Vikrant Shekhawat : Jun 10, 2021, 03:59 PM
Delhi: साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार, 10 जून यानी आज लगने जा रहा है। भारत में ये सूर्य ग्रहण अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों और लद्दाख में ही आंशिक रूप से दिखाई देगा। ये ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर लगेगा और शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। ज्येष्ठ अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत तीनों एक ही दिन होने की वजह से आज का दिन कई मायनों में खास है।
ज्योतिर्विद कमल नंदलाल के अनुसार, ग्रहण का मतलब है किसी चीज को कलंकित करना है। अगर ग्रहण संसार के मूल ऊर्जा स्त्रोत यानी सूर्य को लग जाए तो अनिष्ट होना निश्चित है। इस बार का सूर्य ग्रहण खग्रास, रिंग ऑफ फायर या वलयाकार सूर्य ग्रहण है। ऐसे में देश-दुनिया पर इसका काफी प्रभाव पड़ेगा। आइए जानते हैं पंडित कमल नंदलाल से कि इस सूर्य ग्रहण के कारण देश-दुनिया में कैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।ज्योतिषार्य के अनुसार, 26 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था। अरुणाचल प्रदेश के अलावा भारत के कुछ ही हिस्सों में चंद्रग्रहण का नजारा देखने को मिला था। पर मूल रूप से चीन और अमेरिका में दिखाई दिया था। ऐसे में चंद्रगहण का सबसे ज्यादा प्रभाव जल यानी नदियों आदि पर होता है और सूर्य ग्रहण का बसे ज्यादा प्रभाव जन-जीवन, प्रकृति और प्लेटोनिक प्लेट्स पर पड़ता है।ये सूर्य ग्रहण बहुत ही विशिष्ट परिस्थिति दिखा रहा है। पंडित कमल नंदलाल के अनुसार, ये सूर्य ग्रहण वृष राशि में पड़ने जा रहा है। वृष राशि पृथ्वी तत्व की राशि है और मार्गशीर्ष नक्षत्र यानी मंगल के नक्षत्र में ये सूर्य ग्रहण पड़ेगा। ऐसे में मंगल और शुक्र एक दूसरे के घोर विरोधी माने जाते हैं। जहां एक तरफ शुक्र सौंदर्य का स्वामी है, वहीं लड़ाई-झगड़े के लिए मंगल ग्रह को जिम्मेदार माना जाता है। शुक्र कामुकता का स्वामी है और मंगल भी पुरुष और अग्नि तत्व का स्वामी है। शुक्र आग्नेय दिशा को रूल करता है और मंगल दक्षिण दिशा को रूल करता है। ग्रह नक्षत्रों की इस स्थिति के अनुसार कहा जा सकता है कि देश-दुनिया में युद्ध या अग्निकांड जैसे हालात जन्म ले सकते हैं।पंडित कमल नंदलाल कहते हैं, मार्गशीर्ष नक्षत्र वायु तत्व का नक्षत्र है यानी वायु का प्रचलन करेगा। वृष राशि पृथ्वी को संबोधित करती है। इसका मतलब है कहीं न कहीं देश-दुनिया में युद्ध जैसी परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं। चूंकि भारत के अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में चंद्रगहण दिखाई दिया था और अब सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है तो वहां उथल-पुथल की आशंका दिख रही है। भारत के पूर्वी हिस्से यानी अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड और कश्मीर या कश्मीर से जुड़े पंजाब से देश में संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। देश के इन हिस्सों में आने वाले 45 दिनों के अंदर घुसपैठ जैसी स्थिति या सीमा पर बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।काल पुरुष अनुसंधान के अनुसार, ये सूर्य ग्रहण काल पुरुष के दूसरे भाव यानी धन भाव में पड़ता है। इसका पूरा प्रभाव संसार के आयु यानी एक्सीलेंस भाव पर भी पड़ेगा। केतु वृश्चिक राशि में बैठा है। इस सूर्य ग्रहण पर चतुर्ग्रही योग बनेगा। ऐसे में जब राहु और बुध आपस में मिलते हैं तो प्राकृतिक दोष बनता है। इसलिए प्रकृति की तरफ से अग्निकांड जैसी स्थिति हो सकती है। इसके अलावा, भूकंप, भूचाल या अग्निकांड आने की संभावना हो सकती है।