Vikrant Shekhawat : Feb 14, 2022, 03:42 PM
अब तक बैंक धोखाधड़ी के मामले में विजय माल्या और नीरव मोदी का नाम ही सबसे ऊपर चल रहा था। सरकार का पूरा फोकस भी इन्हीं दोनों पर था, लेकिन इस बीच एक नया घोटाला सामने आया और माल्या-मोदी को कहीं पीछे छोड़ दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं एबीजी शिपयार्ड कंपनी द्वारा किए गए घोटाले की। यह बैंक फ्रॉड करीब 23 हजार करोड़ का है यानी विजय माल्या 9 हजार करोड़ और नीरव मोदी 14 हजार करोड़, दोनों की कुल धोखाधड़ी के बराबर। आइए जानते हैं अब तक के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड के बारे में सबकुछ। देश की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ीदेश के इतिहास का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड सामने आया है। जो भगोड़े घोषित किए जा चुके विजय माल्या और नीरव मोदी की कुल धोखाधड़ी के बराबर है। सूरत बेस्ड कंपनी एबीजी शिपयार्ड ने ये 22,842 करोड़ रुपये का बड़ा घोटला किया है। इसके सामने आने के बाद जहां देशवासियों को बड़ी हैरान हुई, वहीं विपक्ष को भी केंद्र सरकार को घेरने के लिए एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है। सीबीआई ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए कंपनी के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने देश की अलग-अलग 28 बैंकों से कारोबार के नाम पर 2012से 2017 के बीच कुल 28,842 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। इन लोगों पर किया मामला दर्जगौरतलब है कि देश के इस सबसे बड़े बैंक फ्रॉड में केंद्रीय एजेंसी ने ऋषि कमलेश अग्रवाल के अलावा एबीजी शिपयार्ड के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों- अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मामला दर्ज किया। रिपोर्ट के मुताबिक, इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार घोटाला करने वाली दो प्रमुख कंपनियों के नाम एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड हैं। दोनों कंपनियां एक ही समूह की हैं। पैसों का यहां किया गया इस्तेमालइस संबंध में जारी रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियों पर आरोप है कि बैंक फ्रॉड के जरिए प्राप्त किए गए पैसे को विदेश में भेजकर अरबों रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी गईं। 18 जनवरी 2019 को अर्नस्ट एंड यंग एलपी द्वारा दाखिल अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 तक की फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट की जांच में सामने आया है कि कंपनी ने गैरकानूनी गतिविधियों के जरिये बैंक से कर्ज में हेरफेर किया और रकम ठिकाने लगा दी। इसके अनुसार, कंपनी के पूर्व एमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल पहले ही देश छोड़कर भाग चुका है और सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि वह इस समय सिंगापुर में रह रहा है। बता दें कि बैंकों का ये भारी-भरकम लोन अमाउंट जुलाई 2016 में एनपीए घोषित हो गया था। पहली बार साल 2019 में शिकायतदेश की सबसे बड़ी इस बैंक धोखाधड़ी के मामले में पहली बार शिकायत साल 2019 में दर्ज कराई गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, 8 नवंबर 2019 को 28 बैंकों के प्रतिनिधियों ने सीबीआई में पहली बार इस बड़े घोटाले को लेकर एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। 2020 में सीबीआई ने इस शिकायत के संबंध में कुछ स्प्ष्टता मांगी, जिसके बाद अगस्त 2020 में बैकों ने दोबारा संशोधित शिकायत सीबीआई को भेजी। डेढ़ साल मामले की जांच करने के बाद आखिरकार सीबीआई ने बीती 7 फरवरी 2022 को एफआईआर दर्ज की। इस मामले में सूरत, मुंबई और पुणे समेत कंपनी के 13 ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की। जिसके बाद से सबसे बड़ा घोटाला देश के सामने आया, जिसने विजय माल्या और नरीव मोदी को भी पीछे छोड़ दिया। प्रमुख बैंकों का कंपनी पर कितना बकाया?
