
- 14-Feb-2025 06:08 PM IST
- (, अपडेटेड 14-Feb-2025 06:21 PM IST)
कॅटगरी | एक्शन ,ऐतिहासिक काल ड्रामा |
निर्देशक | लक्ष्मण उतेकर |
कलाकार | अक्षय खन्ना,आशुतोष राणा,दिव्या दत्ता,प्रदीप रावत,रश्मिका मंदन्ना,विक्की कौशल |
रेटिंग | 3/5 |
निर्माता | दिनेश विजन |
संगीतकार | ए आर रहमान |
प्रोडक्शन कंपनी | मैडॉक फिल्म्स |
छायाकार | सौरभ गोस्वामी |
संपादक | मनीष प्रधान |
लेखक | ऋषि विरमानी,ओंकार महाजन,कौस्तुभ सावरकर,लक्ष्मण उतेकर |
रिलीज़ दिनांक | 14-Feb-2025 |
बजट | ₹130 crore |
अवधि | 02:41:00 |
फिल्म समीक्षा: ‘छावा’ – एक वीरगाथा या क्रूरता की दास्तान?
मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कम ही होता है जब एक ही शुक्रवार को दो बड़ी फिल्मों के प्रेस शो एक ही समय पर रखे जाते हैं। लेकिन इस बार मामला अहंकार के टकराव का ज्यादा था। मैडॉक फिल्म्स की नई पेशकश ‘छावा’ और जियो स्टूडियोज की ‘कैप्टन अमेरिका: ब्रेव न्यू वर्ल्ड’ आमने-सामने थीं। दोनों फिल्मों की रिलीज के साथ ही सिनेमा प्रेमियों में उत्सुकता चरम पर थी।
शंभू राजे के जीवन पर आधारित फिल्म
फिल्म ‘छावा’ मराठा योद्धा संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म महाराष्ट्र के दर्शकों के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह उनके प्रिय छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र की वीरगाथा को परदे पर जीवंत करती है। लेकिन सावधान रहें, यह कोई हल्की-फुल्की मनोरंजक फिल्म नहीं है, बल्कि एक बेहद गंभीर और संवेदनशील ऐतिहासिक प्रस्तुति है।
शिवाजी सावंत की लेखनी से पर्दे तक
मराठी साहित्यकार शिवाजी सावंत के उपन्यास ‘छावा’ पर आधारित इस फिल्म की कहानी संभाजी महाराज के जीवन के नौ वर्षों को समेटे हुए है। शिवाजी की मृत्यु के बाद रायगढ़ की गद्दी संभालने वाले संभाजी और मुगल शासक औरंगजेब के बीच हुए संघर्ष को इसमें प्रमुखता से दिखाया गया है। फिल्म इतिहास को केंद्र में रखकर बनाई गई है, लेकिन इसके तथ्यों की प्रमाणिकता को लेकर सवाल उठ सकते हैं।
क्लाइमेक्स: जरूरत से ज्यादा वीभत्स?
फिल्म का क्लाइमेक्स काफी तीव्र और संवेदनशील है। यह दृश्य उन लोगों के लिए असहज हो सकता है जो अधिक क्रूरता देखने के अभ्यस्त नहीं हैं। औरंगजेब को ‘औरंग’ कहकर अपमानित किया जाता है और उसकी बेटी को एक निर्दयी खलनायिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है। खासकर, संभाजी महाराज को प्रताड़ित करने के दृश्य फिल्म के दर्शकों को विचलित कर सकते हैं।
विक्की कौशल का दमदार अभिनय
विक्की कौशल ने एक बार फिर अपने अभिनय की गहराई को साबित किया है। ‘सरदार उधम’ और ‘सैम बहादुर’ जैसी फिल्मों के बाद उन्होंने ‘छावा’ में भी खुद को पूरी तरह से अपने किरदार में ढाल लिया है। उनके अभिनय को देखकर ऐसा लगता है कि वह एक और राष्ट्रीय पुरस्कार की दौड़ में शामिल हो सकते हैं।
महिला पात्र: रश्मिका मंदाना और दिव्या दत्ता का प्रदर्शन
रश्मिका मंदाना ने येसूबाई की भूमिका निभाई है, लेकिन उनके किरदार को सीमित दायरे में रखा गया है। उनकी भूमिका ज्यादातर युद्ध से लौटे पति की आरती उतारने और करुण रस पैदा करने तक सीमित है। दूसरी ओर, दिव्या दत्ता ने शिवाजी की दूसरी पत्नी सोयराबाई के रूप में दमदार प्रदर्शन किया है। उनकी भूमिका फिल्म में ज्यादा प्रभावी नजर आती है।
सहायक कलाकारों की प्रभावशाली भूमिका
विनीत सिंह ने कवि कलश के रूप में बेहतरीन काम किया है। उनके संवाद और कविताई फिल्म में जान डालते हैं। अक्षय खन्ना ने औरंगजेब की भूमिका में गजब की नकारात्मक ऊर्जा भरी है, जो हिंदी सिनेमा में लंबे समय से एक दमदार खलनायक की कमी को पूरा करती है। आशुतोष राणा का किरदार उतना प्रभावी नहीं है, जितनी उनकी क्षमता है।
फिल्म का कमजोर पक्ष: ए. आर. रहमान का संगीत
फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसका पार्श्वसंगीत है। ए. आर. रहमान जैसे दिग्गज संगीतकार का नाम जुड़ा होने के बावजूद बैकग्राउंड स्कोर बहुत प्रभावशाली नहीं है। फिल्म में कोई ऐसा गीत नहीं है जो लंबे समय तक याद रहे।
तकनीकी पक्ष: सिनेमैटोग्राफी और एक्शन
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी औसत है और कई जगहों पर सेट कृत्रिम प्रतीत होते हैं। एक्शन सीक्वेंस में कुछ दृश्य प्रेरणादायक हैं, लेकिन कई जगह यह पुराने टीवी सीरियल्स की लड़ाइयों जैसी लगती है। हालांकि, क्लाइमेक्स के युद्ध दृश्य कुछ हद तक फिल्म ‘300’ की याद दिलाते हैं।
अंतिम निष्कर्ष
‘छावा’ उन लोगों के लिए है जो ऐतिहासिक फिल्मों में रुचि रखते हैं और विक्की कौशल के अभिनय को पसंद करते हैं। यह फिल्म दर्शकों के धैर्य की परीक्षा लेती है और क्लाइमेक्स में कुछ लोगों को विचलित भी कर सकती है। अगर आप संवेदनशील हृदय वाले हैं तो इस फिल्म को देखने से पहले दो बार सोचें। हालांकि, अगर आपको इतिहास और वीरगाथाएं पसंद हैं, तो यह फिल्म आपके लिए एक अच्छा सिनेमाई अनुभव हो सकती है।