Vikrant Shekhawat : May 06, 2022, 08:36 AM
मध्यप्रदेश के इंदौर में एक सब्जी विक्रेता की बेटी ने सभी बाधाओं और मुश्किलों को पार करते हुए कामयाबी की ऊंची उड़ान भरी। 29 वर्षीय अंकिता नागर अपने चौथे प्रयास में भर्ती परीक्षा को पास करने के बाद सिविल जज बनीं। उन्होंने परीक्षा में 5वीं रैंक हासिल की है।
अंकिता ने कहा कि वह अपने तीन प्रयासों में परीक्षा पास करने में नाकाम रहीं लेकिन कभी भी जज बनने के अपने सपने को छोड़ा नहीं। चौथे प्रयास में आखिर वह सिविल जज क्लास-2 की परीक्षा पास करने में सफल रहीं। उन्होंने कहा, मेरे पास खुशी जाहिर करने के लिए शब्द नहीं हैं। उनके पिता अशोक नागर शहर के मूसाखेड़ी इलाके में सब्जी विक्रेता हैं। वह परीक्षा की तैयारियों के बीच खाली समय में पिता के काम में भी मदद करती थीं।
एलएलबी और एलएलएम कर चुकी अंकिता विधि में स्नातक की पढ़ाई करते समय ही जज बनने का फैसला ले लिया था। उन्होंने कहा कि तीन असफल प्रयासों के बावजूद अपना हौसला नहीं खोया और अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहीं। उन्होंने कहा कि सिविल जज के तौर उनका ध्यान उनकी कोर्ट में आने वाले हर किसी को न्याय सुनिश्चित करना होगा।
डॉक्टर बनना चाहती थीं पर...अंकिता ने कहा कि वह पहले डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन इसकी पढ़ाई का खर्चा काफी ज्यादा है। इसलिए सिविल जज की परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने कहा कि अपनी ज्यादातर पढ़ाई सरकारी स्कॉलरशिप पर की।
फॉर्म भरने के लिए पैसों की पड़ गई कमीअंकिता ने कहा कि सिविल जज का परीक्षा फॉर्म भरने के लिए रुपये कम पड़ गए तो मां ने कहा कि शाम तक रुक जाओ सब्जी बेचने से रुपये आ जाएंगे।
माता-पिता और शिक्षकों को दिया श्रेयउनके मुताबिक, माता-पिता की मेहनत का ही परिणाम है कि वह आज इस मुकाम पर हैं। हालांकि वह दोस्तों और कोचिंग संस्थान के शिक्षकों की मदद को नहीं भूलीं। उनका मानना है कि सभी के प्रयासों से ही वह यह सफलता हासिल कर पाई है। पिता ने कहा, बेटी और बेटे में न करें फर्कपिता अशोक नागर का कहना है कि उनकी बेटी ने एक उदाहरण पेश किया है कि जिंदगी में कठिनाइयों के बावजूद हौसला नहीं खोना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेटी और बेटे में फर्क न करते हुए शिक्षा जरूर पूरी करवानी चाहिए। हमने उसकी शिक्षा के लिए काफी समझौते किए।
अंकिता ने कहा कि वह अपने तीन प्रयासों में परीक्षा पास करने में नाकाम रहीं लेकिन कभी भी जज बनने के अपने सपने को छोड़ा नहीं। चौथे प्रयास में आखिर वह सिविल जज क्लास-2 की परीक्षा पास करने में सफल रहीं। उन्होंने कहा, मेरे पास खुशी जाहिर करने के लिए शब्द नहीं हैं। उनके पिता अशोक नागर शहर के मूसाखेड़ी इलाके में सब्जी विक्रेता हैं। वह परीक्षा की तैयारियों के बीच खाली समय में पिता के काम में भी मदद करती थीं।
एलएलबी और एलएलएम कर चुकी अंकिता विधि में स्नातक की पढ़ाई करते समय ही जज बनने का फैसला ले लिया था। उन्होंने कहा कि तीन असफल प्रयासों के बावजूद अपना हौसला नहीं खोया और अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहीं। उन्होंने कहा कि सिविल जज के तौर उनका ध्यान उनकी कोर्ट में आने वाले हर किसी को न्याय सुनिश्चित करना होगा।
डॉक्टर बनना चाहती थीं पर...अंकिता ने कहा कि वह पहले डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन इसकी पढ़ाई का खर्चा काफी ज्यादा है। इसलिए सिविल जज की परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने कहा कि अपनी ज्यादातर पढ़ाई सरकारी स्कॉलरशिप पर की।
फॉर्म भरने के लिए पैसों की पड़ गई कमीअंकिता ने कहा कि सिविल जज का परीक्षा फॉर्म भरने के लिए रुपये कम पड़ गए तो मां ने कहा कि शाम तक रुक जाओ सब्जी बेचने से रुपये आ जाएंगे।
माता-पिता और शिक्षकों को दिया श्रेयउनके मुताबिक, माता-पिता की मेहनत का ही परिणाम है कि वह आज इस मुकाम पर हैं। हालांकि वह दोस्तों और कोचिंग संस्थान के शिक्षकों की मदद को नहीं भूलीं। उनका मानना है कि सभी के प्रयासों से ही वह यह सफलता हासिल कर पाई है। पिता ने कहा, बेटी और बेटे में न करें फर्कपिता अशोक नागर का कहना है कि उनकी बेटी ने एक उदाहरण पेश किया है कि जिंदगी में कठिनाइयों के बावजूद हौसला नहीं खोना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेटी और बेटे में फर्क न करते हुए शिक्षा जरूर पूरी करवानी चाहिए। हमने उसकी शिक्षा के लिए काफी समझौते किए।