Vikrant Shekhawat : May 17, 2021, 07:37 AM
लंदन: ब्रिटेन की सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ अप्रैल की शुरुआत में ही भारत को ‘‘लाल सूची’’ में नहीं डालने की आलोचना का रविवार को बचाव किया। कोविड-19 के बी1.617.2 प्रकार के मामलों में बढ़ोतरी के लिए इसे बड़ा कारक माना जा रहा है। इस प्रकार की पहचान सबसे पहले भारत में हुई।‘डाउनिंग स्ट्रीट’ ने कहा कि बी1.617 प्रकार की जांच शुरू होने से छह दिन पहले 23 अप्रैल को उसने भारत से यात्रा को लेकर ‘‘एहतियाती कदम’’ उठाए थे और यह कदम बी1.617.2 को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ (वीओसी) बताए जाने से दो हफ्ते पहले उठाया गया।‘पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड’ के नवीनतम आंकड़े के मुताबिक लाल सूची प्रतिबंध से पहले भारत और ब्रिटेन के बीच करीब 20 हजार लोगों ने यात्रा की और दिल्ली तथा मुंबई से मार्च के अंत और 28 अप्रैल के बीच आने वाले करीब 122 लोगों में वीओसी का पता चला।ब्रिटेन की सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अप्रैल में भारत को लाल सूची में डालने से पहले ब्रिटेन आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए निगेटिव होना और दस दिनों तक पृथक-वास में रहना आवश्यक था।’’बहरहाल, विपक्षी लेबर पार्टी ने मार्च में इस प्रकार के मामले सामने आने के बाद कदम उठाने में विलंब के लिए सरकार पर प्रहार किया।लेबर पार्टी के वरिष्ठ सांसद वेत्ते कूपर ने कहा, ‘‘यह नहीं होना चाहिए था। उन्हें भारत को लाल सूची में डालना चाहिए था। तीन हफ्ते में हजारों लोग भारत से लौटे जिसमें संभवत: सैकड़ों मामले वायरस के इस प्रकार से जुड़े थे।’’ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की अप्रैल के अंत में भारत के प्रस्तावित दौरे को भी कई लोग भारत को ‘‘लाल सूची’’ में डालने के विलंब का कारण मानते हैं।