कॅटगरी | एक्शन ,ड्रामा,ड्रामा इतिहास |
निर्देशक | अभिषेक दुधैया |
कलाकार | अजय देवगन,इहाना ढिल्लों,एम्मी विर्क,नोरा फतेही,प्रणीता सुभाष,शरद केलकर,संजय दत्त,सोनाक्षी सिन्हा |
रेटिंग | 4/5 |
निर्माता | अभिषेक दुधैया,कुमार मंगत,कृष्ण कुमार,गिन्नी खनूजा,भूषण कुमार,वजीर सिंह |
संगीतकार | अमर मोहिले,अरको प्रावो मुखर्जी,गौरव दासगुप्ता,तनिष्क बागची,लिजो जॉर्ज |
प्रोडक्शन कंपनी | टी-सीरीज़ |
भुज द प्राइड ऑफ इंडिया सच्ची घटना पर आधारित एक फिल्म है। जिसकी कहानी 1971 के भारत-पाकिस्तान युघ्द पर बेस्ड है, जिसमें अजय देवगन तत्कालीन भुज एयरपोर्ट के इंचार्ज विजय कार्णिक के किरदार में हैं। इस युद्ध के दौरान स्क्वैड्रन लीडर विजय कार्णिक भुज एयरपोर्ट पर अपनी टीम के साथ मौजूद थे, यहां कि एयरस्ट्रिप (हवाईपट्टी) तबाह हो गई थी। इस दौरान पाकिस्तान की तरफ से बारी बमबारी की जा रही थी। इस समय एयरबेस पर उनके साथ 50 एयरफोर्स और 60 डिफेंस सिक्योरिटी के लोग मौजूद थे। विजय कार्णिक और उनकी टीम ने इलाके की महिलाओं की मदद से हवाईपट्टी को फिर से तैयार किया। उन्होंने इलाके की 300 महिलाओं के साथ मिलकर उसे फिर से तैयार किया ताकि भारतीय सेना के जवानों को लेकर जाने वाली फ्लाइट वहां आसानी से लैंड कर सकें।
कहानी
फिल्म की शुरुआत होती है 8 दिसंबर 1971 से, जब पाकिस्तान वायु सेना के जेट विमानों ने भुज में भारतीय वायु सेना की हवाई पट्टी पर लगातार बम बरसाए। भारी तबाही के बीच भुज एयरपोर्ट के इंचार्ज विजय कार्णिक (अजय देवगन) स्थिति से जूझने की कोशिश करते हुए दुश्मनों का सामना करते हैं। कहानी एक हफ्ते पीछे जाती है और बताया जाता है कि पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) को पश्चिमी पाकिस्तान (पाक) के दमन से निकलने में भारत ने सहायता दी थी। जिसे लेकर 1971 दिसंबर में भारत- पाकिस्तान युद्ध छिड़ा। पूर्वी पाकिस्तान में भारत की स्थिति कमजोर करने के लिए पाकिस्तान ने भारत के पश्चिमी क्षत्रों पर हमला किया। वो भुज को अपने कब्जे में करना चाहते थे। रणनीति के तहत विभिन्न भारतीय हवाई अड्डों पर बमबारी की गई। भुज एयरबेस भारतीय वायु सेना के प्रमुख क्षेत्र में से एक था जहां पाकिस्तान ने भारी तबाही मचाई।
भारतीय वायुसेना को सीमा सुरक्षा बल से हवाई पट्टी को बहाल करने की उम्मीद थी, लेकिन वो नहीं हो सकता क्योंकि उसी समय पाकिस्तान ने लौंगेवाला में भी युद्ध छेड़ दिया था। इस दौरान भुज के माधापुर की 300 ग्रामीणों-ज्यादातर महिलाएं- ने 72 घंटों के भीतर क्षतिग्रस्त एयरबेस की मरम्मत करके देश की रक्षा के लिए कदम बढ़ाने का फैसला किया।फिल्म इसी घटना के इर्द-गिर्द घूमती है कि कैसे विजय कार्णिक ने उस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।