AajTak : Apr 28, 2020, 06:00 PM
चीन: के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस कभी भी जड़ से खत्म नहीं हो सकता है। वैज्ञानिकों के इस दावे से दुनिया भर से आ रही उन खबरों को मजबूती मिलती है कि फ्लू फैलने के मौसम में यह वायरस वापस आ सकता है। चीन के वायरल और मेडिकल शोधकर्ताओं के एक समूह का कहना है कि यह नया वायरस 17 साल पहले आए सार्स की तरह नहीं है जो खत्म हो जाए।
शोधकर्ताओं का कहना है कि बिना लक्षण वाले लोग कोरोना के खतरे को और बढ़ा रहे हैं। ये एसिम्प्टोमेटिक लोग वायरस को फैलने से रोकने में रुकावट डालते हैं क्योंकि यह खुद बिना लक्षण के ही इस वायरस को फैला सकते हैं, जबकि सार्स बीमारी के साथ ऐसा नहीं था। सार्स से संक्रमित होने वाले लोग गंभीर रूप से बीमार हो जाते थे और एक बार क्वारनटीन हो जाने के बाद सार्स फैलना बंद हो जाता था।
कोरोना वायरस महामारी पर नियंत्रण कर लेने के बावजूद चीन में हर दिन एसिम्प्टोमेटिक लोगों के दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं। Chinese Academy of Medical Sciences के पैथोजन बायोलॉजी के डायरेक्टर जिन क्यूई ने कहा, 'यह एक ऐसी महामारी बन सकती है जो इंसानों के साथ लंबे समय तक रहेगी, मौसम के हिसाब से बदलेगी और शरीर में बराबर बनी रहेगी।'
दुनिया भर के शीर्ष शोधकर्ताओं और सरकारों के बीच इस बात पर एक आम सहमति बन रही है कि लॉकडाउन के बावजूद फिलहाल इस वायरस के खत्म होने की कोई संभावना नहीं है। लॉकडाउन की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था रुक गई है।
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इनफेक्शियस डिजीज के निदेशक एंथोनी फाउची ने पिछले महीने कहा था कि कोविड-19 एक मौसमी बीमारी बन सकती है। उन्होंने इस बात का भी हवाला दिया कि दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में अब कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं क्योंकि वहां सर्दियों का मौसम आ चुका है।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कुछ और लोगों ने यह उम्मीद जताई थी कि उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में तापमान बढ़ने से वायरस का प्रसार धीमा होगा। हालांकि चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें इस बात के अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं।
पेकिंग यूनिवर्सिटी फर्स्ट हॉस्पिटल के संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख वांग गुइकियांग ने कहा, 'यह वायरस गर्मी में कमजोर हो सकता है, लेकिन तब, जब यह 30 मिनट के लिए 56 डिग्री सेल्सियस में एक्सपोज हो लेकिन मौसम कभी भी इतना गर्म नहीं होने वाला है।'
वांग गुइकियांग ने कहा, 'दुनिया भर में, गर्मियों के मौसम में भी कोरोना वायरस के मामलों में कमी आने की संभावना बहुत कम है।' आपको बता दें कि इस वैश्विक महामारी से 30 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 210,000 से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि बिना लक्षण वाले लोग कोरोना के खतरे को और बढ़ा रहे हैं। ये एसिम्प्टोमेटिक लोग वायरस को फैलने से रोकने में रुकावट डालते हैं क्योंकि यह खुद बिना लक्षण के ही इस वायरस को फैला सकते हैं, जबकि सार्स बीमारी के साथ ऐसा नहीं था। सार्स से संक्रमित होने वाले लोग गंभीर रूप से बीमार हो जाते थे और एक बार क्वारनटीन हो जाने के बाद सार्स फैलना बंद हो जाता था।
कोरोना वायरस महामारी पर नियंत्रण कर लेने के बावजूद चीन में हर दिन एसिम्प्टोमेटिक लोगों के दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं। Chinese Academy of Medical Sciences के पैथोजन बायोलॉजी के डायरेक्टर जिन क्यूई ने कहा, 'यह एक ऐसी महामारी बन सकती है जो इंसानों के साथ लंबे समय तक रहेगी, मौसम के हिसाब से बदलेगी और शरीर में बराबर बनी रहेगी।'
दुनिया भर के शीर्ष शोधकर्ताओं और सरकारों के बीच इस बात पर एक आम सहमति बन रही है कि लॉकडाउन के बावजूद फिलहाल इस वायरस के खत्म होने की कोई संभावना नहीं है। लॉकडाउन की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था रुक गई है।
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इनफेक्शियस डिजीज के निदेशक एंथोनी फाउची ने पिछले महीने कहा था कि कोविड-19 एक मौसमी बीमारी बन सकती है। उन्होंने इस बात का भी हवाला दिया कि दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में अब कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं क्योंकि वहां सर्दियों का मौसम आ चुका है।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कुछ और लोगों ने यह उम्मीद जताई थी कि उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में तापमान बढ़ने से वायरस का प्रसार धीमा होगा। हालांकि चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें इस बात के अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं।
पेकिंग यूनिवर्सिटी फर्स्ट हॉस्पिटल के संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख वांग गुइकियांग ने कहा, 'यह वायरस गर्मी में कमजोर हो सकता है, लेकिन तब, जब यह 30 मिनट के लिए 56 डिग्री सेल्सियस में एक्सपोज हो लेकिन मौसम कभी भी इतना गर्म नहीं होने वाला है।'
वांग गुइकियांग ने कहा, 'दुनिया भर में, गर्मियों के मौसम में भी कोरोना वायरस के मामलों में कमी आने की संभावना बहुत कम है।' आपको बता दें कि इस वैश्विक महामारी से 30 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 210,000 से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।