Jharkhand Elections 2024: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शनिवार को झारखंड पहुंच रहे हैं, जहां वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चुनावी अभियान को मजबूती देने और पार्टी में मचे बगावत के सुरों को शांत करने की कोशिश करेंगे। रांची में प्रदेश के बीजेपी नेताओं के साथ बैठक में शाह चुनावी तैयारियों और प्रचार अभियान का जायजा लेंगे। इसके साथ ही, रविवार को अमित शाह घाटशिला, बरकट्ठा और सिमरिया में रैलियां कर बीजेपी के पक्ष में समर्थन जुटाने का प्रयास करेंगे।
बीजेपी में बागावत का माहौल
झारखंड में बागी नेता इस बार बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। पार्टी के कई असंतुष्ट नेता बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं, जिससे चुनावी समीकरणों पर असर पड़ सकता है। झारखंड बीजेपी के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्वा सरमा ने इन बागियों को मनाने की भरपूर कोशिश की है। केंद्रीय मंत्रियों और पड़ोसी राज्यों के वरिष्ठ नेताओं ने भी असंतुष्ट नेताओं से संपर्क कर उन्हें पार्टी में बने रहने और सरकार बनने पर उचित सम्मान देने का आश्वासन दिया है। इन प्रयासों के बाद कई नेता पार्टी के समर्थन में वापस आ गए हैं, लेकिन कुछ नेता अब भी विरोध का रुख अपनाए हुए हैं।
बड़े बागी नेता
बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं में सबसे प्रमुख नाम निरंजन राय का है, जो धनवार सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। एक समय निरंजन राय प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के करीबी माने जाते थे। बीजेपी ने जब मरांडी को धनवार से उम्मीदवार बनाया, तो राय ने पार्टी के खिलाफ खड़े होने का फैसला किया। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने राय को मनाने का प्रयास किया, लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग रहे।दूसरे प्रमुख बागी नेता शिवशंकर सिंह हैं, जिन्होंने जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। इस सीट पर बीजेपी ने पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू को टिकट दिया है। सिंह का कहना है कि उनका विरोध पार्टी से नहीं बल्कि परिवारवाद और भाई-भतीजावाद के खिलाफ है।गुमला सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार सुदर्शन भगत के खिलाफ पार्टी के युवा नेता मिशिर कुजूर ने मोर्चा खोल रखा है। हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव के बार-बार अनुरोध के बावजूद कुजूर ने नामांकन वापस लेने से मना कर दिया है।सरायकेला सीट पर गणेश महली ने बीजेपी से बगावत कर जेएमएम का दामन थाम लिया है। बीजेपी ने यहां जेएमएम से आए चंपाई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है, जिससे नाराज होकर महली ने अपने पुराने प्रतिद्वंदी के खिलाफ ताल ठोक दी है।
अमित शाह का मिशन: बागियों को साधना और चुनाव अभियान को मजबूती देना
झारखंड में बागी नेताओं की चुनौती बीजेपी के चुनाव अभियान पर असर डाल रही है। अमित शाह के दौरे का उद्देश्य इन असंतुष्ट नेताओं को मनाना और पार्टी की स्थिति को मजबूत करना है। शाह की कोशिश होगी कि वे इन बागियों को मना सकें ताकि चुनाव में बीजेपी का जनाधार कमजोर न हो। इसके अलावा, जिन नेताओं ने बगावत के बाद अपना नाम वापस ले लिया है, उनसे भी शाह मुलाकात कर सकते हैं और उन्हें पार्टी में आगे भी सम्मान देने का भरोसा दिला सकते हैं।
अमित शाह की रैलियां और चुनावी रणनीति
रविवार को अमित शाह घाटशिला, बरकट्ठा और सिमरिया में रैलियां करेंगे। इन रैलियों में शाह बीजेपी के चुनावी एजेंडे को जनता के सामने रखेंगे और बागियों के असर को कम करने की कोशिश करेंगे। पार्टी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि चुनावी अभियान को अमित शाह जैसी अनुभवी शख्सियत से धार मिले, जिससे पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक उत्साहित हों।
झारखंड चुनाव में अमित शाह का कद
झारखंड में अमित शाह की भूमिका सिर्फ चुनावी प्रचार तक सीमित नहीं है; वे पार्टी को एकजुट करने और बागियों के मसले का हल निकालने में भी जुटे हुए हैं। शाह का यह दौरा न केवल चुनावी तैयारियों को मजबूती देगा, बल्कि बीजेपी के आंतरिक मसलों को भी सुलझाने में सहायक होगा।इस दौरे के बाद बीजेपी को उम्मीद है कि चुनाव में बागियों का असर कम होगा और अमित शाह की रणनीति से पार्टी को बढ़त हासिल होगी। झारखंड में बीजेपी का मजबूत प्रदर्शन शाह की कुशल चुनावी रणनीति का परिणाम हो सकता है।