
- भारत,
- 14-Sep-2019 12:25 PM IST
नई दिल्ली. महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Assembly elections) का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, कांग्रेस और एनसीपी की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. इन दोनों ही पार्टियों से नेताओं के इस्तीफे का दौर जारी है. अब एनसीपी को राज्य में बड़ा झटका लगा है. सातारा से तीन बार के सांसद और शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले (Udayanraje Bhosale) ने लोकसभा में सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है. शनिवार को वो दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए.सातारा से तीन बार के सांसद उदयनराजे भोसले ने शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया. महाराष्ट्र चुनाव से पहले भोसले के इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने से एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार को बड़ा झटका लगा है. बता दें कि सातारा में शरद पवार के सबसे अधिक समर्थक हैं.शरद पवार से हुई मीटिंगबीजेपी में शामिल होने से पहले उदयनराजे की एनसीपी के मुखिया शरद पवार के साथ मैराथन मीटिंग चली. लेकिन इनका कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ दिल्ली आए. शनिवार को उन्होंने अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी जॉइन कर ली.लगातार 3 बार से थे सांसदसातारा में उदयनराजे का किला कितना मजबूत है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो यहां से लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने. इसमें भी जब 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी के प्रचंड लहर में बड़े-बड़े नेता अपनी सीट नहीं बचा पाए तब भी वो उन कुछ गिने-चुने नेताओं में से थे, जिन्होंने अपनी सीट को बचाए रखा.उदयनराजे भोसले शिवाजी महाराज के 13वें वंशज हैं. उदयनराजे भोसले 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीतकर लगातार तीन बार यहां से सांसद रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में सातारा सीट पर उदयनराजे भोसले के मुकाबले शिवसेना ने नरेंद्र अन्नासाहब पाटिल को मुकाबले में उतारा था. लेकिन नतीजों में वो विजयी रहे.फडणवीस की तारीफ के बाद शुरू हुई थीं अटकलेंबता दें कि पिछले महीने, भोसले ने सातारा में विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा की थी. उन्होंने पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार पर अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास में 'बाधाएं' पैदा करने का आरोप लगाया था. एनसीपी सांसद ने कहा था कि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास को ध्यान में रख कर निर्णय करना होगा. तभी से अनुमान लगाए जाने लगे थे वो जल्द ही एनसीपी को अलविदा कह देंगे.