देश / युवाओं से ऐसे भारत का निर्माण करना है जो भेदभाव और असमानताओं से मुक्त हो: वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज युवाओं से ऐसे भारत के निर्माण की दिशा में काम करने का आह्वान किया जो जाति, मजहब और लिंग के आधार पर भूख, भेदभाव और असमानताओं से मुक्त हो। उपराष्ट्रपति ने आज चेन्नई में रामकृष्ण मिशन की तमिल मासिक पत्रिका ‘ रामकृष्ण विजयम’ के शताब्दी समारोह में कहा कि भारत के प्रति पूरी दुनिया में नए सिरे से रुचि बढ़ी है क्योंकि देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

Vikrant Shekhawat : Jan 15, 2020, 11:23 AM
चेन्नई | उपराष्ट्रपति  एम. वेंकैया नायडू ने आज युवाओं से ऐसे भारत के निर्माण की दिशा में काम करने का आह्वान किया जो जाति, मजहब और लिंग के आधार पर भूख, भेदभाव और असमानताओं से मुक्त हो।

उपराष्ट्रपति ने आज चेन्नई में रामकृष्ण मिशन की तमिल मासिक पत्रिका ‘ रामकृष्ण विजयम’ के शताब्दी समारोह में कहा कि भारत के प्रति पूरी दुनिया में नए सिरे से रुचि बढ़ी है क्योंकि देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस मौके पर  नायडू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का कालातीत दृष्टिकोण और उनके उपदेश व्यक्तिगत विकास और राष्ट्र की सामूहिक उन्नति के लिए मार्गदर्शक बनी रहेंगी।

नायडू ने स्वामी विवेकानंद को हिंदू संस्कृति का अवतार और एक सामाजिक सुधारक बताया जो धार्मिक हठधर्मिता के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि विवेकानंद जाति और पंथ से हटकर मानवता के उत्थान में विश्वास करते थे। स्वामी विवेकानंद के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का आह्वान करते हुए उन्होंने युवाओं से देश की प्रगति, दलितों के कल्याण और गरीबों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमारे पास मजबूत, स्थिर और अधिक समृद्ध राष्ट्र बनने के अवसर हैं।

 नायडू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद गरीबों की दयनीय जीवन स्थितियों से पीड़ित थे और उन्होंने ‘पहले रोटी और फिर बाद में धर्म’ को प्राथमिकता देने की बात कही।

उन्होंने कहा कि विवेकानंद को भी लगता था कि जब तक भारत की जनता शिक्षित नहीं होगी, उन्हें पेट भर खाना नहीं मिलेगा, और उनकी अच्छी तरह से देखभाल नहीं की जाएगी तबतक किसी भी तरह की राजनीति का कोई फायदा नहीं होगा।  

उपराष्ट्रपति ने बच्चों की शारीरिक और मानसिक देखभाल का ध्यान रखते हुए समग्र शिक्षा के महत्व के बारे में बात करते हुए कहा कि स्वामीजी की शिक्षा का मतलब अकेले शैक्षणिक गतिविधियां नहीं थी। उन्होंने शारीरिक तंदुरुस्ती और स्वास्थ्य पर समान रूप से जोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने गैर-संचारी रोगों के प्रसार में तेजी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए युवाओं को बदलते जीवन शैली और आहार की आदतों के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया।  नायडू ने उन्हें योग का अभ्यास करने, ध्यान लगाने और खाने की स्वस्थ आदतों को अपनाने का सुझाव दिया।

उन्होंने युवाओं से शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने और भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने का संकल्प लेने को भी कहा है।

इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल  बनवारीलाल पुरोहित, मत्स्य पालन मंत्री थिरु जया कुमार, पूज्यस्वामी गौतमानंदजी, एसआरके मठ और मिशन, बेलूर के उपाध्यक्ष सहित कई और हस्तियां मौजूद थीं।

कार्यक्रम के बाद उपराष्ट्रपति प्रिंस ऑफ आर्कोट के नवाब मोहम्मद अब्दुल अली के घर अमीर महल गए और वहां स्वागत समारोह में नवाब के परिवार के सदस्यों और अन्य मेहमानों के साथ बातचीत की। वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया भर में अपने सभ्यतागत मूल्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने लोगों, विशेष रूप से युवा पीढ़ी से भारत की संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम विभिन्न भाषाएं बोलते हैं लेकिन हम सभी एक हैं। उन्होंने कहा कि संविधान सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है।