India-UK FTA News / भारत-ब्रिटेन FTA समझौता क्यों नहीं हो पा रहा, पूर्व ब्रिटिश मंत्री ने अपनी ही खोली पोल

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) अब तक नहीं हो पाया, इसके पीछे की वजहें पूर्व मंत्री केमी बेडेनोच ने उजागर की हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष ने अधिक वीजा की मांग के चलते समझौते को जानबूझकर अवरुद्ध किया। नई लेबर पार्टी सरकार के तहत वार्ता फिर से शुरू हो सकती है।

Vikrant Shekhawat : Oct 20, 2024, 09:15 AM
India-UK FTA News: भारत और ब्रिटेन के बीच बहु प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) अब तक क्यों नहीं हो पाया, इस पर पूर्व ब्रिटिश मंत्री केमी बेडेनोच ने हाल ही में अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने इस समझौते को जानबूझकर अवरुद्ध करने का आरोप भारतीय पक्ष द्वारा अधिक वीजा की मांग पर लगाया। बेडेनोच का कहना है कि जब वह व्यापार और वाणिज्य मंत्री थीं, तब भारतीय पक्ष प्रवासन के मुद्दे पर अधिक रियायतें चाह रहा था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।

बेडेनोच के दावे

बेडेनोच ने कहा, "जब मैं प्रवासन को सीमित करने के लिए कुछ करने की कोशिश कर रही थी, तब हमें भारत के साथ एफटीए का मुद्दा सामने था। भारतीय पक्ष प्रवासन के मामले में अधिक रियायतें मांग रहा था, लेकिन मैंने मना कर दिया। यह उन कारणों में से एक है जिसके कारण हमने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए।" हालांकि, उनके कुछ पूर्व सहकर्मियों ने उनके दावे का खंडन किया है, यह कहते हुए कि बेडेनोच किसी भी कीमत पर समझौते के लिए जोर दे रही थीं, ताकि द्विपक्षीय व्यापार में 38 अरब जीबीपी की वृद्धि हो सके।

समझौते में अड़चने

एक पूर्व कैबिनेट मंत्री ने बताया कि बेडेनोच समझौते को लेकर उत्सुक थीं और ब्रेक्जिट के लाभों को दिखाने के लिए एक उपलब्धि चाहती थीं। उन्होंने कहा, "हकीकत यह है कि सौदेबाजी की सारी ताकत भारतीयों के पास थी। हम पर बहुत दबाव था और भारतीय पक्ष सौदे में अधिक रियायती शर्तों पर बातचीत कर रहा था।" इस स्थिति ने स्पष्ट किया कि वार्ता के दौरान ब्रिटिश पक्ष ने अधिक मेहनत की, जबकि भारतीय पक्ष अपेक्षाकृत बेपरवाह था।

बेडेनोच की तैयारी

हालांकि, एक करीबी सूत्र ने बताया कि बेडेनोच किसी भी कीमत पर समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं थीं। भारतीय सरकार ने भी समझौते पर हस्ताक्षर न करने का निर्णय लिया, यह सोचकर कि लेबर पार्टी के शासन में उन्हें बेहतर शर्तों पर बातचीत का मौका मिलेगा। सूत्र के अनुसार, "केमी किसी भी सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं थीं जो ब्रिटेन के आव्रजन नियमों में बदलाव लाए।"

नए प्रधानमंत्री का रुख

ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री केयर स्टार्मर की सरकार के तहत एफटीए वार्ता अगले महीने शुरू होने की उम्मीद है। उनके विदेश मामलों के प्रवक्ता ने इस सप्ताह कहा, "हम भारत के साथ व्यापार समझौता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और जल्द से जल्द वार्ता फिर से शुरू करने का इरादा रखते हैं।" ऋषि सुनक की नेतृत्व वाली टोरी पार्टी की करारी हार के बाद, उनकी जगह नए नेता की नियुक्ति 2 नवंबर को की जाएगी।

निष्कर्ष

भारत-ब्रिटेन एफटीए की बातचीत में राजनीतिक जटिलताएँ और प्रवासन के मुद्दे प्रमुख रुकावटें हैं। पूर्व मंत्री बेडेनोच के दावे और पूर्व सहयोगियों की प्रतिक्रियाएँ इस बात को दर्शाती हैं कि समझौते के प्रति दृष्टिकोण में भिन्नता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नए नेतृत्व के तहत वार्ता कैसे आगे बढ़ती है और क्या भारत-ब्रिटेन के बीच इस बहुप्रतीक्षित समझौते पर जल्द ही हस्ताक्षर हो पाएंगे।