Krishna Janmashtami / आखिर कृष्ण के रूप में भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा था अवतार?

आज पूरे देश में भगवान का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है. सनातन पंरपरा में भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि पर पड़ने वाली जन्माष्टमी को महापर्व माना गया है. मान्यता है कि इसकी पूजा सभी संकटों से उबार कर व्यक्ति के सारे मनोरथ को पूरा करती है. मान्यता ये भी है कि आज के दिन यदि कोई कृष्ण भक्त उनकी विधि-विधान से पूजा करता है तो उस पर भगवान कृष्ण का पूरे साल आशीर्वाद बरसता है, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान विष्णु

Vikrant Shekhawat : Sep 07, 2023, 11:45 PM
Krishna Janmashtami: आज पूरे देश में भगवान का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है. सनातन पंरपरा में भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि पर पड़ने वाली जन्माष्टमी को महापर्व माना गया है. मान्यता है कि इसकी पूजा सभी संकटों से उबार कर व्यक्ति के सारे मनोरथ को पूरा करती है. मान्यता ये भी है कि आज के दिन यदि कोई कृष्ण भक्त उनकी विधि-विधान से पूजा करता है तो उस पर भगवान कृष्ण का पूरे साल आशीर्वाद बरसता है, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान विष्णु ने आखिर पृथ्वी पर भगवान श्रीकृष्ण के रूप में क्यों आशीर्वाद लिया? आइए कान्हा के पृथ्वी पर अवतार लेने के पीछे की वजह जानते हैं.

धर्म की स्थापना

हिंदू मान्यता के अनुसार पृथ्वी पर जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म का अत्याचार बढ़ता है तो उसे खत्म करने के लिए पृथ्वी पर ईश्वर का अवतार होता है. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के श्लोक के माध्यम से अपने अवतार का यही कारण बताया है.

जय-विजय से जुड़ी है कथा

हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के द्वारपाल एक श्राप के कारण बार-बार पृथ्वी पर अधर्मी बन कर पृथ्वी पर अवतार ले रहे थे, जिनका वध करने के लिए भगवान विष्णु को बार-बार पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ा. कभी हिरण्यकश्यप का तो कभी कंस और शिशुपाल का वध करने के लिए उन्हें आना पड़ा.

नारद मुनि का श्राप

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद मुनि को विवाह करने की इच्छा पैदा और उन्होंने श्री हरि के पास जाकर उन्हीं के जैसा स्वरूप मांगा. मान्यता है कि भगवान विष्णु ने ही नारद मुनि का अहंकार तोड़ने के लिए यह लीला रची थी, इसलिए उन्होंने बंदर के समान चेहरा प्रदान किया. इसके बाद जब वे स्वयंवर स्थल पर विवाह करने पहुंचे तो उनका बहुत अपमान हुआ। इसके बाद नाराज नारद मुनि ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि जिस तरह मैं विवाह न हो पाने का कष्ट सह रहा हूं वैसे आपको भी पृथ्वी पर जन्म लेकर माता लक्ष्मी से विरह का कष्ट भोगना पड़ेगा. मान्यता है कि इसी श्राप के कारण भगवान श्री विष्णु को भगवान राम के रूप में माता सीता से और भगवान श्री कृष्ण के रूप में राधा रानी का वियोग सहना पड़ा.