Diwali 2024 / 31 ही है शुभ तिथि... काशी के विद्वानों ने दिवाली की डेट पर दी चुनौती

दिवाली की तिथि को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। काशी विद्वत परिषद ने 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का दावा किया है, जबकि गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने इसे 1 नवंबर बताया। परिषद ने शास्त्री को चुनौती दी है कि वे 29 अक्टूबर को शास्त्रार्थ कर सकते हैं।

Vikrant Shekhawat : Oct 29, 2024, 10:20 AM
Diwali 2024: दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस बार, यह त्योहार कब मनाया जाएगा, इस पर विद्वानों के बीच एक बड़ा विवाद छिड़ गया है। कुछ दिन पहले वाराणसी में काशी विद्वत परिषद ने दावा किया कि दिवाली 31 अक्टूबर को है, जबकि काशी के विद्वान गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ जी और कई अन्य विद्वानों ने इसे 1 नवंबर के रूप में घोषित किया है।

विद्वत परिषद का चुनौती पत्र

काशी विद्वत परिषद ने गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ जी सहित सभी विद्वानों को चुनौती देते हुए कहा कि जो लोग दिवाली की तिथि को 1 नवंबर मानते हैं, वे 29 अक्टूबर को परिषद के साथ शास्त्रार्थ कर सकते हैं। परिषद ने यह भी कहा कि यह चर्चा ऑनलाइन और जूम मीटिंग के माध्यम से भी की जा सकती है। परिषद ने यह स्पष्ट किया कि गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ जी को भ्रम नहीं फैलाना चाहिए और शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना सही है।

विद्वत परिषद का समर्थन

विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी और महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने कहा कि गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ जी को अपने पक्ष को स्पष्ट करने का अवसर दिया जाना चाहिए। यदि उनका दृष्टिकोण सही साबित होता है, तो परिषद उसे स्वीकार कर लेगी, लेकिन उन्हें भ्रम फैलाने से बचना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि उनके प्रस्ताव का समर्थन शंकराचार्य स्वामी अविमुकतेश्वरानंद जी, स्वामी सदानंद जी और स्वामी निश्चिलानंद जी महाराज सहित कई अन्य संतों और संस्थानों से प्राप्त हुआ है।

गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ का पक्ष

गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ जी, जिन्होंने अयोध्या में श्री राम मंदिर के मुहूर्त का निर्धारण किया था, ने 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पांच प्रमुख पंचागों में से तीन ने एक नवंबर को दिवाली मनाने की पुष्टि की है। उनके अनुसार, एक नवंबर को उदया तिथि में प्रदोष और सूर्यास्त के बाद अमावस्या मिल रही है, जो कि महालक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम है।

निष्कर्ष

इस विवाद ने देश भर में चर्चा का विषय बना दिया है और लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि आखिर दिवाली कब मनाई जाएगी। कुछ लोग 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने के पक्ष में हैं, जबकि अन्य एक नवंबर के पक्षधर हैं। ऐसे में इस विषय पर विद्वानों के बीच शास्त्रार्थ और संवाद होना आवश्यक है ताकि एक सर्वसम्मति तक पहुंचा जा सके। चाहे जो भी निर्णय हो, दिवाली का त्यौहार हर साल की तरह इस बार भी उल्लास और खुशियों से भरा होगा।