AI Baby / क्या हैं AI बेबी, जो अमेरिका में पैदा होंगे और तकनीकी से कितना बदलेगी बच्चे की जिंदगी?

अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बच्चे यानी AI बेबी पैदा होंगे. इस तकनीक की मदद से भ्रूण के विकसित होने के दौरान कई चीजों की भविष्यवाणी की जा सकेगी. जैसे- यह भ्रूण कितना सफल होगा. इसमें अनुवांशिक बीमारियां ट्रांसफर होंगी या नहीं. और उन चीजों के बारे में भी बताया जा सकेगा, जिसे इंसानी आंखों नहीं देख पा रही हैं. अमेरिका में इस तकनीक का इस्तेमाल करके AI बेबी पैदा किए जा सकेंगे. इसकी तैयारी पूरी हो गई है.

Vikrant Shekhawat : Jul 15, 2023, 02:28 PM
AI Baby: अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बच्चे यानी AI बेबी पैदा होंगे. इस तकनीक की मदद से भ्रूण के विकसित होने के दौरान कई चीजों की भविष्यवाणी की जा सकेगी. जैसे- यह भ्रूण कितना सफल होगा. इसमें अनुवांशिक बीमारियां ट्रांसफर होंगी या नहीं. और उन चीजों के बारे में भी बताया जा सकेगा, जिसे इंसानी आंखों नहीं देख पा रही हैं. अमेरिका में इस तकनीक का इस्तेमाल करके AI बेबी पैदा किए जा सकेंगे. इसकी तैयारी पूरी हो गई है.

जानिए क्या है AI बेबी, कैसे इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और दुनिया में कहां-कहां इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.

क्या है AI बेबी?

डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तकनीक का इस्तेमाल आईवीएफ प्रॉसेस में होगा. आईवीएफ एक तरह का फर्टिलिटी ट्रीटमेंट जिसका इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ हैं. इस प्रक्रिया के जरिए बांझपन का इलाज किया जाता है. आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान भ्रूण को विकसित करके महिला के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जाता है.

अब इसी भ्रूण की जांच ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस सॉफ्टवेयर से की जाएगी जो उसके बारे में कई जानकारी देगा. इस भ्रूण से जन्म लेने वाले बच्चों को ही AI बेबी कहा जा रहा है.

कितना असर दिखा रही आर्टिफिशियल इंटेजिलेंस?

रिपोर्ट के मुताबिक, आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए उसका सक्सेस रेट बढ़ाया जा रहा है. दावा किया गया है कि AI अल्गोरिदिम का प्रयोग करके आईवीएफ का सक्सेस रेट 30% तक भी बढ़ाया जा सकता है.

प्रेग्नेंसी के मामले में फिलहाल इस तकनीक का इस्तेमाल यूरोप, एशिया, दक्षिण अमेरिका में हो रहा है. अब अमेरिका में बड़े स्तर पर इसकी शुरुआत हो सकती है.

नया तरीका क्यों राहत देने वाला साबित हो सकता है, अब इसे समझ लेते हैं. दरअसल, आईवीएफ की प्रक्रिया के दौरान भ्रूण विकसित किया जाता है. इसके बाद यह जांचा जाता है कि भ्रूण का विकास सफलतापूर्वक हुआ या नहीं. इसके बाद ही भ्रूण को महिला के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जाता है.

जांच की यह प्रक्रिया काफी महंगी है. दुनिया के कई देशों में इसके एक सेशन के लिए करीब 10 लाख रुपए लिए जाते हैं. इसके बाद ही भी गारंटी नहीं होती है कि नया भ्रूण सफल होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में आईवीएफ के मामलों में सक्सेस रेट मात्र 24 फीसदी ही होता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

एआई के जरिए भ्रूण की जांच करने कंपनी AIVF की सीईओ और एम्ब्रायोलॉजिस्ट डॉ. डेनिएला गिल्बोआ कहती हैं, आईवीएफ की प्रॉसेस में भ्रूण का चुनाव करना सबसे महत्वपूर्ण कदम है. अब तक यह काम इंसानी डॉक्टर करते रहे हैं, लेकिन अब AI के जरिए इसकी क्वालिटी को जांचा जा सकेगा.

माइक्रोस्कोप से देखने पर सभी भ्रूण दिखने में एक जैसे ही लगते हैं, ऐसे में कौन सा भ्रूण बेहतर साबित होगा, यह फैसला लेना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञों की मदद करेगा. ट्रायल के दौरान यह जांच की गई, जिसमें सफलता मिली है. दावा किया गया है कि इनमें दूसरे बच्चों के मुकाबले आनुवांशिक बीमारियों का खतरा कम हो सकता है. यानी जन्मजात या भविष्य में होने वाली लाइलाज बीमारियों का रिस्क घटेगा.