Vikrant Shekhawat : May 26, 2022, 07:01 PM
Monkeypox Cases in World: कोविड-19 महामारी के कारण एक वक्त ऐसा आया था, जब दुनिया थम सी गई थी। लेकिन अब करोड़ों लोगों को वैक्सीन लग चुकी है तो ऐसा लगता है कि जिंदगी नॉर्मल होने के सफर पर निकल पड़ी है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में मंकीपॉक्स के कई देशों में मामले बढ़ने से फिर लोग खौफ में हैं।
UK में 78 पहुंचे केसब्रिटेन में बुधवार को मंकीपॉक्स के 7 नए मामले मिलने से आंकड़ा 78 पर पहुंच गया। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि मंकीपॉक्स वायरस कई देशों में कुछ समय से बिना किसी शक के फैल रहा है। यूके में दुनिया में अब तक सबसे ज्यादा मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं। पिछले एक महीने में 20-25 देश इससे पीड़ित हो चुके हैं। आधिकारिक डेटा के मुताबिक दुनिया में अब तक इस वायरस के 200 मामले मिल चुके हैं। हालांकि अफ्रीका के कई हिस्सों में यह पाया जा चुका है। लेकिन मंकीपॉक्स महाद्वीप से बाहर पहली बार फैला है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के एक्सपर्ट ग्रुप के अध्यक्ष प्रोफेसर डेविड हेमन का मानना है कि वायरस पिछले दो-तीन साल से यूके में मौजूद था लेकिन उसके असर अब तक पता नहीं चल पाया था। द गार्डियन के मुताबिक हेमन ने कहा, "यह काल्पनिक रूप से हो सकता है कि वायरस ट्रांसमिशन से बढ़ा और संयोग से यह उस आबादी में प्रवेश कर गया जो वर्तमान में ट्रांसमिशन को बढ़ा रहा है।''वैज्ञानिक कर रहे टेस्टवैज्ञानिक वायरस पर कई परीक्षण कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि इसी वायरस का म्यूटेटेड वर्जन 2018 में यूके पहुंचा था। द गार्डियन ने बेल्जियम में ल्यूवेन विश्वविद्यालय के एक वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर मार्क वान रैनस्ट के हवाले से कहा, "यह एक ऐसा वायरस हो सकता है जो काफी समय से बिना डिटेक्ट हुए घूम रहा है। उन सभी का एक समान पूर्वज है और वह सामान्य पूर्वज शायद 2019 से पहले का है, हालांकि किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।''
UK में 78 पहुंचे केसब्रिटेन में बुधवार को मंकीपॉक्स के 7 नए मामले मिलने से आंकड़ा 78 पर पहुंच गया। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि मंकीपॉक्स वायरस कई देशों में कुछ समय से बिना किसी शक के फैल रहा है। यूके में दुनिया में अब तक सबसे ज्यादा मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं। पिछले एक महीने में 20-25 देश इससे पीड़ित हो चुके हैं। आधिकारिक डेटा के मुताबिक दुनिया में अब तक इस वायरस के 200 मामले मिल चुके हैं। हालांकि अफ्रीका के कई हिस्सों में यह पाया जा चुका है। लेकिन मंकीपॉक्स महाद्वीप से बाहर पहली बार फैला है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के एक्सपर्ट ग्रुप के अध्यक्ष प्रोफेसर डेविड हेमन का मानना है कि वायरस पिछले दो-तीन साल से यूके में मौजूद था लेकिन उसके असर अब तक पता नहीं चल पाया था। द गार्डियन के मुताबिक हेमन ने कहा, "यह काल्पनिक रूप से हो सकता है कि वायरस ट्रांसमिशन से बढ़ा और संयोग से यह उस आबादी में प्रवेश कर गया जो वर्तमान में ट्रांसमिशन को बढ़ा रहा है।''वैज्ञानिक कर रहे टेस्टवैज्ञानिक वायरस पर कई परीक्षण कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि इसी वायरस का म्यूटेटेड वर्जन 2018 में यूके पहुंचा था। द गार्डियन ने बेल्जियम में ल्यूवेन विश्वविद्यालय के एक वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर मार्क वान रैनस्ट के हवाले से कहा, "यह एक ऐसा वायरस हो सकता है जो काफी समय से बिना डिटेक्ट हुए घूम रहा है। उन सभी का एक समान पूर्वज है और वह सामान्य पूर्वज शायद 2019 से पहले का है, हालांकि किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।''