Lok Sabha Elections / क्या कन्हैया कुमार चुनाव नहीं लड़ सकेंगे? RJD ने इस सीट को लेकर डाला अड़ंगा!

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक पार्टियां अभी से सियासी समीकरण साधने में जुट गई हैं. बिहार में कन्हैया कुमार के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है. कन्हैया को लेकर कहा जा रहा है कि लालू यादव की अगुवाई वाली पार्टी आरजेडी, कांग्रेस को बेगूसराय सीट देने के लिए राजी नहीं है. इसके साथ-साथ कन्हैया को बिहार की राजनीति से दूर रखने का भी प्रयास चल रहा है. कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी

Vikrant Shekhawat : Nov 24, 2023, 06:00 AM
Lok Sabha Elections: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक पार्टियां अभी से सियासी समीकरण साधने में जुट गई हैं. बिहार में कन्हैया कुमार के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है. कन्हैया को लेकर कहा जा रहा है कि लालू यादव की अगुवाई वाली पार्टी आरजेडी, कांग्रेस को बेगूसराय सीट देने के लिए राजी नहीं है. इसके साथ-साथ कन्हैया को बिहार की राजनीति से दूर रखने का भी प्रयास चल रहा है. कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी बेगूसराय सीट कांग्रेस को न देकर लेफ्ट पार्टी को देना चाहती है. वहीं, कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल तेजस्वी यादव के जन्मदिन के अगले दिन उनसे मुलाकात की थी. इसमें कांग्रेस ने भी कांग्रेस ने भी बेगूसराय सीट की मांग नहीं की है. प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह, विधायक अजीत शर्मा, शकील अहमद खान सरीखे नेता मौजूद थे.

इन लोगों ने जिस सीट की मांग की है उसमें कटिहार, काराकाट, औरंगाबाद, सासाराम, किशनगंज, वैशाली, बेतिया, बक्सर और समस्तीपुर का नाम शामिल हैं. कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि आरजेडी पहले से ही कन्हैया कुमार को लेकर सीटें देने को तैयार नहीं दिख रही है इसलिए कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने लालू यादव और तेजस्वी से मिलकर बेगूसराय सीट की मांग करना उचित नहीं समझा है.

वृद्ध नेता जनता के बीच में रहने की स्थिति में नहीं

दरअसल, कांग्रेस के कई युवा नेता कन्हैया को सीट नहीं दिए जाने को लेकर निराश तो हैं ही साथ ही वैशाली, औरंगाबाद, सासाराम जैसी सीटों पर 80 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को टिकट दिए जाने की चर्चा को लेकर परेशान हैं. दरअसल, इन लोगों का मानना है कि ये वृद्ध नेता जनता के बीच में बने रहने की स्थिति में नहीं हैं. ऐसे में युवा चेहरे जिनमें संजीव कुमार, अनुराग कुमार, मुन्ना तिवारी, शकील खान, आनंद शंकर जैसे तेज तर्रार नेताओं को लोकसभा चुनाव में नहीं उतारा गया तो कांग्रेस का रिवाइवल बिहार में संभव नहीं है.

इन नामों की चर्चा तेज

दरअसल, औरंगाबाद से निखिल कुमार, अवधेश सिंह वहीं, सासाराम से मीरा कुमार और कटिहार से तारीक अनवर के नामों की चर्चा जोरों पर हैं. इन नेताओं की उम्र लगभग 80 साल से ज्यादा है. इसलिए इन नेताओं के नामों की चर्चा की वजह से बिहार कांग्रेस में युवा नेता पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

बेगूसराय कन्हैया का होम टाउन है और अब धीरे-धीरे बिहार कांग्रेस के बड़े नेताओं में उनकी गिनती होने लगी है. युवा हैं, तेज तर्रार हैं हाजिर जवाबी के लिए पूरे देश में अपनी पहचान बना चुके हैं. कुछ हफ्ते पहले जब कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आरजेडी नेताओं से मिलने गया था. इसमें अखिलेश कुमार समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेता थे.

कांग्रेस जान चुकी है आरजेडी नहीं देना चाहती बेगूसराय सीट

यह प्रतिनिधिमंडल जब तेजस्वी यादव से मिला तो उन्होंने खुद बेगूसराय सीट को लेकर कोई चर्चा नहीं की. इसका मतलब यह है कि तेजस्वी ने पहले से ही यह साफ कर दिया है कि हम बेगूसराय सीट कांग्रेस को नहीं देंगे. कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आरजेडी यह नहीं चाहती है कि बिहार की राजनीति में कन्हैया कुमार की एंट्री हो. ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार की राजनीति में कन्हैया की एंट्री तेजस्वी यादव के लिए थ्रेट हो सकती है. आरजेडी चाहती है कि कन्हैया को हर हाल में बिहार से बाहर रखा जाए.

बिहार में कांग्रेस पूरी तरह से लालू पर ही निर्भर

जहां तक बात कांग्रेस की है तो वो बिहार में पूरी तरीके से लालू यादव के सामने आत्मसमर्पण की हुई है. लालू यादव जैसा कहते हैं कांग्रेस वही करती है. यहां तक कि जेडीयू से भी बातचीत करनी होती है तो कांग्रेस लालू प्रसाद यादव के जरिए ही जेडीयू तक पहुंचती है. कांग्रेस के इस व्यवहार से जेडीयू भी नाराज है. पहले कई बार ऐसा देखने को मिल चुका है. सीट शेयरिंग को लेकर आरजेडी जब भी नीतीश कुमार के पास पहुंचती है तो वो आनाकानी करने लगते हैं.

सीट शेयरिंग को लेकर आखिर क्या सोचते हैं नीतीश कुमार?

सीट शेयरिंग के मुद्दे पर नीतीश कुमार चाहते हैं कि इसे लेकर जो भी बातचीत हो उसमें कांग्रेस का कोई बड़ा नेता सीधे तौर पर शामिल रहे. तब सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो. ऐसा इसलिए क्योंकि नीतीश कुमार यह चाहते हैं कि जब बातचीत में कांग्रेस का कोई बड़ा नेता शामिल होगा तो पार्टी की क्या राय है, खुलकर सामने आएगा.