Vikrant Shekhawat : Dec 07, 2021, 12:21 PM
नई दिल्ली: आने वाले दिनों में दो और स्वदेशी कोविड -19 टीके उपलब्ध होंगे, इस बात की जानकारी स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोमवार को लोकसभा में दी. मंडाविया ने ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (संशोधन) विधेयक, 2021’ के पारित होने पर कहा कि दोनों नए टीकों के लिए तीसरे चरण के परीक्षण (ट्रायल) के आंकड़े जमा कर दिए गए हैं.उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि दोनों नए टीकों का डेटा और ट्रायल सफल होगा. ये दोनों कंपनियां भारतीय हैं, इससे जुड़ा शोध और निर्माण भी देश में ही किया गया है. सरकार की मदद से भारतीय वैज्ञानिकों ने सिर्फ 9 महीनों में कोविड -19 वैक्सीन विकसित कर लिया.’मंडाविया ने कहा कि सरकार ने देश में 51 एपीआई (सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री) के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए 14,000 करोड़ रुपये की उत्पादक लिंक्ड प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है. दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया लोकसभा में ‘राष्ट्रीय औषधि शिक्षण और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक 2021’ पेश करने के बाद बोल रहे थे. इस दौरान कई सदस्यों ने देश में औषधि अनुसंधान (फार्मास्युटिकल रिसर्च) को बढ़ावा देने और समयबद्ध तरीके से बेहतर रिसर्च सेंटर्स को स्थापित करने की मांग की.मांडविया ने विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए कहा कि औषधि क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बनें, इनमें शोध हो तथा शैक्षणिक संस्थान स्थापित हो सकें… इस उद्देश्य के साथ यह विधेयक लाया गया है.संशोधनों को लेकर कांग्रेस को आपत्तिचर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के अब्दुल खालिक ने विधेयक में कुछ संशोधनों को लेकर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि संबंधित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों की संख्या को कम कर दिया गया है और सांसदों को भी इससे हटाया गया है. उन्होंने कहा कि सांसद जनप्रतिनिधि होते हैं और वे भी अहम सुझाव दे सकते हैं. खालिक ने यह भी कहा कि बोर्ड का प्रमुख एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो औषधि क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता हो.भारतीय जनता पार्टी के राजदीप रॉय ने कहा कि यह विधेयक संस्थानों को ज्यादा अधिकार देता है. ये संस्थान अपना पाठ्यक्रम संचालित कर सकते हैं और परीक्षा का आयोजन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि संचालक मंडल में सदस्यों की संख्या को कम करने का फैसला किया गया है ताकि गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए और ये संस्थान भी आईआईटी और आईआईएम के बराबर खड़े हो सकें. रॉय ने कहा कि देश औषधि उद्योग में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में बदलती दुनिया के हिसाब से खड़े होने के लिए उचित कानूनों की जरूरत है. उनके मुताबिक, इस विधेयक को लेकर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है.टीएमसी का आरोप- संस्थानों को निजी हाथों में सौंप रही सरकारचर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार को इन संस्थाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को निजी हाथों में सौंप रही है. वहीं, वाईएसआर कांग्रेस के संजीव कुमार ने कहा कि फार्मास्युटिकल उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए.बीजद की चंद्राणी मुर्मू ने ओडिशा में ऐसा एक संस्थान खोले जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि सभी संस्थानों के अपने परिसर होने चाहिए और समयबद्ध तरीके से इनके खुद के परिसरों का निर्माण होना चाहिए.महामारी की वजह से तरक्की कर रहीं फार्मास्युटिकल कंपनियां?राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि देश में फार्मास्युटिकल कंपनियां सरकार की किसी नीति की वजह से नहीं बल्कि महामारी की वजह से तरक्की कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बिना महामारी के भी औषधि कंपनियों का विकास हो, ऐसा होना चाहिए.भाजपा के अनुराग शर्मा ने इस पर असहमति जताते हुए कहा कि फार्मा कंपनियां पिछले कई वर्षों से विकास की ओर बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में आयुर्वेद चिकित्सा पर भी अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.