Vikrant Shekhawat : Aug 26, 2024, 11:40 AM
Janmashtami 2024: भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर साल श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है, जो आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जन्माष्टमी के व्रत के दौरान भक्त श्रीकृष्ण की पूजा और कथा सुनते हैं, जिससे पापों से मुक्ति और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।जन्माष्टमी व्रत की कथापौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा के राजा उग्रसेन सीधे-साधे और न्यायप्रिय थे। उनके पुत्र कंस ने अपने स्वभाव के विपरीत उनकी गद्दी छीन ली और मथुरा का राजा बन गया। कंस की बहन देवकी थी, जिसे कंस बहुत स्नेह करता था। देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ। विवाह के समय कंस ने खुद रथ चलाकर बहन को ससुराल छोड़ने का फैसला किया।आकाशवाणी और कंस का क्रोधरास्ते में एक आकाशवाणी हुई, जिसमें कहा गया कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। इस वाणी को सुनते ही कंस ने क्रोधित होकर देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया और उनकी सात संतानें पहले ही मर चुकी थीं।श्रीकृष्ण का जन्म और अद्भुत घटनाभाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, श्री विष्णु ने वासुदेव को दर्शन देकर कहा कि वह उनके पुत्र के रूप में जन्मे हैं। विष्णु ने वासुदेव को निर्देशित किया कि वे श्रीकृष्ण को वृंदावन के नंद बाबा के घर छोड़ दें और कारागार में जन्मी कन्या को कंस को सौंप दें। भगवान विष्णु की माया से कारागार के सभी पहरेदार सो गए और वासुदेव भगवान कृष्ण को सुरक्षित नंद बाबा के घर ले गए।कंस और योग मायाजब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म की सूचना मिली, तो उसने तुरंत कारागार में जाकर कन्या को छीनने की कोशिश की। लेकिन कन्या उसके हाथ से फिसलकर आकाश में चली गई और उसने कहा कि कंस के वधक का जन्म हो चुका है और वह वृंदावन में पहुंच चुका है। यह कन्या कोई और नहीं, बल्कि स्वयं योग माया थी।इस प्रकार, श्रीकृष्ण का जन्म एक अद्भुत घटना थी, जो संसार में धर्म और न्याय की स्थापना के लिए आई। जन्माष्टमी के अवसर पर भक्त भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं और उनकी लीलाओं का आनंद लेते हैं।