Vikrant Shekhawat : Feb 25, 2022, 09:07 AM
एक रिपोर्ट के मुताबिक लोगों में टीके के प्रति घबराहट और बेचैनी फिजूल है। टीकाकरण के बाद बीमार होकर भर्ती हुए लोगों में सिर्फ 38 फीसदी केस ऐसे थे जो टीकाकरण से सीधे जुड़े थे। अधिकतर मरीज दूसरी परेशानियों के चलते अस्पताल तक पहुंचे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीकाकरण शाखा से मिली जानकारी के अनुसार देश में 16 जनवरी 2021 से कोरोना टीकाकरण चल रहा है। तब से लेकर अब तक 12 बार समीक्षा बैठक हुई है जिसमें देश के अलग अलग राज्यों में दर्ज 935 मामलों पर चर्चा की गई। यह सभी मरीज कोरोना का टीका लेने के कुछ देर या फिर कुछ दिन बाद अस्पतालों में भर्ती हुए थे। 935 में से 358 मरीजों की केस हिस्ट्री देखने के बाद इन्हें सीधे तौर पर कोरोना टीकाकरण के साथ जोड़ा गया लेकिन बाकी मामलों में कोरोना टीकाकरण की कोई भूमिका दिखाई नहीं दी है। इन लोगों के अस्पताल पहुंचने के पीछे समिति ने इत्तेफाक बताया गया। प्रतिकूल असर जानने को बना खास निगरानी तंत्र मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, देश में कई वर्षों से टीकाकरण के प्रतिकूल असर जानने के लिए एक निगरानी तंत्र बना हुआ है। कोरोना टीकाकरण जब शुरू हुआ था तो उस दौरान इसी निगरानी तंत्र को सक्रिय किया गया जिसे एईएफआई के नाम से जानते हैं। कम विश्वास पहुंचा सकता है अस्पतालटीकाकरण शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोरोना टीकाकरण को अब एक लंबा समय हो चुका है। देश में करोड़ों लोग अब तक टीका की दोनों खुराक हासिल कर चुके हैं। ऐसे में टीका के प्रति कम भरोसा रखने का सवाल ही नहीं होता। अगर लोग टीका लगवाने से पहले इस पर भरोसा करते हैं तो उन्हें टीकाकरण चिंता से जुड़ी परेशानी नहीं होगी और उन्हें अस्पतालों में भर्ती भी नहीं करना पड़ेगा।