कंपनी का क्या है कारोबार?बता दें कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड की शुरुआत साल 1985 में हुई थी। गुजरात के दाहेज और सूरत में एबीजी समूह की यह शिपयार्ड कंपनी पानी के जहाज बनाने और उनकी मरम्मत का काम करती है। अब तक यह कंपनी 165 जहाज बना चुकी है। इस कंपनी ने 1991 तक तगड़ा मुनाफा कमाते हुए देश-विदेश से बड़े ऑर्डर हासिल किए। रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में कंपनी को 55 करोड़ डॉलर से ज्यादा का भारी नुकसान हुआ और इसके बाद इसकी हालत पतली होती गई। अपनी वित्तीय हालत का हवाला देते हुए कंपनी ने बैंकों से कर्ज लिया और इस सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया। एसबीआई ने यह भी बताया कि आखिर क्यों बैंकों के संघ की तरफ से उसने की मामले में केस दर्ज करवाया। दरअसल, आईसीआईसीआई और आईडीबीआई बैंक कंसोर्शियम में पहले और दूसरे अग्रणी ऋणदाता थे। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एसबीआई सबसे बड़ा ऋणदाता था। इसलिए यह तय हुआ कि सीबीआई के पास शिकायत दर्ज एसबीआई कराएगा। क्या है स्टेट बैंक का बयान?स्टेट बैंक ने इस मामले में कहा कि आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व में 2 दर्जन से अधिक उधारदाताओं ने पैसे दिए थे। कंपनी के खराब प्रदर्शन के कारण खाता गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में तब्दील हो गया था। कंपनी के संचालन को ठीक करने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन सब विफल रहे। एसबीआई ने बताया कि मार्च 2014 में सभी उधारदाताओं द्वारा कंपनी ऋण पुनर्गठन (सीडीआर) के तहत खाते की पुनर्रचना की गई थी। शिपिंग उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा था, इसलिए कंपनी का संचालन पुनर्जीवित नहीं हो सका। पुनर्गठन विफल होने के कारण खाते को नवंबर 2013 से जुलाई 2016 में एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया था। अप्रैल 2018 में उधारदाताओं द्वारा अर्न्स्ट एंड यंग (E&Y) को फॉरेंसिक ऑडिटर के रूप में नियुक्त किया गया था। धोखाधड़ी मुख्य रूप से धन के विचलन, दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात की रही।विपक्ष के हाथ लगा बड़ा मुद्दाएबीजी शिपयार्ड कंपनी द्वारा 22 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि सरकार जनता का पैसा लुटाओ, फिर भगाओ की रणनीति पर काम कर रही है। इसी के तहत लगातार घोटाले हो रहे हैं और आरोपी देश छोड़कर विदेश भाग रहे हैं। विजय माल्या और नीरव मोदी के बाद एक और नाम इस सूची में शामिल हो गया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, मोदी काल में अबतक 5,35000 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड हो चुके हैं। 75 सालों में जनता के पैसे की ऐसी धांधली कभी नहीं हुई। लूट और धोखे के ये दिन सिर्फ मोदी के मित्रों के लिए अच्छे दिन हैं। भाजपा ने ऐसे किया पलटवारएक ओर जहां कांग्रेस के सुरजेवाला ने कहा, एबीजी शिपयार्ड ओर उसके प्रमोटरों द्वारा की गई भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी में मोदी सरकार में सत्ता शीर्ष पर बैठे लोगों का सहअपराध, सांठ-गांठ और मिलीभगत साफ दिखता है। सुरजेवाला ने सवाल उठाया, आखिर दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद मामला मोदी सरकार को एफआईआर दर्ज करने में 5 साल का समय क्यों लगा? कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए पार्टी प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने कहा कि एबीजी शिपयार्ड को लोन यूपीए सरकार में दिया गया था जबकि मोदी सरकार ने इस चोरी को पकड़ा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सरकार पर हमला ऐसा ही है जैसे चोर, पुलिस को अपराध का जिम्मेदार ठहरा रहा हो। सारा पैसा 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले ये पैसे दिए गए और एनपीए भी मोदी सरकार बनने से पहले ही हो गए थे।
बैंक का नाम | बकाया |
आईसीआईसीआई | 7,089 करोड़ रुपये |
आईडीबीआई | 3,634 करोड़ रुपये |
स्टेट बैंक आफ इंडिया | 2,468.51 करोड़ रुपये |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 1,614 करोड़ रुपये |
पीएनबी | 1244 करोड़ रुपये |
आईओबी | 1,228 करोड़ रुपये |