कोरोना अलर्ट / कोरोना मरीजों के इलाज में अब काम आई ये दवा, अचानक बढ़ गई मांग

कोरोना वायरस की सटीक दवा खोजने को लेकर वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की मेहनत जारी है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के बाद अब एक और दवा की चर्चा हो रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिसिन के शोधकर्ताओं का कहना है कि COVID-19 के 125 मरीजों को रेमडेसिवीर दवा देने के बाद उनकी सेहत में तेजी से सुधार देखा गया है। दवा की शुरुआती सफलता को देखते हुए इसकी मांग भी बढ़ गई है।

AajTak : Apr 17, 2020, 12:45 PM
कोरोना वायरस की सटीक दवा खोजने को लेकर वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की मेहनत जारी है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के बाद अब एक और दवा की चर्चा हो रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिसिन के शोधकर्ताओं का कहना है कि COVID-19 के 125 मरीजों को रेमडेसिवीर दवा देने के बाद उनकी सेहत में तेजी से सुधार देखा गया है। दवा की शुरुआती सफलता को देखते हुए इसकी मांग भी बढ़ गई है।

रेमडेसिवीर दवा का इस्तेमाल इबोला के उपचार में किया गया था। आपको बता दें अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी Gilead Sciences की तरफ से रेमडेसिवीर दवा का क्लीनिकल ​​परीक्षण किया जा रहा है और इसे प्रायोगिक दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।

कोरोनो वायरस की प्रामाणिक दवा अब तक नहीं बन पाई है। दुनिया भर में इस महामारी से बीमार और मरने वालों के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में रेमडेसिवीर को COVID-19 संक्रमण के उपचार में बहुत कारगर माना जा रहा है। इस दवा पर अमेरिका की हेल्थ न्यूज वेबसाइट Stat की रिपोर्ट द्वारा बताए गए निष्कर्ष आशाजनक हैं, लेकिन यह क्लीनिकल ​​परीक्षण डेटा पर आधारित नहीं हैं।

Stat के अनुसार, शिकागो विश्वविद्यालय में COVID-19 का इलाज करा रहे 125 मरीजों ने दो चरणों में 3 क्लीनिकल ​​परीक्षण में हिस्सा लिया। इस परीक्षण का आयोजन Gilead द्वारा किया गया था। इनमें से 113 मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण थे। Stat का कहना है कि इस परीक्षण की वीडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है। इस वीडियो में शिकागो विश्वविद्यालय के सदस्य आपस में चर्चा करते दिख रहे हैं, जिसमें एक फिजिशियन का कहना है कि रेमडेसिवीर दवा लेने के बाद कुछ लोगों का बुखार कम हुआ और कुछ लोगों को वेंटिलेटर से हटा दिया गया।

रेमडेसिवीर का एक परीक्षण उन 2,400 लोगों पर किया जा रहा है, जिनमें कोरोना के गंभीर लक्षण हैं जबकि दूसरा परीक्षण उन 1,600 मरीजों पर किया जा रहा है जिनमें कोरोना के मामूली लक्षण हैं। यह दोनों परीक्षण दुनिया भर में कई जगहों पर किए जा रहे हैं। ClinicalTrials।gov के अनुसार, यह दोनों परीक्षण मार्च में शुरू हुए थे और उम्मीद है कि मई तक इन्हें पूरा कर लिया जाएगा।

Stat न्यूज के इस बयान पर Gilead ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'स्टडीज से आ रही डेटा के प्रति हम आशान्वित हैं'। कुछ दिनों पहले Gilead की तरफ से एक छोटा सा  क्लीनिकल ​​डेटा जारी किया गया था। इसके अनुसार अस्पताल में भर्ती 53 मरीजों में से 68 फीसदी, जिन्हें  रेमडेसिवीर दवा की उचित मात्रा दी गई, उनमें सुधार देखने को मिला।  उस समय, विश्लेषक जे।पी। मॉर्गन ने डेटा को आशावादी बताया था लेकिन साथ ही इसके परिणामों पर भी नजर रखने की चेतावनी दी थी।

वहीं चीन के कुछ अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने गंभीर रूप से बीमार COVID-19 के मरीजों पर रेमडेसिवीर दवा का क्लीनिकल ​​परीक्षण रोक दिया है।

कुछ दिनों पहले भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी कहा था कि वह कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में रेमडेसिवीर दवा का उपयोग करने पर विचार करेगी। हालांकि, इसका निर्णय तभी लिया जा सकेगा, जब घरेलू कंपनियां इस दवा का उत्पादन करें।

ICMR के  प्रमुख वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने कहा था, 'एक स्टडी के शुरुआती डेटा से पता चलता है कि यह दवा प्रभावी है। हम WHO के नतीजों का इंतजार करेंगे और यह भी देखेंगे कि क्या कुछ कंपनियां भी इस पर आगे काम कर सकती हैं।'