया जाता है। इसकी वजह चाय की पत्तियों पर से कीटनाशक के अंश रह जाते हैं। आमतौर पर कीटनाशक के छिड़काव के लगभग 10 से 20 दिनों के बाद पत्तियों को तोड़ा जाता है। यदि इसका पालन नहीं किया जाता है, तो उनमें ज्यादा कीटनाशक होने की आशंका होती है।