AajTak : Sep 08, 2020, 07:46 AM
Delhi: कई एक्सपर्ट सर्दी में कोरोना वायरस की दूसरी लहर पैदा होने की बात कह चुके हैं। लेकिन ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि हो सकता है कि कोरोना की दूसरी लहर 2021 के मार्च में आए। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के प्रोफेसर बेन निउमन ने कहा कि सर्दी में पहने जाने वाले कपड़े जैसे कि स्कार्फ, ग्लव्स, पर्सनल पीपीई किट की तर्ज पर लोगों को कोरोना से बचाने में मदद कर सकते हैं।
प्रोफेसर निउमन ने ब्रिटेन को लेकर कहा है कि हो सकता है कि अगले साल मार्च से पहले कोरोना की दूसरी लहर नहीं आए। उन्होंने कहा कि सर्दी में तापमान घटने की वजह से इस बात की संभावना है कि लोग घरों में ही रहे और ये वक्त कोरोना के लिए मिनी क्वारनटीन जैसा हो।डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस इन्फ्लूएंजा वायरस की तरह मौसमी नहीं है और भीषण सर्दी की जगह बसंत ऋतु में पीक पर रह सकता है। बता दें कि ब्रिटेन सहित यूरोप के कई देशों में कोरोना के मामले दोबारा बढ़ने लगे हैं। इससे ये आशंका भी जाहिर होती है कि कोरोना की दूसरी लहर पैदा हो रही है।
प्रोफेसर निउमन ने कहा कि सर्दी में हो सकता है कि कोरोना पॉजिटिव आने वाले लोगों का परसेंटेज रेट सही ना आए, क्योंकि फ्लू की वजह से अधिक संख्या में लोग कोरोना टेस्ट के लिए पहुंच सकते हैं। इसकी वजह से पॉजिटिव होने वाले लोगों की दर कम हो सकती है।वहीं, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजलिया में प्रोफेसर पॉल हंटर कहते हैं कि जो उम्मीद की जा रही थी, उससे काफी पहले ही कोरोना के केस में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के अधिकारियों ने भी जनवरी में दोबारा कोरोना के पीक पर होने की बात कही है और निश्चित तौर से यह दिसंबर-जनवरी के बीच का समय हो सकता है।
प्रोफेसर निउमन ने ब्रिटेन को लेकर कहा है कि हो सकता है कि अगले साल मार्च से पहले कोरोना की दूसरी लहर नहीं आए। उन्होंने कहा कि सर्दी में तापमान घटने की वजह से इस बात की संभावना है कि लोग घरों में ही रहे और ये वक्त कोरोना के लिए मिनी क्वारनटीन जैसा हो।डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस इन्फ्लूएंजा वायरस की तरह मौसमी नहीं है और भीषण सर्दी की जगह बसंत ऋतु में पीक पर रह सकता है। बता दें कि ब्रिटेन सहित यूरोप के कई देशों में कोरोना के मामले दोबारा बढ़ने लगे हैं। इससे ये आशंका भी जाहिर होती है कि कोरोना की दूसरी लहर पैदा हो रही है।
प्रोफेसर निउमन ने कहा कि सर्दी में हो सकता है कि कोरोना पॉजिटिव आने वाले लोगों का परसेंटेज रेट सही ना आए, क्योंकि फ्लू की वजह से अधिक संख्या में लोग कोरोना टेस्ट के लिए पहुंच सकते हैं। इसकी वजह से पॉजिटिव होने वाले लोगों की दर कम हो सकती है।वहीं, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजलिया में प्रोफेसर पॉल हंटर कहते हैं कि जो उम्मीद की जा रही थी, उससे काफी पहले ही कोरोना के केस में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के अधिकारियों ने भी जनवरी में दोबारा कोरोना के पीक पर होने की बात कही है और निश्चित तौर से यह दिसंबर-जनवरी के बीच का समय हो सकता है।