खास बात ये है कि भारत देश की लग्न कुंडली में ये ग्रहण पड़ रहा है। इसका सीधा असर 7वें भाव पर पड़ता है। ऐसे में भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो 7वां भाव युद्ध से संबंध रखता है। इसलिए कहा जा सकता है कि ग्रहण का पूरा प्रभाव भारत पर और इसके उचित विशेष भाव पर पड़ रहा है।ज्योतिष के अनुसार, राहु और केतु की एक्सिस रेट्रोग्रेड होती है। ऐसे में ग्रहण का पूरा दृष्टि दोष भारत के पराक्रम पर, जन्म भाव यानी 5वें भाव पर, 7वें भाव पर, भाग्य भाव पर और लाभ भाव पर पड़ता है। क्योंकि अरुणाचल प्रदेश या पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर दोनों जगहों पर 16 दिनों के अंदर दोनों ग्रहण दिखाई दिए हैं। इसलिए, देश में इन दोनों जगहों से आने वाले 45 दिन से 90 दिनों के अंदर उचित बड़ी घटना की संभावना पैदा हो सकती है।ये दोनों ग्रहण (26 मई को लग चुका चंद्र ग्रहण और 10 जून यानी आज लग रहा सूर्य ग्रहण) दोनों ही चीन और अमेरिका पर विद्यमान हुए है। वास्तु स्थिति देश काल स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले 45 दिनों से 90 दिनों के भीतर अमेरिका और चीन के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। युद्ध की तनावपूर्ण स्थिति दुनिया के सेंटर में देखी जाती है। संसार के मध्य भाग को किबला कहा गया है यानी इजराइल का क्षेत्र। ज्योतिष के अनुसार, वहां फिर से युद्ध की स्थिति देखा जा सकती है।ऐसे में राजनीति अंतर स्तर पर खराब हो सकती है। इसी के साथ जनता में आक्रोश की स्थिति पैदा हो सकती है। पर इसका खास प्रभाव भारत पर देखने को नहीं मिलेगा। भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय नीति से युद्ध जैसे हालातों पर काबू पाने में सफल साबित होगा। लेकिन आने वाले 90 दिनों में संसार में युद्ध जैसे हालात जरूर पैदा हो सकते हैं। चीन, कोरिया में और अमेरिका, ब्रिटेन में युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
ज्योतिर्विद कमल नंदलाल के अनुसार, ग्रहण का मतलब है किसी चीज को कलंकित करना है। अगर ग्रहण संसार के मूल ऊर्जा स्त्रोत यानी सूर्य को लग जाए तो अनिष्ट होना निश्चित है। इस बार का सूर्य ग्रहण खग्रास, रिंग ऑफ फायर या वलयाकार सूर्य ग्रहण है। ऐसे में देश-दुनिया पर इसका काफी प्रभाव पड़ेगा। आइए जानते हैं पंडित कमल नंदलाल से कि इस सूर्य ग्रहण के कारण देश-दुनिया में कैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।ज्योतिषार्य के अनुसार, 26 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था। अरुणाचल प्रदेश के अलावा भारत के कुछ ही हिस्सों में चंद्रग्रहण का नजारा देखने को मिला था। पर मूल रूप से चीन और अमेरिका में दिखाई दिया था। ऐसे में चंद्रगहण का सबसे ज्यादा प्रभाव जल यानी नदियों आदि पर होता है और सूर्य ग्रहण का बसे ज्यादा प्रभाव जन-जीवन, प्रकृति और प्लेटोनिक प्लेट्स पर पड़ता है।ये सूर्य ग्रहण बहुत ही विशिष्ट परिस्थिति दिखा रहा है। पंडित कमल नंदलाल के अनुसार, ये सूर्य ग्रहण वृष राशि में पड़ने जा रहा है। वृष राशि पृथ्वी तत्व की राशि है और मार्गशीर्ष नक्षत्र यानी मंगल के नक्षत्र में ये सूर्य ग्रहण पड़ेगा। ऐसे में मंगल और शुक्र एक दूसरे के घोर विरोधी माने जाते हैं। जहां एक तरफ शुक्र सौंदर्य का स्वामी है, वहीं लड़ाई-झगड़े के लिए मंगल ग्रह को जिम्मेदार माना जाता है। शुक्र कामुकता का स्वामी है और मंगल भी पुरुष और अग्नि तत्व का स्वामी है। शुक्र आग्नेय दिशा को रूल करता है और मंगल दक्षिण दिशा को रूल करता है। ग्रह नक्षत्रों की इस स्थिति के अनुसार कहा जा सकता है कि देश-दुनिया में युद्ध या अग्निकांड जैसे हालात जन्म ले सकते हैं।