विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) ने मुंबई की झुग्गीबस्ती धरावी (Dharavi) में कोविड-19 (Covid-19) को रोकने के लिए किए गए प्रयासों को सक्सेज मॉडल (Success Model) के तौर पर स्वीकार किया है. एशिया की सबसे बड़ी झुग्गीबस्ती धरावी को लेकर अप्रैल और मई महीने में कहा जा रहा था कि यहां पर 'कोरोना विस्फोट' हो सकता है. एकाएक बढ़े मामलों को लेकर प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे लेकिन फिर तकरीबन 5 हजार स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत ने रंग दिखाया. जून महीने में धरावी में नए मामलों की संख्या को काफी हद तक काबू में कर लिया गया.
घनी बस्ती की वजह से बढ़ रहे थे केस
धरावी में संक्रमण के बढ़ रहे मामले की सबसे बड़ी वजह वहां की घनी बस्ती थी. कारीब 2.5 लाख लोग प्रति स्क्वायर किलोमीटर के दायरे में धरावी में रहते हैं यानि ढाई स्क्वायर किलोमीटर के भीतर करीब 7 से 8 लाख लोगों की आबादी है. यहां रहने वाले लोगों में अधिकतर संख्या मजदूरों की है.
4T फॉर्मूले पर किया गया काम
धरावी की विधायक और राज्य में शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ के मुताबिक उनकी विधानसभा धरावी में इस संक्रमण को रोकना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी आज जिस तरीके से संक्रमण धरावी में रुका है वह पूरे देश के लिए एक मिसाल है और पूरे देशभर में इस तरीके से धरावी पैटर्न को लागू करना चाहिए. धरावी में संक्रमण रोकने के लिए बीएमसी ने 4टी फार्मूला लागू किया. 4T यानी ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटिंग. इस 4 T पर फार्मूले के तहत धरावी में आज केसेस की संख्या कम हो गई है, हर दिन धरावी में कोरोना के मामले सिंगल डिजिट पर आ गए है.
5000 रजिस्टर्ड उद्योग
धरावी में अब तक 2338 कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या है, धरावी की इस घनी बस्ती में 5000 जीएसटी रजिस्टर्ड उद्योग हैं, जबकि बीएमसी के लाइसेंस पर 15000 सिंगल रूम में छोटी-छोटी फैक्ट्री या कारखाने हैं. धरावी अब कोरोना के संक्रमण से करीब-करीब मुक्त हो चुका है तो इसका पूरा श्रेय वहां की बीएमसी की लोकल टीम तमाम स्वयंसेवी संगठनों को जाता है, जिन्होंने दिन रात मेहनत करके धरावी के संक्रमण को कम किया है.