Gold Price Today / क्या गोल्ड 2025 में 90,000 रुपए पहुंच जाएगा? यहां समझिए कैलकुलेशन

2025 में सोने की कीमतें 85,000-90,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती हैं। जियोपॉलिटिकल तनाव, नरम मौद्रिक नीति, और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी इसके प्रमुख कारण हैं। पहली छमाही में गिरावट की संभावना है, लेकिन साल के अंत तक बढ़त तय मानी जा रही है। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह फायदेमंद रहेगा।

Vikrant Shekhawat : Jan 04, 2025, 08:37 AM

Gold Price Today: सोने की कीमतों में तेजी का सिलसिला 2025 में भी जारी रहने की संभावना है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि घरेलू बाजार में सोना 85,000 से 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। इसके पीछे कई वैश्विक और स्थानीय कारण हैं, जिनमें जियोपॉलिटिकल तनाव, नरम मौद्रिक नीति, और केंद्रीय बैंकों द्वारा बढ़ती सोने की खरीदारी प्रमुख हैं। आइए, जानते हैं कि क्यों सोने की कीमतें नई ऊंचाइयों को छू सकती हैं।

पिछले रिकॉर्ड और वर्तमान स्थिति

2023 में सोने ने 82,400 रुपये प्रति 10 ग्राम का ऐतिहासिक स्तर छुआ था। 30 अक्टूबर को यह रिकॉर्ड दर्ज किया गया था। वर्तमान में भारतीय स्पॉट मार्केट में सोने की कीमत 79,350 रुपये और MCX वायदा बाजार में 76,600 रुपये प्रति 10 ग्राम है।

वैश्विक बाजार की बात करें तो COMEX पर सोने ने 2,790 डॉलर प्रति औंस का उच्चतम स्तर छू लिया था। यह दर्शाता है कि निवेशक मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक हालातों को देखते हुए सोने को एक सुरक्षित विकल्प मान रहे हैं।


जियोपॉलिटिकल तनाव का असर

वैश्विक स्तर पर जारी जियोपॉलिटिकल तनाव सोने की कीमतों में तेजी का बड़ा कारण है। रूस-यूक्रेन युद्ध को दो साल पूरे हो चुके हैं और इस संघर्ष का कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है।

अमेरिका में जनवरी 2025 के अंत में सत्ता परिवर्तन होने वाला है, जिससे वैश्विक राजनीति में अनिश्चितता बढ़ेगी। इसके अलावा, इजरायल और ईरान के बीच तनाव भी लगातार बढ़ रहा है।

एक अन्य बड़ा घटनाक्रम सीरिया में देखने को मिला है, जहां विद्रोहियों ने असद सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया है। इन परिस्थितियों में निवेशक सोने को एक सुरक्षित निवेश मान रहे हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ने की पूरी संभावना है।


मौद्रिक नीति में नरमी

अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती की है। हाल ही में फेड ने 25 बेसिस पॉइंट्स (0.25%) की कटौती कर ब्याज दरों को 4.25% से 4.50% के बीच कर दिया है। यह इस साल की तीसरी कटौती है।

भारत में भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के नए गवर्नर के आने के बाद रेपो रेट में कमी की उम्मीद जताई जा रही है। यदि ऐसा होता है, तो बैंकों की ब्याज दरें कम होंगी और लोगों की खरीदने की क्षमता बढ़ेगी।

इस नरम मौद्रिक नीति का सीधा असर सोने की कीमतों पर होगा। जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो निवेशक सोने जैसे सुरक्षित विकल्पों की ओर आकर्षित होते हैं।


केंद्रीय बैंकों की बढ़ती गोल्ड खरीदारी

पिछले कुछ वर्षों में एक पैटर्न देखा गया है कि केंद्रीय बैंक लगातार अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ा रहे हैं।

भारत सहित कई देशों के केंद्रीय बैंक सोने की खरीदारी कर अपने भंडार को मजबूत कर रहे हैं। यदि यह प्रवृत्ति 2025 में भी जारी रहती है, तो सोने की कीमतों में वृद्धि की संभावना और अधिक हो जाएगी।


2025 की पहली छमाही में गिरावट की संभावना

विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 की पहली छमाही में सोने की कीमतों में थोड़ी गिरावट देखी जा सकती है। MCX पर यह कीमत 73,000 से 73,500 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है।

हालांकि, दूसरी छमाही में तेजी की पूरी संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के अंत तक सोने की कीमतें 85,000 से 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती हैं।

यह गिरावट निवेशकों के लिए एक सुनहरा अवसर बन सकती है। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह समय सोने में निवेश करने का सही मौका हो सकता है।


निवेशकों के लिए क्या है सलाह?

दीर्घकालिक निवेश के नजरिए से सोना हमेशा एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। हालांकि, निवेशकों को बाजार की परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए और विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही निवेश करना चाहिए।

यदि आप सोने में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो 2025 की शुरुआत में संभावित गिरावट के दौरान खरीदारी करना एक अच्छा निर्णय हो सकता है।


निष्कर्ष

2025 में सोने की कीमतें नई ऊंचाइयों को छू सकती हैं। वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों का रुझान सोने की ओर बढ़ रहा है।

जियोपॉलिटिकल तनाव, नरम मौद्रिक नीतियां, और केंद्रीय बैंकों की बढ़ती सोने की खरीदारी जैसी वजहें सोने की कीमतों में उछाल का कारण बन सकती हैं।

हालांकि, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार के उतार-चढ़ाव और विशेषज्ञों की राय का ध्यान रखें। सोने में निवेश करने का यह सही समय हो सकता है, लेकिन समझदारी से कदम उठाना जरूरी है।