पंडित कमल नंदलाल कहते हैं, मार्गशीर्ष नक्षत्र वायु तत्व का नक्षत्र है यानी वायु का प्रचलन करेगा। वृष राशि पृथ्वी को संबोधित करती है। इसका मतलब है कहीं न कहीं देश-दुनिया में युद्ध जैसी परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं। चूंकि भारत के अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में चंद्रगहण दिखाई दिया था और अब सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है तो वहां उथल-पुथल की आशंका दिख रही है। भारत के पूर्वी हिस्से यानी अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड और कश्मीर या कश्मीर से जुड़े पंजाब से देश में संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। देश के इन हिस्सों में आने वाले 45 दिनों के अंदर घुसपैठ जैसी स्थिति या सीमा पर बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।काल पुरुष अनुसंधान के अनुसार, ये सूर्य ग्रहण काल पुरुष के दूसरे भाव यानी धन भाव में पड़ता है। इसका पूरा प्रभाव संसार के आयु यानी एक्सीलेंस भाव पर भी पड़ेगा। केतु वृश्चिक राशि में बैठा है। इस सूर्य ग्रहण पर चतुर्ग्रही योग बनेगा। ऐसे में जब राहु और बुध आपस में मिलते हैं तो प्राकृतिक दोष बनता है। इसलिए प्रकृति की तरफ से अग्निकांड जैसी स्थिति हो सकती है। इसके अलावा, भूकंप, भूचाल या अग्निकांड आने की संभावना हो सकती है।खास बात ये है कि भारत देश की लग्न कुंडली में ये ग्रहण पड़ रहा है। इसका सीधा असर 7वें भाव पर पड़ता है। ऐसे में भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो 7वां भाव युद्ध से संबंध रखता है। इसलिए कहा जा सकता है कि ग्रहण का पूरा प्रभाव भारत पर और इसके उचित विशेष भाव पर पड़ रहा है।ज्योतिष के अनुसार, राहु और केतु की एक्सिस रेट्रोग्रेड होती है। ऐसे में ग्रहण का पूरा दृष्टि दोष भारत के पराक्रम पर, जन्म भाव यानी 5वें भाव पर, 7वें भाव पर, भाग्य भाव पर और लाभ भाव पर पड़ता है। क्योंकि अरुणाचल प्रदेश या पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर दोनों जगहों पर 16 दिनों के अंदर दोनों ग्रहण दिखाई दिए हैं। इसलिए, देश में इन दोनों जगहों से आने वाले 45 दिन से 90 दिनों के अंदर उचित बड़ी घटना की संभावना पैदा हो सकती है।ये दोनों ग्रहण (26 मई को लग चुका चंद्र ग्रहण और 10 जून यानी आज लग रहा सूर्य ग्रहण) दोनों ही चीन और अमेरिका पर विद्यमान हुए है। वास्तु स्थिति देश काल स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले 45 दिनों से 90 दिनों के भीतर अमेरिका और चीन के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। युद्ध की तनावपूर्ण स्थिति दुनिया के सेंटर में देखी जाती है। संसार के मध्य भाग को किबला कहा गया है यानी इजराइल का क्षेत्र। ज्योतिष के अनुसार, वहां फिर से युद्ध की स्थिति देखा जा सकती है।ऐसे में राजनीति अंतर स्तर पर खराब हो सकती है। इसी के साथ जनता में आक्रोश की स्थिति पैदा हो सकती है। पर इसका खास प्रभाव भारत पर देखने को नहीं मिलेगा। भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय नीति से युद्ध जैसे हालातों पर काबू पाने में सफल साबित होगा। लेकिन आने वाले 90 दिनों में संसार में युद्ध जैसे हालात जरूर पैदा हो सकते हैं। चीन, कोरिया में और अमेरिका, ब्रिटेन में युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।